tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post2232363256608104691..comments2024-03-11T07:18:50.122+05:30Comments on पुण्य प्रसून बाजपेयी: पत्रकारिता के नाम पर कोई कितनी फ्रॉडगिरी कर सकता है?Punya Prasun Bajpaihttp://www.blogger.com/profile/17220361766090025788noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-44447817676789348682013-07-27T23:28:53.642+05:302013-07-27T23:28:53.642+05:30ओह, ये तो आपने झल्ला-वल्ला गाने की पंक्तियां उड़ेल...ओह, ये तो आपने झल्ला-वल्ला गाने की पंक्तियां उड़ेल दीं। <br /><br /> उसमें भी तो कहा गया है - <br /><br />"महफिल सज्जनों की जेन्टलमैनों की है, बेवड़ा कोई हो जाये तो आये मजा"।<br /><br /> इस लिहाज से देखा जाय तो उन जेन्टलमनों की महफिल में आप ही वह "कोई" हैं जो जिससे पत्रकारात्मक बेवड़ा होने की इल्तिजा की जा रही थी <br />:)<br /><br /> सचमुच, भीतरी सच्चाई कुछ और होती है जैसा कि आपने पूरे मामले को इस पोस्ट के माध्यम से रखा। Good one.सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-69628582646732239812013-07-27T09:41:42.775+05:302013-07-27T09:41:42.775+05:30देश में राजनेताओं के प्रति तो जनता का विश्वास पूरी...देश में राजनेताओं के प्रति तो जनता का विश्वास पूरी तरह से वैसे ही धूमिल हो चूका है और अब पत्रकारिता पर से ही धीरे धीरे विश्वास कम होता जा रहा है और इसके लिए जनता जिम्मेदार नहीं है बल्कि खुद ही जिम्मेदार है !!पूरण खण्डेलवालhttps://www.blogger.com/profile/04860147209904796304noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-28240831513739143422013-07-26T13:47:17.731+05:302013-07-26T13:47:17.731+05:30अखबार के संवाददाता नौकरी वेतन के लिऐ नही आई डी कार...अखबार के संवाददाता नौकरी वेतन के लिऐ नही आई डी कार्ड के लिऐ करते हो,जिससे धमकी चमकी देकर अपना खर्चा निकाल सके , अखबार दफतर का आफिस बाय से लेकर हाकर तक सब ब्लेकमेलर बन जाऐ, अखबार मालिक जब राष्टीय राजनैतिक दल का प्रवक्ता होगा,तब इस पेशे की क्या मौलिकता या विश्वनीयता होगी .....? ,जिस पेशे के लिऐ कोई निर्धारित योग्यता, ड्रिग्री डिप्लोमा ही नही होती उसमें फ्रॉडगिरी तो होगी ही ........सतीश कुमार चौहानhttps://www.blogger.com/profile/00624509331785485261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-65881299687442732172013-07-26T10:11:17.302+05:302013-07-26T10:11:17.302+05:30This comment has been removed by the author.सतीश कुमार चौहानhttps://www.blogger.com/profile/00624509331785485261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-12764435322433877582013-07-26T08:28:04.904+05:302013-07-26T08:28:04.904+05:30सर अगर पुरस्कार बांटने की मंशा ही इस हाथ दे उस हाथ...सर अगर पुरस्कार बांटने की मंशा ही इस हाथ दे उस हाथ ले की हो...फिर तो राम ही राखे...Ashutosh Mitrahttps://www.blogger.com/profile/12956358435578751392noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-86927682392509552202013-07-26T07:27:14.280+05:302013-07-26T07:27:14.280+05:30हईशाहईशाKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.com