tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post2295075115034368822..comments2024-03-11T07:18:50.122+05:30Comments on पुण्य प्रसून बाजपेयी: सौ बरस का सिनेमा और चंद हीरेPunya Prasun Bajpaihttp://www.blogger.com/profile/17220361766090025788noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-84962216970291444482013-05-06T15:49:41.054+05:302013-05-06T15:49:41.054+05:30पुण्य प्रसून जी, आपके बोलने तथा उसको प्रस्तुत करने...पुण्य प्रसून जी, आपके बोलने तथा उसको प्रस्तुत करने का अंदाज बड़ा प्यारा है । <br />वाकई....... लाजबाब.. क्योंकि सीनेमा जगत अपने में संसार है और आप "यद्सारभूतं तदूपासनीयं हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमद्यात् ।।" यह उक्ति आपके उपर बहुत सटीक बैठती है.......... keep it UP.....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15327847480185275788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-74594170949782150442012-05-04T13:58:21.916+05:302012-05-04T13:58:21.916+05:30वाजपेयी जी! आपका यह आलेख मैने पूजा जी को भेजा था ....वाजपेयी जी! आपका यह आलेख मैने पूजा जी को भेजा था ...वे आजकल गुरुदत्त की डायरियों को खंगालने में लगी हैं। पढ़ने के बाद उनकी त्वरित टिप्पणी कुछ इस तरह थी-<br />"फीचर वाकई बेहद खूबसूरती से लिखा गया है और सौ साल के सिनेमा को चंद शब्दों में समेटने की एक अच्छी कोशिश करता है।"<br />मैं तो आपकी वाक्शैली और लेखन शैली दोनो का प्रशंसक रहा हूँ। भारतीय सिनेमा के जिन नाज़ुक पहलुओं को स्पर्श किया है आपने और जिस ख़ूबसूरती से पेश किया है वह वाकई काबिले तारीफ़ है।बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-53665331964091889922012-05-04T04:46:42.269+05:302012-05-04T04:46:42.269+05:30बहुत ही बढियां पोस्ट है लेकिन मुझे लगता है की आप क...बहुत ही बढियां पोस्ट है लेकिन मुझे लगता है की आप को कम से कम मेरा नाम जोकर, दोस्ती (१९६४), बूट पालिश, जाग्रति और हकीकत का भी जिक्र करना चाहिए थाDeepakhttps://www.blogger.com/profile/11728176551356888252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-51690591123729589802012-05-03T20:21:44.132+05:302012-05-03T20:21:44.132+05:30अति सुन्दर ...
कहते है कि ... जब जब समाज मे जिस ...अति सुन्दर ... <br /><br />कहते है कि ... जब जब समाज मे जिस नई चीज का विरोध होता है ... आने वाले समय मे समाज उसी का गुलाम हो जाता है ........<br /><br />सौ साल के सिनेमा ने आज (आर्थिक युग)कुछ किर्तीमान ले लिये हों पर .... कुछ दिनो पहले तक <br /><br />समाजिक उपेक्षा से भी सारोकार होना पड़ा है । लोगों ने इसका विरोध भी किया है औरदेखने वाले खुब कोसे भी जाते थे ..... कुछ यही हाल विदेशी चैनलओ को लेकर हुआ तब mtv आदि को लेकर हाय तौबा हुयी ........ और बही चैनल एक नयी जनरेशन को पागल किये हुये है .....<br /><br />कुछ भी हो .....जिन फिल्मो ने विपरीत हवाओ मे अपने को ढाल लिया .....<br />जिन अभिनेता अभिनेत्रीयों ने विपरीत परस्थीतियों मे काम किया ........ उनका लोहा आज भी उतना ही खरा है जितना पहले था ...... <br /><br />लेकिन एक खतरा भी है आज के सिनेमा मे वंशवाद भाई भतिजावाद....... आगया है ... <br />और ये हर उस ...कलाकार को रोकता है जिसका जन्म अभिनय के लिये हुआ है और कही न कही उसे एक दलदल मे भी धकेलता है जिसका कोई मन्जिल नहीं होती ......