tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post5024279035266591865..comments2024-03-11T07:18:50.122+05:30Comments on पुण्य प्रसून बाजपेयी: बीच बहस में भूकंप के सामने तमाशबीन देशPunya Prasun Bajpaihttp://www.blogger.com/profile/17220361766090025788noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-62876501043539581272015-04-28T14:47:36.798+05:302015-04-28T14:47:36.798+05:30समय बदल रहा तो प्राकृतिक दृश्य भी बदलेगा। कहने क...समय बदल रहा तो प्राकृतिक दृश्य भी बदलेगा। कहने के लिए हम सुरक्षित है? लेकिन हम सुरक्षित है नही ,वजह एक हो तो बताए ! हम हो आप हो लेकिन एक दुसरे की प्रतिस्प्रदा हमै प्राकृतिक संरक्षण के साथ हम लोग खिलवाड़ लगातार करते आरहे है जिसकी वजह से पृथ्वी पर उथल पुथल होना सुरू हो गयी है।क्योंकि प्राकृतिक आपदा मानव निर्मित आपदा होती है।अगर सीधे सरल शब्दों में कहे तो प्रत्येक गलत काम के लिए सजा मिलती है।तो प्रकृति के साथ अन्याय पूर्वक व्यवहार करना। तो इसके लिए पश्चाताप करने के लिए तैयार रहीए ,<br />वक्त की परिस्थिति कहती है । अगर हम सुधरे नही तो प्राकृतिक आपदा अपने नियमो कठोरता से पालन करेगी यह सबसे दुखद बात होगी।<br /><br />अगर बात हम भारत की करे तो यहां पर अत्यधिक मात्रा पेड ककाटे जारहे है,बंजर भूमि की मात्रा भी बड रही है।यहां तक की भौगोलिक परिस्थिति को भी पार कर चुकी है। क्योंकि भारत में हो या दूसरा कोई देश इस विषय पर अधिक बल दे नही रहा है। वजह सिर्फ यहाँ पर भी वही जो छोटे स्तर पर होती है। अपने देश में अधिक से अधिक उध्योग लगाना हो।या मानव संसाधन अधिक से अधिक जुटाना हो।यही मूल वजह है जिसकी वजह से पृथ्वी पर आय दिन global warming जैसी घटना घटती रहती है।<br /><br />मनुष्य अपने कर्मों का खुद भोखी होता है ।क्योंकि व्यक्ति अपने अविसकार से हारता है।<br />समय आगया है अगर हमने प्राकृतिक संरक्षण के बारे मे घहनीता से नही सोचा तो इसे अधिक दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते है।<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08329486237836416688noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-84494633544212480872015-04-27T11:14:42.484+05:302015-04-27T11:14:42.484+05:30एक बात और...वो भी सादर...जिस तरह से डिजास्टर आने क...एक बात और...वो भी सादर...जिस तरह से डिजास्टर आने के बाद मीडिया को डिजास्टर मैनेजमेंट और उसकी तैयारी पर लिखने की याद आती है...उसी तरह से सरकारें भी डिजास्टर आने के बाद डिजास्टर मैनेजमेंट से कमाने की सोचती है...कमा तो दोनो ही रहे हैं...कोई लिख कर तो कोई लिख-पढ़ कर..."क्योंकि हम सब भारतीया हैं, अपनी मंजिल एक है"। :)Ashutosh Mitrahttps://www.blogger.com/profile/12956358435578751392noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-8265597750187706612015-04-27T11:06:28.954+05:302015-04-27T11:06:28.954+05:30"दिल्ली से सटे गुडगाव में रिलायंस को 10117 हे..."दिल्ली से सटे गुडगाव में रिलायंस को 10117 हेक्टेयर जमीन दी गई । जहां ज्वार, बाजरा, धान, गेहू सब होता था । 49 गांव बर्बाद हो गये । इसी तरह महाराष्ट्र के रायगढ में तो 14 हजार हेक्टेयर जमीन पर रिलायंस इंडस्ठ्री खड़ी हुई । यहा तो समूची जमीन ही खेती की थी । 47 गांव बर्बाद हुये लेकिन फिक्र किसे है ।"<br />.....सही कहा जो लोग पढ़लिख कर दिल्ली अपनी किस्मत चमकाने आयें हैं और जिनके सहारे पुराने और आधुनिक सभी प्रकार के राजनीतिक दल अपनी दुकान चमकाने में लगे हैं...वो अधिक जिम्मेदार है...क्योंकि..वो भी तो बड़े शहरों में माल कूटने ही आते हैं समाज सेवा करने नहीं...Ashutosh Mitrahttps://www.blogger.com/profile/12956358435578751392noreply@blogger.com