tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post1674270285378673081..comments2024-03-11T07:18:50.122+05:30Comments on पुण्य प्रसून बाजपेयी: तंत्र की तानाशाही के आगे लोकतंत्र की बेबसीPunya Prasun Bajpaihttp://www.blogger.com/profile/17220361766090025788noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-87119227072350621412012-08-19T18:21:23.035+05:302012-08-19T18:21:23.035+05:30पुण्य प्रसुन बाजपेयी जी को मेरा सादर प्रणाम स्वीका...पुण्य प्रसुन बाजपेयी जी को मेरा सादर प्रणाम स्वीकार हो। मै पिछले छै साल से आप के स्तर तक अपनी बात पहुचाने के लिये प्रयास कर रहा हूँ ,मगर अभी तक सफलता नहीं मिली | मै एक आईडिया आपको बतलाना चाहता हूँ और आपका सहयोग भी चाहता हूँ |देश की जो हालात है उसमें सभी अपने अपने तरीकों से समाधान बतलाते है | मै भी एक बात आप से शेयर करना चाहता हूँ | यदि देश की करेंसी को बंद करके बस्तु विनिमय के लिये एक बहुत सरल तरीका जनता को दिया जाये | जिससे हर एक ट्रांजेक्सन बैंक द्वारा हो | तो देश की लाखों समस्याये मिट जायेगी | मेरे पास पूरा प्लान तैयार है | जिसमें एक भी तकलीफ का सामना नहीं करना पडेगा | कृपया विस्तार से जानने के लिये एक बार मेरे मोब. पर कांटेक्ट अवश्य करे | मेरा मोब . न . 09300858200 मदन ( करेली )म.प्र.madangopal brijpuriahttps://www.blogger.com/profile/16229050401987229884noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-17603024882082993712012-08-19T18:20:10.271+05:302012-08-19T18:20:10.271+05:30पुण्य प्रसुन बाजपेयी जी को मेरा सादर प्रणाम स्वीका...पुण्य प्रसुन बाजपेयी जी को मेरा सादर प्रणाम स्वीकार हो। मै पिछले छै साल से आप के स्तर तक अपनी बात पहुचाने के लिये प्रयास कर रहा हूँ ,मगर अभी तक सफलता नहीं मिली | मै एक आईडिया आपको बतलाना चाहता हूँ और आपका सहयोग भी चाहता हूँ |देश की जो हालात है उसमें सभी अपने अपने तरीकों से समाधान बतलाते है | मै भी एक बात आप से शेयर करना चाहता हूँ | यदि देश की करेंसी को बंद करके बस्तु विनिमय के लिये एक बहुत सरल तरीका जनता को दिया जाये | जिससे हर एक ट्रांजेक्सन बैंक द्वारा हो | तो देश की लाखों समस्याये मिट जायेगी | मेरे पास पूरा प्लान तैयार है | जिसमें एक भी तकलीफ का सामना नहीं करना पडेगा | कृपया विस्तार से जानने के लिये एक बार मेरे मोब. पर कांटेक्ट अवश्य करे | मेरा मोब . न . 09300858200 मदन ( करेली )म.प्र.madangopal brijpuriahttps://www.blogger.com/profile/16229050401987229884noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-89762692149373310712008-08-20T17:50:00.000+05:302008-08-20T17:50:00.000+05:30aap ke is sach ka dusra pahlu bhi hai.in maovadiyo...aap ke is sach ka dusra pahlu bhi hai.in maovadiyon ke hath kai begunahon ke khoon se bhi range huye hain.jinke liye manvadhikaar wale aksar chuppi sadhna behtar samjhte hain. kisi ke chehre par ye to nahi likha hota na, ki wo rastra-virodhi hai.parth pratimhttps://www.blogger.com/profile/00873584656046195559noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-86449142618120068952008-08-20T17:32:00.000+05:302008-08-20T17:32:00.000+05:30संजीत की बात हमारी वांछित भूमिका रेखांकित करती है ...संजीत की बात हमारी वांछित भूमिका रेखांकित करती है । हम लोकतन्त्र की दुहाइयां तो देते हैं लेकिन लोकतन्त्र में शरीक नहीं होते । लोकतन्त्र का मतलब हमने केवल वोट देने तक या फिर वोट न देकर प्रणीली का मखौल उडाने तक ही मान लिया है । हम कोई जोखिम लेने को तैयार नहीं हैं । 