<br /><br />सौ साल ....... बाद सिनेमा किस रंग मे रंग रहा है ...... और इसकी कहानियाँ क्या कह रही है एक तरफ़ सिविक्ल का दौर है ..... मतलब कहानियों का टोटा .....<br /><br />और दुसरी तरफ़ .... बरबरा ... लिओन .. जैसे लोगों को .... बालिबुड मे जडें जमाने के लिये जमीन दी जा रही है ... <br /><br />क्या सतीश कौशिक ... रजनीकांत .. जैसे सुपर कलाकार ने जो मुकाम हासिल किया ...उसके लिये शारिरिक सुन्दरता चाहिये... ? <br /><br />जाने भी दो यारों ... की लोकप्रियता क्या कोई <br />तोड नही है और तो और ... महंगी से महगी फ़िल्म वो मिठास नही दे सकती जो जाने भी दो यारो ने दिया.....<br /><br />अतत: -.. रीयल्टी शो को रीयल होना पडे़गा ... और सिनेमा को व्यबसाय से हटकर .. व्यव्हारिक होना पडेगा...... फ़िल्मी भविष्यव्क्ता कुछ भी कहे ...... पर आने वाला समय ... बहुत कुछ कहने वाला है ........AMBRISH MISRA ( अम्बरीष मिश्रा )https://www.blogger.com/profile/12068476262948941211noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-77123722874605088242012-05-03T19:17:11.227+05:302012-05-03T19:17:11.227+05:30Infact i was expecting this article since last mon...Infact i was expecting this article since last month...Thank u!Hirendra Jhahttps://www.blogger.com/profile/00532102596195412539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-80922275936692054852012-05-03T18:50:21.085+05:302012-05-03T18:50:21.085+05:30सौ बरस के सिनेमा को कहीं से भी शुरु तो कर सकते हैं...सौ बरस के सिनेमा को कहीं से भी शुरु तो कर सकते हैं लेकिन यह खत्म नहीं हो सकता।............<br />नाम तो कई और का भी इसमें जुटा देखना चाहते है... पर बस आपकी इस एक पंक्ति ने सब कुछ बया कर दिया... <br /><br />बेहतरीन प्रस्तुति..Priyadarshan Sharmahttps://www.blogger.com/profile/13887743058166437233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-83827819538593767792012-05-03T16:45:52.484+05:302012-05-03T16:45:52.484+05:30mujhe umeed thi ki aapl hrishikesh mukharjee ke ba...mujhe umeed thi ki aapl hrishikesh mukharjee ke bare me jarur kuch kaheenge kyonki mujhe lagta hai wo bhi hindi cinema ke heere to hain. <br /><br />waise aapka article kafi accha hairohit khandelwalhttps://www.blogger.com/profile/04224476724873519762noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-73997582558189682872012-05-03T14:53:01.681+05:302012-05-03T14:53:01.681+05:30sir, u missed to mention some more diamonds, like
...sir, u missed to mention some more diamonds, like<br />do beegha jameen<br />do aankhe barah haath<br />bandini<br />tapasya<br />anand<br />and pran......dr.dharmendra guptahttps://www.blogger.com/profile/08582167955664834420noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-24115537737625281112012-05-03T12:33:13.385+05:302012-05-03T12:33:13.385+05:30क्या बात है सर जी ... आपने फिर से वो पुरानी बातो क...क्या बात है सर जी ... आपने फिर से वो पुरानी बातो को आँखों के सामने ला दिया ... जो कही न कही जीवन और उसके पार देखने की अलग दृष्टि देती हैप्रवीण विस्टन जैदीhttps://www.blogger.com/profile/05423269602943612763noreply@blogger.com