tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post636271093447535246..comments2024-03-11T07:18:50.122+05:30Comments on पुण्य प्रसून बाजपेयी: सूखे की आहट में मोदी सरकार के हड़बडी भरे कदमPunya Prasun Bajpaihttp://www.blogger.com/profile/17220361766090025788noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-68840611808406128612014-07-02T23:05:03.376+05:302014-07-02T23:05:03.376+05:30Corporate salary और विचार एस पी के कितना सुसंगत अथ...Corporate salary और विचार एस पी के कितना सुसंगत अथवा तर्कसंगत है ?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06908704664414584179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-6179881824076295022014-06-27T20:46:57.407+05:302014-06-27T20:46:57.407+05:30Accha vishleshan hai sir ji.
Shayad abhi Kuch karn...Accha vishleshan hai sir ji.<br />Shayad abhi Kuch karne ki disha mein hai mojuda sarkar.<br />dekhte hai kya kya accha hone wala hai.<br />NAMASKAR! Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02278213236422842791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-10459170421110264412014-06-27T11:59:42.643+05:302014-06-27T11:59:42.643+05:30कोई एसपी की जगह रेप्लस कर सकता है तो वो हैं पुण्य...कोई एसपी की जगह रेप्लस कर सकता है तो वो हैं पुण्य प्रसून बाजपाई। एसपी ख़बरों की सतह तक जाते थे और आप भी खबरों की आत्मा को पकड़ते हैं..27 जून को आज सुरेन्द्र प्रताप की बरसी पर जरूरत है कि उनकी पत्रकारिता को समझा जाये। उनके साथ से निकले तमाम लोग आज भी उनकी तरह की पत्रकारिता क्यों नहीं कर पा रहे हैं ? आप में ही प्रसून जी कुछ झलक एसपी की दिखती है। आपका दस्तक का अंदाज़ और आपके लेख। आपकी दाढ़ी ! आपका पहनावा। लेकिन एसपी टेलीविज़न के आदमी नहीं थे. एसपी जर्नलिस्ट थे। आपने ने ही तो कहा था न !!!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10226517594298167588noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-20444141040417867512014-06-27T07:38:15.952+05:302014-06-27T07:38:15.952+05:30जनाब भाजपा के घोषणा पत्र में था की जी डी पी को एक ...जनाब भाजपा के घोषणा पत्र में था की जी डी पी को एक तिहाई खेती, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज पर विकसित करेंगे। लेकिन 67 बरस की कुव्यवस्था का ठीकरा 1 महीने की सरकार पर फोड़ने का काम कुछ क्रन्तिकारी राजनेता और न्यूज़ ट्रेडर्स करने में लग गए हैं। फ़ूड सिक्यूरिटी का क्या होना है, ये पहले से ही जगजाहिर था क्योंकि राशन की दुकानों से अनाज का वितरण जो राज्यों के जिम्मे आता है, उसके क्या हाल हैं ये सब जानते हैं। और फ़ेडरल स्ट्रक्चर के नाम पर राज्य के काम में केंद्र दखल दे नहीं सकता । येही कारण है की जिस मनरेगा को मैडम सोनिया का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा गया, उसमे सबसे बुरा प्रदर्शन कांग्रेसी राज्यों का ही रहा है। और फ़ूड सिक्यूरिटी में जहाँ छत्तीसगढ़ जैसे राज्य ने देश के सामने केंद्र के बिल से पहले ही सर्वोच्च उदाहरण प्रस्तुत किया , उसकी भी फ़ेडरल स्ट्रक्चर के नाम पर कांग्रेसी सरकार ने धज्जियाँ उड़ा दी। तो भोजन अधिकार बिल के छेद अपनी जगह हैं, लेकिन एक सच यह भी है की अगर केंद्र के कानून को राज्य लागू नहीं कर पाए तो कौन जिम्मेदार होगा? इसीलिए cctv से मॉनिटरिंग की जरुरत है। क्योंकि अखिलेश और ममता दीदी जैसे चौपट राजाओ से कुछ ज्यादा उम्मीद भी नहीं है इसे लागू करने की। और दूसरी तरफ कुछ स्वम्भू क्रन्तिकारी राजनेता और न्यूज़ ट्रेडर्स हैं, जो तस्वीर का एक पहलू पेश कर जनता को गुमराह करना अपना अधिकार समझते हैं, ठीक भोजन अधिकार की तरह।<br /><br /><br />Anonymousnoreply@blogger.com