tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post2417301882209044205..comments2024-03-11T07:18:50.122+05:30Comments on पुण्य प्रसून बाजपेयी: आखिर किसे इडियट बना रहे हैं आमिर खान !Punya Prasun Bajpaihttp://www.blogger.com/profile/17220361766090025788noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-49869826865070975392009-12-25T14:07:19.571+05:302009-12-25T14:07:19.571+05:30सर, आपकी कलम को बहुत-बहुत साधुवाद। यही इन फिल्मका...सर, आपकी कलम को बहुत-बहुत साधुवाद। यही इन फिल्मकारों की सच्चाई है, ये अपने मुनाफे के लिए कुछ भी कर सकते हैं, हर किसी की भावनाओं से खेल सकते हैं। इनके इस खेल से बचकर चलना ही होगा।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07434798414210159963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-25358475472842099792009-12-24T15:20:55.904+05:302009-12-24T15:20:55.904+05:30har baat jo bane aek nasihat deti khabar ....uske ...har baat jo bane aek nasihat deti khabar ....uske sath aapka judav jarur hota hai ..aek din mere paas shbad khatam ho jayenge us baat par ki kya likte hai aap ...isliye bas itna hi kahunga .."vah ustad"rahulhttps://www.blogger.com/profile/05226017084066348853noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-77964474220760203662009-12-23T12:24:46.339+05:302009-12-23T12:24:46.339+05:30''एक बाईट के लिये सितारोँ के पीछे भागने वा...''एक बाईट के लिये सितारोँ के पीछे भागने वाले हमारे इस मुखौटेबाज मीडिया'' पर ''अभिव्यक्ति'' की तल्ख़ टिपण्णी में बड़ी जान है. मै भी ३० साल से मीडिया से जुड़ा हूँ. उसके पाखण्ड को देखा है. आज स्वतंत्र हो कर लिखता रहता हू . मीडिया वाला होने का मतलब यह भी नहीं होता की हर चीज़ में पोल देखी जाये. आमिर कलाकार है.कलाकार कलाकारी करने के बाद ही सामने आता है स्वांग का अपना आनंद है. उसे इसी रूप में लिया जाए. बाल की खाल न निकली जाये. बड़ी बात यही है की जिन फ़िल्मी कलाकारों के बारे यही आम राय है की ये लोग सामान्य जन से कभी जुड़ते ही नहीं, ऐसे दौर में अगर कोई कलाकार आमजन के हुलिए में सामने आता है, तो उसका स्वागत है. उसकी निंदा नहीं होनी चाहिए. आमिर खान आमिर खान के रूप में ही आएगा तो लोग उसको नोंच खाएँगे. इसलिए थोडा तो स्वांग ज़रूरी है. हमें सकारात्मक नजरिया रखना चाहिए. ''अभिव्यक्ति'' ने और भी बाते लिखी है. उस पर भी सोचा जाना चाहिए.girish pankajhttps://www.blogger.com/profile/16180473746296374936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-65997225437909855292009-12-23T00:28:15.415+05:302009-12-23T00:28:15.415+05:30सनसनी
दो डिग्री का कहर
खत्म हो जाएगी धरती