'लोकतन्त्र' में लोक आगे है और 'तन्त्र' उसका अनुगामी । लेकिन 'लोक' की खामोशी के चलते 'तन्त्र' ने लोक पर सवारी कर रखी है । हममें से प्रत्येक इसी बात से खुश है कि 'तन्त्र' को ढोने से वह बचा हुआ है और मेरे सिवाय बाकी सबकी पीठ पर सचार है । जबकि वह मेरी पीठ पर भी सवार है । ऐसी स्थिति में हममें से प्रत्येक इस बात से भी तसल्ली कर लेता है कि वह अकेला ही 'तन्त्र' को नहीं ढो रहा है, सब ढो रहे हैं । <BR/>प्रसूनजी, आपने बहुत ही सुन्दर और प्रभावशाली शब्दों में बात पेश की है किन्तु क्षमा कीजिए इस सबमे नया और अनोखा-अनूठा-असामान्य कुछ भी नहीं है , यह तो गांव-गांव, गली-गली का किस्सा है । <BR/>संजीत की बात में न केवल दम है बल्कि वही आज की आवश्यकता भी है । लेकिन शुरु कौन करे । हर कोई चाहता है कि शुरुआत कोई और करे । सो, 'तन्त्र' सुरक्षित है और 'लोक' उसे ढोये जा रहा है, ढोता ही रहेगा ।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-47200109057985619072008-08-20T17:24:00.000+05:302008-08-20T17:24:00.000+05:30प्रसून जी,आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा।लेवल एक बात ख...प्रसून जी,<BR/>आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा।लेवल एक बात खटक रही है।आपके प्रोफाइल को पढकर यह आभास होता है कि यह ब्लॉग पुण्य प्रसून वाजपई नही कोई और लिख रहा है।इससे आपकी निजता का अहसास नही हो पाता जो कि किसी ब्लॉग पर आने के लिए बहुत हद तक ज़िम्मेदार होती है।सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-63284868230486816662008-08-20T16:36:00.000+05:302008-08-20T16:36:00.000+05:30प्रसुन जी तानाशाही सिर्फ तंत्र की ही नहीं है. तंत्...प्रसुन जी तानाशाही सिर्फ तंत्र की ही नहीं है. तंत्र को तानाशाह बनाने वाले पहले इसी समाज में राजशाही चलाते हैं और उसी औरा से प्रभावित होकर फिर वो तंत्र का हिस्सा बन जाते हैं. मैं भी एक उदाहरण देकर अपनी बात समझाता हूं-<BR/><BR/>मैं तो पांच-सात साल का ही रहा होउंगा. आगरा के पास मेरे गांव पनवारी में पनवारी कांड नाम से मशहूर दलित-सवर्ण(सही मायने में जाट-जाटव) दंगा हुआ था. दंगा क्या था दो परिवारों की निजी वैमनस्यता को पूरे समाज, गांव और जिले ने झेला. उन्हीं परिवारों में से, उसी गांव और उसी दंगे से निकलकर दो लोग उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक ही सरकार में मंत्री बने. दोनों पर कई बार कई आपराधिक मामले भी दर्ज हुए, पर तानाशाही आज भी बरकरार है. आज वो तंत्र का हिस्सा हैं, बड़े नेता हैं लेकिन उस दंगे से पहले तक उनका कोई बड़ा वजूद नहीं था. मेरे कहने का आशय सिर्फ इतना है कि इस तंत्र को निष्ठुर और तानाशाह बनाने वाले भी इसी समाज से निकलते हैं और अपने अति-स्वार्थी निजी हितों के लिए पूरे सिस्टम को प्रयोग करते हैं...<BR/>चाय का वक्त है, आपको पढ़ रहा हूं, अच्छा लगा.<BR/>शाम को देखूंगा भी.<BR/>देवेश वशिष्ठ 'खबरी'<BR/>तहलकादेवेश वशिष्ठ ' खबरी 'https://www.blogger.com/profile/03089045465753357873noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-47603366250824970402008-08-20T15:23:00.000+05:302008-08-20T15:23:00.000+05:30अभी रायपुर प्रेस क्लब में "नक्सल समस्या" पर व्याख...अभी रायपुर प्रेस क्लब में "नक्सल समस्या" पर व्याख्यान माला के तहत रमन सिंह, महेंद्र कर्मा और धर्मराज महापात्रा के लेक्चर सुन कर आया और आते ही ई मेल में आपकी यह पोस्ट मिली।<BR/><BR/>बाजपेयी जी, मुझे लगता है कि बतौर नागरिक इन स्थितियों के लिए हम भी उतने ही जिम्मेदार है जितने कि अन्य कारक।