Sunday, January 27, 2019
स्वंयसेवक की कडक चाय : कैप्टन के हाथों जहाज गडमगाने लगा है ...तो हलचल शुरु हो गई !
कडक चाय कितना मायने रखेगी जब चाय पिलाने वाला स्वयसेवक हो और झटके में कह दें अब तो जेटली भी चुनाव के बाद के हालात में अपनी जगह बनाने में जा जुटे है । तो क्या मोदी का जादू खत्म । सवाल खत्म या जारी रहने का नहीं है , जरा समझने की कोशिश किजिये जेटली हर उस कार्य से पल्ला झाड रहे है जो उन्ही के देखरेख में शुरु हुआ । सिर्फ सीबीआई या ईडी या इनकमटैक्स भर का नहीं है जो कि चंदा कोचर के मामले में उनका दर्द सामने आ गया । तो ये दर्द है ऐसा माना जाये......हा हा , बिलकुल नहीं , बल्कि खुद को चुनाव बाद के हालात में फिट करने की कोशिश है ।
तो क्या जेटली को लग चुका है कि बीजेपी दुबारा सत्ता में नहीं लौटगी । प्रोफेसर साहेब ने घुमा कर पूछा तो स्वयसेवक महोदय ने भी घुमा कर कहा राजनीति में कुछ भी संभव है लेकिन ये समझने की कोशिश किजिये कि जो सबसे ताकतवर है उसी से पल्ला झाडने का अंदाज विकसित क्यो हो रहा है । मसलन, मुझे पूछना पडा ।
मसलन क्या वाजपेयी साहेब , गडकरी ने तब उस कारपोरेट के हक में कहा जब मोदी सत्ता माल्या और नीरव मोदी को चोर कहने से नहीं चुक रही थी । पर गडकरी ने चोर शब्द पर ही एतराज कर दिया । फिर आपने कल परेड क वक्त राहुल गांधी के बगल में बैठे नीतिन गडकरी की बाडी लैक्वेज नहीं पढी ।
तो आप बाडी लेग्वेज पढने लगे है .....प्रोफेसर की इस चुटकी पर स्वयसेवक महोदय बोल पडे....ना ना यारी नहीं समझी । दरसल गडकरी काग्रेस के हिमायती या राहुल गांधी के प्रशसंक नहीं है । लेकिन गडकरी किसी से वैसी दुशमनी नहीं करते जैसी मोदी सत्ता कर रही है । और ध्यान दिजिये राहुल से बातचीत कर गडकरी राहुल को कम मोदी को ज्यादा देख रहे होगें ।
अब ये तो मन की बात है ...इसे आप कैसे पढ सकते है । मेरे टोकते ही अब प्रोफेसर साहब बोल पडे...इसमें पढना क्या है हालात समझे । हर कोई अपनी अपनी पोसचरिंग ही तो कर रहा है । लेकिन हर के निशाने पर सत्ता का कैप्टन है ।
वाह कमाल है प्रोफेसर साहेब आप बाहर सs कैसे सब पढ ले रहेहै ।
पढ नही रहा हूं बल्कि नंगी आंखो से देख रहा हूं ।
कैसे ...मुझे ही टोकना ।
देखिये मोदी सत्ता के तीन पीलर में से एक तो जेटली है ....और बजट से एन पहले उनके ब्लाग जो बयान कर रहे है वह क्या दर्शाता है । राजनीति टाइमिंग का खेल है । इसे स्वयसेवक साहेब शायद ना समझे लकिन हम बाखूबी समझते है । क्यो स्वयसेवक महोदय जरा आप ही इसे डि-कोड किजिये ।
क्या .. अचानक स्वयसेवक महोदय अब चौक पडे ।
यही की न्यूयार्क से जेटली सत्ता के रोमान्टिज्म पर सवाल खडा करते है । इधर , बीजेपी के पोस्टर ब्याय योगी आदित्यनाथ संदेश देते है कि राम मंदिर तो चौबिस घंटे में वो बनवा सकते है । फिर सुब्रहमण्यम स्वामी लिखते है , राम मंदिर बनाने में क्या है एक बार वीएचपी को खुला छोड दिजिये बन जायेगा राम मंदिर । और उससे पहले याद कर लिजिये विएचपी के कोचर महोदय कह गये राममंदिर को काग्रेस ही बनायेगी । और फिर संघ मेंदूसरे नंबर के भैयाजी जोशी ये कहने से नहीं चुकते कि लगता है राम मंदिर 2025 में ही बनेगा । तो इसका क्या मतलब निकाला जाये ।