सर्द मौस...सनसनी<br />दो डिग्री का कहर<br />खत्म हो जाएगी धरती<br />सर्द मौसम, गर्म कैलेंडर<br />मुर्दा बोलेगा<br />राज़ खोलेगा <br />मौत देखिए<br />मौत का लाइव...<br />ये तमाम वो तमगे हैं जो आज की मीडिया ने हासिल किए हैं....<br />बात वही है शीशे के चैंबर्स में बैठकर दुनिया देखते हैं पत्रकार...<br />असल हकीकत ये भी है कि क्या करे पत्रकार क्योंकि उसका कोई साथी, कोई दुश्मन, कोई कलीग...सड़क पर है भूखों मर रहा है...ये कुंठा लफ्जों में ही निकल रही है। पुण्य जी आप भी बेहतर समझ रहे हैं मीडिया की अनिश्चितता को...लोग वही कर रहे हैं जो "शीशे के चैंबर्स में बैठे लोग" कह रहे हैं....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16885990187990290194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-50492192765571680812009-12-22T10:39:58.913+05:302009-12-22T10:39:58.913+05:30प्रसूनजी इससे हटकर भी और कई महत्पूर्ण मुद्द्ये हे...प्रसूनजी इससे हटकर भी और कई महत्पूर्ण मुद्द्ये हे उन पर टिपन्नी कर कर अपनी पत्र्कार्ता का परिचय दे मज़ा आयेगा.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/12062711565086118568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-25153095464744319152009-12-22T09:50:41.804+05:302009-12-22T09:50:41.804+05:30आपका यह लेख सोचने पर मजबुर कर रहा है, आप में अभी भ...आपका यह लेख सोचने पर मजबुर कर रहा है, आप में अभी भी नामचिन होने की भुख जिन्दा है। आप कभी खुद से साक्षातकार क्यों नहीं करते। इस लेख और किशनजी से मोबाईल पर वार्तालाप वाले लेख पर विचार करने पर आप नवांगतुक पत्रकार के स्तर में नजर आते हैं। इन दोनो ने ही आपके उँचे स्तर का उपयोग किया,और आप फंस गये। वे जो चाहते थे सो उन्हे मिल गया। चाहे वह जिस रूप मे हो? क्योकि आपका ब्लोग भी किसी चैनल से कम नही है। आशा है आगे से इन बातों का जरुर ध्यान रखेंगे।Lal Sant Kumar Shahdeohttps://www.blogger.com/profile/18036375279791617239noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-8435878027634716452009-12-22T09:46:31.480+05:302009-12-22T09:46:31.480+05:30This comment has been removed by the author.Lal Sant Kumar Shahdeohttps://www.blogger.com/profile/18036375279791617239noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-83096464652402408252009-12-22T06:08:11.809+05:302009-12-22T06:08:11.809+05:30एक बाईट के लिये सितारोँ के पीछे भागने वाले हमारे इ...एक बाईट के लिये सितारोँ के पीछे भागने वाले हमारे इस मुखौटेबाज मीडिया को अगर आमिर खुद निमँत्रण दे रहे हैँ तो ये आमिर खान का बडप्पन है! वो किसी को इडियट नहीँ बना रहे हैँ! वो तो सिर्फ लोगोँ का मनोरँजन कर रहे हैँ जो उनका पेशा है! लेकिन सवाल ये है कि हम क्या कर रहे हैँ? खबरोँ के नाम पर नाच गाना, भूत-प्रेत, जुर्म, सेक्स, गासिप ये सब दिखा कर क्या हम सारे देश को इडियट नहीँ बना रहे हैँ? भूख से हो रही मौतेँ हमारे लिये कोई खबर नहीँ होती! लेकिन करीना की डाइटिँग ब्रेकिँग न्यूज़ बन जाती है! चुनावी बारिश मेँ कुकुरमुत्तोँ की तरह न्यूज़ चैनल उग आते हैँ! पैकेज लेकर खुले-आम उम्मीदवारोँ के पक्ष और विपक्ष मेँ खबरेँ दिखाते हैँ! थोक के भाव मेँ मीडियाकर्मियोँ की भर्ती करते हैँ और फिर थोक के भाव मेँ उन्हेँ निकाल देते हैँ! क्या आप जानते हैँ अकेले इस साल कितने पत्रकार बेरोज़गार हुए हैँ? लेकिन ये हमारे लिये कोई खबर नहीँ है! क्योँकि दिये तले तो अँधेरा ही रहता है! कहने को लोकतँत्र का चौथा स्तँभ लेकिन है असल मेँ खोखला! क्योँकि मीडिया आज कारपोरेट हितोँ की पूर्ति करने का साधन बन कर रह गया है! मुनाफा कमाने या अपने हित बचाने के लिये धडल्ले से न्यूज़ चैनल खुल रहे हैँ! मेनेजमेँट की गलत नीतियोँ के कारण अगर चैनल नहीँ चला तो छटॅनी के नाम पर छोटॆ मीडियाकर्मियोँ की गर्दन पर छुरी चला दी! जब तक गाय दूध देती है तब तक उसे घास खिलाओ....