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-77598408259324225772008-08-20T13:57:00.000+05:302008-08-20T13:57:00.000+05:30वाजपेयी जी इस देश में मानवाधिकारो स्थिति काफी दयनी...वाजपेयी जी इस देश में मानवाधिकारो स्थिति काफी दयनीय है इसके बारे में यहाँ चर्चा करना भी गुनाह है आज-कल कुछ लोगों द्वारा मानव अधिकार कार्यकर्ताओं को आतंकवादियों की 'बी' टीम के नाम से पुकारा जा रहा है कृपया आप इस ब्लाग को देखें http://sureshchiplunkar.blogspot.com/2008/08/secular-intellectuals-terrorism-nation.html बहरहाल मै आपको आज की घटना बता रहा हूँ आज सुबह में मुंबई के नजदीक ठाणे जिले के कल्याण स्थित वडवली में कलंदर इरानी एवं उसके लड़के कमर इरानी को घर से पकड़ कर थाने ले जाते समय गोली मार दी जिसमे कलंदर इरानी मारा गया और उसका लड़का कमर इरानी जख्मी हो गया उसका इस समय कल्याण सीटी अस्पताल में उपचार चल रह है पुलिस का कहना है कि जब वह इन्हे पकड़ कर ले जा रही थी उसी समय ४० से ५० लोग आकर जबरन इन दोनों को छुडाने लगी इसी आपा-धापी में गोली चली पुलिस का यह भी कहना है कि इन लोगों का कल्याण, ड़ोंबीवली, और मुंबई में अनेक आपराधिक मामले दर्ज है मामला काफी संगीन है इसकी गहरी पड़ताल होनी चाहिएRajesh R. Singhhttps://www.blogger.com/profile/17464328889363232422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-66821085915809988502008-08-20T13:48:00.000+05:302008-08-20T13:48:00.000+05:30This comment has been removed by the author.Rajesh R. Singhhttps://www.blogger.com/profile/17464328889363232422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-83188253776589644682008-08-20T11:49:00.000+05:302008-08-20T11:49:00.000+05:30प्रसून जी,आपने लिखा है कि "सवाल यही है कि देश में ...प्रसून जी,<BR/><BR/><BR/>आपने लिखा है कि "सवाल यही है कि देश में जीने के हक को कोई नहीं छिनेगा, इसकी गांरटी देने वाला भी कोई नहीं है । और लोकतंत्र के पलायन के बाद अब आरोपी को साबित करना है कि वह दोषी नहीं है। राज्य की कोई जिम्मेदारी नागरिकों को लेकर नहीं है।" सर्वप्रथम तो आपके इस शोधपरक आलेख के प्रस्तुतिकरण का आभार। <BR/><BR/>किंतु उत्तर? लोकतंत्र के सभी स्तंभ तंत्र के बंधक हैं जिसमें वह माध्यम भी है जिससे आप स्वयं भी जुडे हुए है। आम आदमी के पास स्वर का न होना ही एसे सवाल खडे करता है जिसके उत्तर के लिये व्यवस्था के खिलाफ सवाल उठते हैं...क्या अंधेरे से निकलने का रास्ता है?<BR/><BR/><BR/>***राजीव रंजन प्रसाद<BR/><BR/>www.rajeevnhpc.blogspot.com<BR/>www.kuhukakona.blogspot.comराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-46812555971436392032008-08-20T11:21:00.000+05:302008-08-20T11:21:00.000+05:30जी नही राज्य केवल विशिष्ट नागरिको की जिम्मेदारी ले...जी नही राज्य केवल विशिष्ट नागरिको की जिम्मेदारी लेता है ....सड़क चलते आम लोगो की नही ......डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-89665595574028417052008-08-20T11:01:00.000+05:302008-08-20T11:01:00.000+05:30पुण्य प्रसुन बाजपेयी जी को मेरा सादर प्रणाम स्वीका...पुण्य प्रसुन बाजपेयी जी को मेरा सादर प्रणाम स्वीकार हो। आपके ब्लॉग पर आने का अवसर मिला। वैसे तो आपके शब्दों का लोहा सारा हिन्दी जगत तो मानता ही है। मैं तो कायल ही हो गया हूँ। एक-एक शब्द जैसे आम लोगों की ज़बान से चुन-चुन कर आपने मोती की माला पिरो दी है। ऎसा लगता हो मानो शब्दों के समन्दर में गोता लगाकर, मोती जमा कर लेते हैं आप। मेरा आपको सलाम। - शम्भु चौधरीShambhu Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/03776713428128546589noreply@blogger.com