स्वयसेवक महोदय ने बिना देर किये प्रोफेसर साहेब की नजरो से नजर मिलायी और बोल पडे ..डिकोड क्या करना है ...बीजपी में सभी को समझ में आ रहा है कि कैप्टन अब जहाज को आगे ले जाने की स्थिति में नहीं है तो हाबसियन स्टेट की हालात बन रही है ।
यानी
यानी यही कि प्रोफेसर साहेब जिसे मौका मिल रहा है वह कैप्टन पर हमला कर खुद को भविष्य का कैप्टन बनाने की दिशा में जाना चाह रहा है । सुब्हमण्य स्वामीबता रहे है कि रहे है कि जेटली ही सबसे बडे अपराधी है । योगी कह रहे है कि मोदी तो कभी राम मंदिर बनाना ही नहीं चाहते है । गडकरी इशारा कर रहे है कारपोरेट उनके पीछे खडा हो जाये तो मोदी माइनस बीजेपी को सत्ता में वह ला सकते है । फिर संघ भी समझ रहा है कि जहाज डूबेगा तो उनकी साख कैसे बची रहे । लेकिन इस हालात को बनाते वक्त हर कोई ये भुल रहा है कि जिस कटघरे को सभी मिल कर राहुल गांधी के लिये बना रहे थे वह अब उन्ही के लिये गले की हड्डी बन रही है ।
वह कैसे ...
वाजपेयी जी आप हालात परखे । मोदी ने शुरु से चाहा कि देश प्रेजिडेन्शियल इलेक्शन की तरफ बढ जाये जिससे एक तरफ लोकप्रिय मोदी होगें तो दूसरी तरफ पप्पू समझे जाने वाले राहुल गांधी । लेकिन धीरे धीरे कैसे हालात पलट रहे है ये समझे ।
वह कैसे अब प्रोफेसर साहेब मुखातिब हुये ....
वह ऐसे प्रोफेसर साहब ...बेहद प्यार से स्वयसेवक महोदय जिस तरह बोले उससे हर कोई ठहाका लगाने लगा....
समझे...जो प्रेसिडिनेशियल इलेक्शन का चेहरा था अब वही बीजेपी के नेताओ या कहे जेटली तक के निशाने पर है । और बीजेपी जो सांगठनिक पार्टी है । जिसका संगठन हर जगह है । फिर संघ की भी जमीन बीजेपी को मजबूती देती है । लेकिन मोदी-शाह ने जिस तरह खुद को लारजर दैन लाइफ बनाने की कोशिश की उसमें अब अगर वह हारेगें तो सिर्फ वह नहीं ढहेगें बल्कि बीजेपी संघ दोनो की जमीन भी खत्म होगी । वही दूसरी तरफ काग्रेस का संगठन सभी जगह नहीं है , लेकिन धीरे धीरे जिस तरह राहुल गांधी का कद साख के साथ बढ रहा है वह चाहे अनचाहे प्रसिडेन्शियल उम्मीदवार बन रहे है । और इसका लाभ सीधे काग्रेस को मिलेगा । या कहे मिल रहा है ।
तो क्या ये मान लिया जाये कि चुनाव मोदी बनाम राहुल गांधी होने से लाभ काग्रेस को है ।
जी वाजपयी जी ......और उसपर प्रियका गांधी के मैदान में उतरने से प्रसेडेशियल इलेक्शन में काग्रेस को एक नया आयाम मिल जायेगा ।
वह कैसे...अब प्रोफेसर साहेब बोले...
वह दक्षिण भारत में नजर आयेगा ...जहा इंदिरा गांधी खासी लोकप्रिय थी । वहा इंदिरा का अक्स लिये जब प्रियका गांधी पहुंचेगी तो बीजेपी का संगठन या संघ का शाखा भी कुछ कर नही पायेगी ।
तो बीजेपी को अपनी रणनीति बदल लेनी चाहिये...