और दूध देना बँद कर दे तो मुनाफे के लिये उसका माँस बेच दो! कह सकते हैँ टीवी चैनल को चलाने मेँ काफी पैसा लगता है! लेकिन भई अगर धँधा ही करना है तो इँटरटेनमेँट चैनल खोलिए ! न्यूज़ चैंनल चला कर पत्रकारिता का गला घोँटने की क्या ज़रूरत है? ऐसे ही एक न्यूज़ चैनल के आउटपुट हेड का आफर ठुकरा कर मैँने बेरोज़गार बैठने का निर्णय लिया है! लेकिन ये कोई मुद्दा नहीँ है! क्योँकि मेरे जैसे कईँ पत्रकार हैँ जो चाटुकार नहीँ बनना चाहते! लेकिन सवाल ये है कि जो समाज के लिये सोचता है ! देश के लिये लिखता है! और अपनी जान हथेली पर रख कर सारे देश को खबरदार करता है क्या उस पत्रकार को जीने का हक नहीँ है? क्या उसकी कोई सोशल सिक्योरिटी है? होली के रँग उसे याद नहीँ और दिवाली की खुशियाँ मनाने का वक्त उसके पास नहीँ! पिता की बीमारी के बावजूद वो अपने गाँव नहीँ जाता क्योँकि मेन पावर की कमी का रोना रो कर उसका आफ केँसिल कर दिया जाता है! उगता सूरज उसने उस वक्त देखा था जब वो पत्रकारिता की पढाई कर रहा था! उसके बाद से उसे नहीँ पता कब सूरज उगता है और कब डूब जाता है? लाखोँ का पैकेज लेकर देश दुनिया के दुख दर्द की बातेँ करने वाले देश के ये बडे पत्रकार अपनी ही बिरादरी के हक मेँ आवाज़ क्योँ नहीँ उठाते? क्या सफलता इँसान के चेहरे पर मुखौटा लगा देती है? तो आमिर मुखौटा लगा कर क्या गलत कर रहे हैँ? क्योँकि आमिर तो कुछ देर बाद मुखौटा उतार कर ये बता देते हैँ कि मैँ आमिर हूँ! लेकिन क्या हममेँ इतना साहस है? ज़रा सोचिये!<br />(यदि मेरी बात से सहमत ना होँ तो अपने ब्लोग से आप मेरी टिप्पणी हटा सकते हैँ!)abhivyaktihttps://www.blogger.com/profile/00094407999301756228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-71892803519886413352009-12-21T18:12:37.934+05:302009-12-21T18:12:37.934+05:30आप भी...अगर यही बात कोर्ह और लिख देता तो उसके प्रत...आप भी...अगर यही बात कोर्ह और लिख देता तो उसके प्रति पब्लिक का रिस्पांस कुछ और होता। पूण्य प्रसून लिख रहे हैं तो.....यह लेख कुछ वैसा ही लगा जैसा कि आमिर की हरकतें...Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-58342972024957671892009-12-21T16:59:45.033+05:302009-12-21T16:59:45.033+05:30आपने आमिर और उसकी ३ idiots की मार्केटिंग के सम्ब...आपने आमिर और उसकी ३ idiots की मार्केटिंग के सम्बन्ध मे जो कुछ बताया है, ऐसा तो आप मीडिया के लोग और आपकी पत्रकार बिरादरी रोज ही कर रही है, व्यवस्था के लिये गुदगुदी का काम जो इस तरह की त्रासदी को पैदा करती है ! और आमिर की मार्केटिंग को शायद आप और आपकी बिरादरी के अलावा कोई भी गंभीरता से नहीं ले रहा है , और शायद इसी वजह से आपको इसकी सफाई देनी पड़ी ! और ये भी बताना पड़ा की आप चेन्नई आमिर का interview लेने नहीं जा रहे हैं !shaileshhttps://www.blogger.com/profile/11328976145609196220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-33770126595974639432009-12-21T16:21:33.231+05:302009-12-21T16:21:33.231+05:30इससे पहले मैं चंदेरी के बुनकरों के बारे में नहीं ज...इससे पहले मैं चंदेरी के बुनकरों के बारे में नहीं जानता था.. आमिर के वहां जाने से पहले क्यों किसी ने सुध नहीं ली?कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-10819585695265571812009-12-21T15:57:15.697+05:302009-12-21T15:57:15.697+05:30Punya Ji
