tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post1831185986989285568..comments2024-03-11T07:18:50.122+05:30Comments on पुण्य प्रसून बाजपेयी: विकल्प देते देते प्रधानमंत्री विकल्प क्यों तालाश रहे हैंPunya Prasun Bajpaihttp://www.blogger.com/profile/17220361766090025788noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-1210814585488065802009-12-04T08:48:33.849+05:302009-12-04T08:48:33.849+05:30MAI NE KAYA KAYA NAHI DEKHA,
DIL DARU DAVA TAK DEK...MAI NE KAYA KAYA NAHI DEKHA,<br />DIL DARU DAVA TAK DEKHA.<br />MARTI JITI JINDGI DEKHI,<br />ISQK YA MAHBUBA<br />MAA KI DUA TAK DEKHA<br />LEKIN PET SE GHARA PET SE BARA KUCH NA DEKHA......KUCH NA DEKHA...<br />AAJADI KE 62 YEARS BAAD BHI COUNTRY KE 75% LOG ROJANA 20RS GUJAR VASAR KARTE HAI.20RS MINS PANI KAA DO BOTAL.ISLIYA NAXAL JO KAR RAHA HAI APNE PET KE LIYA KAR RAHA HAI .YES USKE RASTE BHATAK GAYA HAI.राहुल कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12125501568271051177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-4175634564828712932009-11-15T23:30:48.806+05:302009-11-15T23:30:48.806+05:30सही कहा वाजपेयी जी, वास्तव में आज की डेट में सारा ...सही कहा वाजपेयी जी, वास्तव में आज की डेट में सारा हिंदुस्तान विकल्पों पर चल रहा है. जहा तक नक्सलवाद की बात है, तो हमारे नीति निर्माता समस्या की जड़ जानते हैं पर ढोंग करते हैं अनजाना बनाने का. आपने वो कहावत तो सुनी होगी " अगर कोई सो रहा है तो आप उसे जगा सकते है, पर अगर कोई सोने का बहाना कर आँख मूंदे लेटता हो तो उसे जगाना बड़ा मुश्किल है." हमारी सरकारें भी आँख मूँद कर लेटीहैं.हितेष https://www.blogger.com/profile/10641999988239901845noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-56289315440475887072009-11-14T13:07:42.335+05:302009-11-14T13:07:42.335+05:30बहुत लंबा- लंबा लिखते हो भई, यही बात दो-एक पैरे मे...बहुत लंबा- लंबा लिखते हो भई, यही बात दो-एक पैरे में लिखें तो आपका ब्लाग अधूरे पढ़े ही न लौटना पड़े.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-76897807226063638292009-11-12T16:57:54.512+05:302009-11-12T16:57:54.512+05:30SAWAL ACHHA HAI...JAWAB DIJIYE..SAWAL ACHHA HAI...JAWAB DIJIYE..Sarita Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/12249338250065099175noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-36311156964832891092009-11-11T21:34:20.346+05:302009-11-11T21:34:20.346+05:30बाजपेयी जी,
मैं आपसे कुछ पुछ्ना चाहता हूं?
१. नक्स...बाजपेयी जी,<br />मैं आपसे कुछ पुछ्ना चाहता हूं?<br />१. नक्सल आनदोलन क्या आज अपने मुख्य रास्ते से नहीं भटक गया है?<br />२. हम किसी भी प्रायोजन के लिए हिंसा को कैसे जायज ठहरा सकते हैं?<br />३. क्या आपको नहीं लगता कि नक्सलियों का एक गुट भी ये चाहता है कि उनके अधिकार वाले क्षेत्र का विकास न हो, लोगों तक सुबिधाएं न पहूंचे ताकि वो अपना राज चलाते रहें?<br />४. सर, मैं आपसे जानना चाहता हूं कि इस आंदोलन को खतम करने के लिए आपके पास क्या कारगर उपाए हैं या कहूं तो अगर आप देश के प्रधानमंत्री होते तो इस समस्या को कैसे हल करते?<br />ये सवाल मै इसलिए पूछ् रहा हूं ताकि आपके इस छोटे भाई को भी एक सही रास्ता दिखे.<br />आपके जवाब का इन्तज़ार रहेगा.....!Vikas Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08319821249539342254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-91256816290102293672009-11-11T17:21:39.309+05:302009-11-11T17:21:39.309+05:30आदिवासी आधी सदी के बाद भी मुख्यधारा में नहीं शामि...आदिवासी आधी सदी के बाद भी मुख्यधारा में नहीं शामिल हो पा रहे हैं. इस विष्ाय पर भारतीय राजनीति विशेषज्ञों और समाजविदों को नए सिरे से विमर्श करना चाहिए.प्रदीप जिलवानेhttps://www.blogger.com/profile/08193021432011337278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-67532302982757801992009-11-11T17:12:36.601+05:302009-11-11T17:12:36.601+05:30हमारी राजनीति में अब इतने अधिक विकल्प पैदा हो गए ह...हमारी राजनीति में अब इतने अधिक विकल्प पैदा हो गए हैं कि सही विकल्प की न तलाश हो पाती है न ही तलाशने की कोशिश ही की जाती है।Anonymousnoreply@blogger.com