प्रोफेसर साहेब ....जब बीजेपी का मतलब ही मोदी हो तब रणनीति कौन बदलेगा । तब तो सिर फुट्ववल ही होगा । जिसकी शुरुआत हो चुकी है । और फरवरी शुर तो होने दिजिये तब आप समझ पायेगें कि कैसे धीरे धीरे टिकट की मारामारी भी बीजेपी को उसी के चक्रव्यू में फंसा कर खत्म कर देगी ।
पर टिकट की ये मारामारी तो सपा-बसपा में भी होगी ।
बिलकुल होगी क्या है ....मायावती को ही अब भी टिकट के बदले करोडो चाहिये । तो रुपये-पैसे वाले ही बसपा का टिकट पायेगें । फिर उसके काउंटर में सपा की जो सीटे बसपा के पास चली गई है वहा सपा का उम्मीदवार क्या करेगा । और क्या वहा गठबंधन के बावजूद वो ट्रासभर नहं होगा । इसका लाभ बीजेपी को मिल जायेगा कयोकि चाहे अनचाहे मुकाबला हर जगह त्रिरोणिय हो जायेगा । दरअसल यही वह फिलास्फी है जिसके आधार पर शाह की सियासी गोटिया चल रही है । लेकिन काग्रेस कैसे डार्क हार्स हो चली है ये किसी को समझ नहीं आ रहा है । और चुनाव का समूचा मिजाज ही अगर मोदी का चेहरा देखते देखते अब ताजा-नये चेहरे को खोज कर राहुल-प्रियका को देख रहा है तो फिर सवाल जातिय समीकरण या गठबंधन का कहा बचेगा ।
स्वयसेवक महोदय आप तो काग्रेसी हो चले है ।
क्यो प्रोफेसर साहेब
क्योकि आप राहुल गांधी को खडा किये जा रहे है
ना ना प्रोपेसर साहेब सिर्फ लकीर खिंच रहे है ...मुझे बीच में कूदना पडा । क्योकि पप्पू से करीशमाई नेता के तौर पर मान्यता पाते राहुल के पिछे उनकी कार्यशौली की सीधी लकीर है । जो कही जुमला या तिरछी नहीं होती है । याद किजिये भूमि अधिकग्रहण , सूट बूट की सरकार , किसान संकट , नोटबंदी , जीएसटी की जल्दबाजी और फिर राज्यो में जीत के साथ ही किसान कर्ज माफी ।
वाजपयी जी इसमें एक बात जोडनी होगी कि मोदी सत्ता को सच बताने वाला कोई बचा ही नहीं ।
हा हा हा हा ....आप इशारा क्या है ।
मै आपकी तरफ इशारा नहीं कर रहा हूं ..बल्कि हकीकत समझे...मै दो दिन पहले ही एक अग्रेजी के राष्ट्रीय चैनल पर चुनावी सर्वे को देख रहा था । उस सर्व में यूपी का सर्वे खासा महत्वपूर्ण था । बकायदा एससी-एसटी , ओबीसी और उच्च जाति में काग्रेस को 19 से 26 फिसदी के बीच वोट दिखाये गये । लेकिन आखिर में बताया गया कि काग्रेस के हिस्से में सिर्फ 12 फिसदी वोट है । यानी एडिटर चवाइस पर रिजल्ट निकाला जा रहा है कि आका खुश हो जाये । और आका को सिर्फ रिजल्ट देखने की फुरसत है क्योकि वह शुशी देता है तो जमीनी सच है क्या ...इसे प्रधान सेवक भी कैसे समझेगें ।
तो क्या साहेब हवा में है ....
ना ना ...जो उन्हे बताया जा रहा है वह उसे ही सच मान रहे है । और बताने वाले झूठ क्यो बोले जब साहेब को सिर्फ जीत ही सुननी है । फिर ध्यान दिजिये उनके तमाम भाषणो में अब सपने नहीं दिखाये जाते बल्कि काग्रेस-विपक्ष गठबंधन को कोसा जाा है ।
और कोसने का अंदाज भी एसा है जिससे सहानुभूति के वोट उन्हे मिल जाये ....
वाह प्रोफेसर साहेब..बडी पैनी नजर है आपकी साहेब पर....