Sadar Pranam
Kaash asweekar karne ki hi...Punya Ji<br />Sadar Pranam <br /><br />Kaash asweekar karne ki himmat har journalist me hoti . waise khushi hui ye jaan kar koi to itne bade offer ke liye naa kah sakta hai .<br />Aap ki is baat ne Aadarniye Prabhash ji ki yaad dila di , apne antim samay me unohne paid news ki isee parampara ke khilaff andolan ki baat kahi thee.Kisalayahttps://www.blogger.com/profile/05084628993306924275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-71920397664153478652009-12-21T14:26:45.763+05:302009-12-21T14:26:45.763+05:30पुण्य प्रसुन भाई- ये भी एक प्रचार का हिस्सा है, नौ...पुण्य प्रसुन भाई- ये भी एक प्रचार का हिस्सा है, नौटंकी है, लोगों की जेब से इडीयट बनकर पैसा निकालने की ही साजिश है। आपने चदेरी बुनकरों को याद किया, धन्यवाद, आज भारत मे परम्परागत रुप से कार्य करने वाले कारीगरों की हालत बड़ी दयनीय है। कुशल हाथ अब मिट्टी फ़ेंकने पर मजबूर है। जो कभी भारत मे ग्रामीण ईंजिनियर कहलाते थे।<br />पोस्ट के लिए आभारब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-39073258878036206822009-12-21T14:02:51.490+05:302009-12-21T14:02:51.490+05:30आपकी सोच असल में ही युवा है। जिस बात को आपने इतनी ...आपकी सोच असल में ही युवा है। जिस बात को आपने इतनी गंभीरता से पेश किया है, उसको आम जन समझ भी नहीं पाता। वो तो बेचारा चमक धमक देखकर ही लुट जाता है। जैसे राहुल गांधी किसी गरीब के घर में चाय पीकर उसको दिखाता है कि मैं कितने भी उच्च खानदान से क्यों न हूं, देख ले तेरे जैसे के घर भी आया।<br /><br /><a href="http://kulwant84.blogspot.com/2009/12/blog-post_20.html" rel="nofollow">अहिंसा का सही अर्थ</a>Kulwant Happyhttps://www.blogger.com/profile/04322255840764168300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-28720155391644083532009-12-21T13:52:28.067+05:302009-12-21T13:52:28.067+05:30आमिर खान ने ये साबित कर दिया की वे बेहतरीन मार्केट...आमिर खान ने ये साबित कर दिया की वे बेहतरीन मार्केटिंग प्रबंधक है जो मीडिया के साथ साथ जनता को भी अपने वश में कर लेते हैं पर कुछ लोग अभी भी हैं जिन्हें मुखौटे की तह में जाना जरुरी लगता है और आमिर का निमंत्रण भी अस्वीकार हो जाता हैamiteshhttps://www.blogger.com/profile/05923164488045661896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-10680786059613505692009-12-21T13:42:36.815+05:302009-12-21T13:42:36.815+05:30हाँ.. कल रात आज तक को चेन्नई से ही interview दे र...हाँ.. कल रात आज तक को चेन्नई से ही interview दे रहे थे ... और interview लेने वाला ज्यादा हंस रहा था...सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.com