tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post7186376459303467206..comments2024-03-11T07:18:50.122+05:30Comments on पुण्य प्रसून बाजपेयी: आंदोलन की रोशनी सियासी अंधेरे में कैसे बदल गई ?Punya Prasun Bajpaihttp://www.blogger.com/profile/17220361766090025788noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-68638022485173658922015-04-25T11:37:48.983+05:302015-04-25T11:37:48.983+05:30Nice Article sir, Keep Going on... I am really imp...Nice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us.. <a href="http://www.happyindependenceday.org" rel="nofollow">Happy Independence Day 2015</a>, <a href="http://www.indgovtjobs.org/2015/04/latest-government-jobs.html" rel="nofollow">Latest Government Jobs</a>. <a href="http://www.topbestlist.org" rel="nofollow">Top 10 Website</a>DOThttps://www.blogger.com/profile/09337423507270158061noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-25179188910192811582015-04-23T11:40:13.123+05:302015-04-23T11:40:13.123+05:30sir you forgot to mention govt job provided to nav...sir you forgot to mention govt job provided to naveen jaihind wifeviahttps://www.blogger.com/profile/04040279561614704451noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-73306744702160027612015-04-22T13:00:50.102+05:302015-04-22T13:00:50.102+05:30अगर बात भारतीय राजनीति की करे तो हमेशा से एक ही बा...अगर बात भारतीय राजनीति की करे तो हमेशा से एक ही बात याद आती ; और याद आती रहेगी ,अगर हम बदले तो राजनीति बदल जायगी और राजनीतिक हम कर नही पाएंगे; वजह सिर्फ मुद्दों की हो या विकास की; राजनीति सिर्फ एक जुमला ही जो हर पार्टी अपने हिसाब से बताकर सत्ता मे आने का रास्ता बनाती रही है ।बात काग्रेस की ,BJP,AAP...SP,BSPया दूसरी कोई और पार्टी सब अपने तरीके से विसाख बिछाती है ,सत्ता मे आती है। बात पार्टी प्रचार करने का तरीका भलेही अलग अलग ;लेकिन सियासत एक ही तरह से करती है, बीते एक साल में भारत में राजनीति प्रचार प्रसार के द्वारा की जार रही है, भले प्रेस मिडिया,इलैक्टोनिक मिडिया, बात नरेंद्र मोदी की हो बो हमेशा अपने भाषण में उपलब्धियाँ का व्यखान करते नजर आते है, अगर केजरीवाल की राजनीतिक पाठशाला की हो तो अपने अलग तरह की राजनीति कहते हुए नजर आते है, बात कहे तो इतनी सी है जहाँ हर कोई सत्ता मे आकर सत्ता का सुख भोगना चहाता है।<br />धारा के साथ बिचारधारा और सोच एक कभी हो नही सकती है।<br />क्योंकि राजनीति सत्ता साधने के लिए की जाती रही है।मुद्दा बिजली पानी का हो या विकास का ,राजनीति सिर्फ एक जुमला बन चुकी है।<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08329486237836416688noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-3208952117969881732015-04-22T12:19:57.540+05:302015-04-22T12:19:57.540+05:30प्रसून जी भारत में कम ही पत्रकार बचे है जिनसे संवा...प्रसून जी भारत में कम ही पत्रकार बचे है जिनसे संवाद करने का मन करे. इस आंदोलन को राजनैतिक दिशा देने का पहला सुझाव आपकी और से ही आया था, इसलिए इस आंदोलन से आपके जुड़ाव को समझ सकता हु.<br />वर्तमान समस्या पर आपका विश्लेषण काफी Superficial है. टकराव यदि केवल जमीनी कार्यकर्ताओ और विचारको के बीच होता तो भी स्थिति ऐसी न होती। वर्तमान में पार्टी की कमान संभाले नेताओ में जमीनी कार्यकर्त्ता नहीं बल्कि पत्रकार (जो दिल्ली में जीत के बाद पार्टी से जुड़े) और एक सचिव जिन्होने पार्टी बनने के बाद ही इस आंदोलन में रूचि दिखाई है. आपके ब्लॉग में लिखे अनुसार यदि इस आंदोलन से और जमीन जुड़े (संतोष कोली) निर्णय कर्ताओ में होते तो कार्यकर्ताओ में असंतोष नहीं होता। साथ ही ब्लॉग में शायद आपने भी इस आंदोलन को दिल्ली की क्षेत्रीय पार्टी मान लिया। इस आंदोलन की लौ को देश के कोने कोने में कई निस्वार्थ कार्यकर्ता अपने घरो को फंक कर संभाले हुए थे. वहा न आपके कैमरे पहुंचे न दिल्ली के नेता। उन सभी को केवल एक ही उम्मीद थी की एक बार यह प्रयोग दिल्ली में सफल हो जाए उसके बाद उन सभी गलतियो को सुधारा जायेगा जो इस पहले मुकाम को हासिल करने की जद्दोजहद में हो चुकी। उम्मीद थी की दिल्ली का मॉडल पुरे देश में एक मिसाल पेश करेगा साफ सुथरी राजनीति की जिसमे जाती, धर्म, पैसा, बाहुबल की कोई जगह न हो, जहा केवल आम आदमी की जिंदाबाद हो नेताओ की नहीं। Dr Rakesh Parikhhttps://www.blogger.com/profile/08475753088074026831noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-59101975301084310062015-04-21T22:15:53.269+05:302015-04-21T22:15:53.269+05:30अन्ना हज़ारे, बाबा रामदेव, किरण बेदी, मेधा पाटकर , ...अन्ना हज़ारे, बाबा रामदेव, किरण बेदी, मेधा पाटकर , योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण, शांति भूषण और ऐसे कई अन्य जाने माने लोग हैं जिनको केजरू ने ख़ुद की मार्केटिंग के लिए इस्तेमाल किया, क्योंकि 4 बरस पहले केजरू कौन है ये कोई नहीं जानता था लेकिन बाकी सब लोग अपने-अपने क्षेत्र की नामी-गिरामी हस्तियां थीं। केजरू इन सब को सीढ़ी बनाकर अपनी राजनीती चमकाता रहा और सत्ता मिली तो एक-एक कर सबको किनारे कर दिया। अब इस लिस्ट में आपका नाम है या नहीं, ये तो आप ही बेहतर जानते हो। कोई मूर्ख ही होगा जो इस बात पर यकीन करेगा की केजरू ने मनमोहन सरकार के भ्रष्ट मंत्रियों के ख़िलाफ़ 15 दिन का अनशन पार्टी बनाने के लिए नहीं किया था। ये तो सिर्फ पार्टी बनाने की भूमिका बांधने के लिए हुआ सोचा-समझा खेल था, और सत्ता पाने के जुगाड़ से लेकर सत्ता पाने के बाद तक जो भी कर रहा है वो लिखी-लिखाई स्क्रिप्ट पे होता है। अब 2 महीने में केजरू ये कहने लगा है की सिर्फ 40% वादे ही पूरे हो पायेंगे 5 साल में। अब आटे-दाल का भाव पता चला, बाहर खड़ा होकर आरोप लगाना तो बहुत आसान है, लेकिन सत्ता में आ कर काम कर दिखाना क्या होता है, ये केजरू को अब पता चल रहा है। वैसे उसके जीवन का ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो अभी तक हर काम से छोड़ कर भागता ही रहा है।Anonymousnoreply@blogger.com