देश की जनता अब बखूबी समझ चुकी है कि जो वादे मोदी जी ने 2014 में किए थे चाहे वह विदेशो से काला धन लाने की हो या किसानों की आय बढ़ाने की, हर साल 2 करोड़ लोगो को रोजगार देने की, रुपये की मजबूती, सस्ता पेट्रोल डीजल, गँगा की सफाई, राम मंदिर कोई भी वादा पूरा नहीं हो सका. देखा गया है कि किस तरह से मोदी जी ने कॉरपोरेट घरानों के 12 लाख करोड़ रुपए का लोन माफ कर दिया है और किसानों का कर्ज आज तक माफ नहीं किया है और किस तरह से चंद्रा कोचर और वीडियोकॉन पर सीबीआई के छापे के बाद अगले ही दिन सीबीआई SP का तबादला कर दिया जाता हैं.मतलब साफ है कि कोई भी घोटाले की जाँच मोदी सरकार में नही हो सकती हैं. सरकारी बैंकों की हालात इससे पहले इतनी खराब कभी नहीं हुवी जैसी मोदी सरकार में हुवी है
ReplyDeleteGood analysis,,,sir plzz kisi channel pr aa jaye,,,,we r waiting
ReplyDeleteNice, सर ये स्वयंसेवक महोदय कौन है जै आपसे बात करते है बढिया है
ReplyDeleteZara wo waala dialogue maariye na ..."bhagat singh waala chalaao, krantikaari rahega, bahut krantikaari"...
ReplyDelete#Presstitute.
क्या analysis किया है sir आप की इस बात के तो कायल है gazb..
ReplyDeleteGood सर आपने भाजपा की राजनीति को जैसा समझा है खुद भाजपा वाले नहीं समझ पा रहे हैं कैप्टन साहब तो शुरू से यही चाहते हैं कि पूरा होल्ड मेरे ही हाथों में रहे और त्रिमूर्ति (जेटली,गडकरी,राजनाथ) से ही इनको खतरा था और अब धीरे धीरे और कुछ मूर्तियो का निर्माण साहब ने इनसे बचने के चक्कर में कर लिया है जो ज़रूर इनको डुबाकर आगे आने की राजनीति करेंगे असल में कैप्टन साहब ने शुरू से ही अपने को तीस मार खान समझ लिया और सोच लिया कि मुझे कोई तोड़ नहीं सकता मगर ये राजनीति है साहब यहां कई आये और गम हो गए तो आपकी क्या हैसिय्यत खैर दूसरों के लिए जाल बुनने के चक्कर में किस तरह बर्बादी होगी ये तो आने वाला दिन ही बता देगा मगर इन चालों को समझने वाला ही असल मूर्तिकार होता है जो आपमें दिखता है किसी चैनल पर आकर सुधारिये इनको तो मज़ा आएगा।
ReplyDeleteGareebon k liye sochti hai sarkaar per karti kuchh nai . they do only for those who support them financially .
ReplyDeleteNice sir
ReplyDeleteWaha Professor Sahab😀😀😀😀😀
ReplyDeleteBJP toh gaya😈😈
बिल्कुल वाजपायी सही पकड़े है
ReplyDeleteबहुत अच्छा विश्लेषण है।
ReplyDeleteGreat analysis sir
ReplyDeleteVery good analysis, I am waiting for February. And also waiting for next P.M.
ReplyDeleteVery good analysis. I am waiting for February and also waiting for the next P. M.
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteजोरदार तरीके पेश किया आपने
ReplyDeleteNice sir
ReplyDeleteवाजपेयीजी, आपका बोलने का एक अलग सा लुभावना अंदाज हैं. यह पूरा ब्लाॅग पढते वक्त वही अंदाज में सारे संवाद कानों से दिल में उतरते हुए लग रहे थे.बहुत बढिया...
ReplyDeleteबहूत आछा सरजी मै तो न्यूज़ देखना ही छोर दिया आज कल जो दिखाया जा रहा है वो लगता है जैसे क ब का झगरा हो रहा है ।आयना दिखना अगर गुनाह है तो ▪▪आपका कभी न्यूज मिलता तो पढ लेता हू।कह्तेय
ReplyDeleteहै राज तंत्र अब नही है पर मेरा मत है उसी का मोडर्न रुप है सोर्स पावर और पैसा का बोलबाला उस समय भी था वही अब भी है।आपके बारे मे सुना आप आ रहे है किसी न्यूज पर कब आपकी आवज सुनाई देगी।।धन्यबाद आप्को भाषा के लिए जो चुनते है लगता है सामने से बोल रहे है।
Very nice
ReplyDeleteमरहब्बा मरहब्बा मरहब्बा
ReplyDeleteLajawab rarze bayan.....
ReplyDeleteHUJUR kisi channel pr tashreef laiye...
APKE kamal k bagair sare dhamal fike lagte h.....
AAkHIR koi to ho jo AETERAZ bhi kre.
BAAKI saheb khush h.