tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post7907281070320371373..comments2024-03-11T07:18:50.122+05:30Comments on पुण्य प्रसून बाजपेयी: आडवाणी के बाद शुरु होगी संघ की असल पारीPunya Prasun Bajpaihttp://www.blogger.com/profile/17220361766090025788noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-70195136744814342162009-04-08T00:37:00.000+05:302009-04-08T00:37:00.000+05:30Mere khyal se sangh ke bare me kuch kahne se pahle...Mere khyal se sangh ke bare me kuch kahne se pahle sangh ko jan lena jaruri hai. Kyuon ki jo sangh media me hai ya media jesa dhikhat hai sangh ka usse o partisat bhi smbandh nahi hai.ABVP HARYANAhttps://www.blogger.com/profile/05438716948290298749noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-46835272239821736112009-04-06T12:42:00.000+05:302009-04-06T12:42:00.000+05:30संघ का सही विश्लेषण आपने किया है, इंतज़ार रहेगा आप...संघ का सही विश्लेषण आपने किया है, इंतज़ार रहेगा आपकी अगली पोस्ट का।<BR/>पढ़ा तो आपको कई बार, लेकिन, प्रतिक्रिया पहली बार कर रहा हूँ।Pawan Kumar Sharmahttps://www.blogger.com/profile/04738864595169202679noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-84014588712863586232009-04-04T23:30:00.000+05:302009-04-04T23:30:00.000+05:30बाजपेयी जी, शालीन शब्दों में कुछ बातें कहना चाहूँग...बाजपेयी जी, शालीन शब्दों में कुछ बातें कहना चाहूँगा। उम्मीद है आप अन्यथा नहीं लेंगे। पढ़ा तो आपको कई बार, लेकिन, प्रतिक्रिया पहली बार कर रहा हूँ। शायद इसलिए कि कभी आपके चिट्ठे में देखा ही नहीं कि आपने किसी प्रतिक्रिया का जवाब दिया हो। ख़ैर, ऐसा माना जाता है कि मीडिया वालों को निष्पक्ष होना चाहिये, लेकिनी अजीब बात है, कोई भी आदमी आपAANDOLANhttps://www.blogger.com/profile/04344234719174004506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-41846527827180383452009-04-04T14:33:00.000+05:302009-04-04T14:33:00.000+05:30SANGH ACHHA HAI YA BURA , PAR JIS TARAH SE PES KIA...SANGH ACHHA HAI YA BURA , PAR JIS TARAH SE PES KIAA JA RAHA HAI , YE USKE SATH JYADTI HAI. SANGH KA HAMESA UGR ROOP HI SAAMNE RAKHAA JATA HAI, JABKI USKI SHANT CHABI KO KOI TAWJJO NAHI DI JAATI. AAJ BHALE HI KISI DHARM KO AIK BAINAR KE TALE AASANI SE LAYA JA SAKTA HAI YADI ASPECTS CLEAR HAI PAR HINDUWO KO AIK JHANDE KE TALE LANA AIK ASAMBHAW SA KAM HAI. KAM SE KAM JATIWAD KA ROG JO AAJ KE RAJNITI KI PRANWAYOO HAI, USE RSS ME JAGAH TAK NAHI HAI. YE KAHNE ME KOI HICHAK NAHI KI JIS TARAH AUR DHARM KHULKAR APNE DHARM KA PRCHAR YA BAKHAN BHARAT ME HI KARTE HAI , WAHA HINDU DHARM IS ROOP ME KOSO DUR HAI. YAHA KAHI N KAHI ISTHAPIT SOCH SE HATKAR SOCHNE KI BAAT HONI CHAHIYE. YE JAROOR HAI KI BHAGWAT JI NE BHASAN ME KAI BAAR HINDU SHABD KAHA PAR WAQUI RSS ANTI MUSLIM NAHI HAI, YAHA TAK KI ISTHAPNA KE SAMAY BHI YE SOCH NAHI THI VANSAPTI KI APNE HI CULTURE KO PREVAIL KARNE KI. JIS HINDU KI WO BAAT KAR RAHE THE WO DHRAM SE JYADA KUCH AUR THA AUR WO THA HINDU CULTURE JISKA CHETR KAPHI VISTRIT HAI.JIN MUDDO PAR RSS CHALNA CHAHTI HAI WO KAM SE KAM BHRAT KO BATTE NAHI HAI PAR AAKLAN IS KADAR KIAA JATA HAI KI YE LAGE KI RSS BHI KATTARTA KA HI ANUMODAN KARTI HAI. IS GADHE AUR ISTHAPIT SOCH KO PHIR SE KHANGLANE AUR TATOLANE KI JAROORAT HAI.KISI BHI INSTITUTION KI APNI KAMIAA HOTI HAI AUR ISLIYE RSS KE HAR POINT PAR RIGHT KA NISAN NAHI LAGAYA JA SAKTA. KAM SA KAM RSS KO SAMPRDAIKTA KE CHASME SE DEKHAKAR KOI BHI SAHI BISLESAR TO NAHI HI KIAA JA SAKTA.RSS KO JO TEWAR CHAHIYE THA USE BHAGWAT BAHUT HAD TAK PURA KARTE HAI PAR JAROORAT HAI KI RAJNITI KE US RANG KO SANGH PAR N CHADHNE DE JO SUDARSAN KE SAMAY KAPHI GHADHA HO GAYA THA.Sarita Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/12249338250065099175noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-69147492516492444082009-04-04T12:29:00.000+05:302009-04-04T12:29:00.000+05:30चंदन भाई, आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि संघ की अस...चंदन भाई, आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि संघ की असली विचारधारा के लिए सबसे प्रामाणिक किताब गुरू गोलवलकर की 'वी एंड अवर नेशनहुड डिफाइंड' है जिसे खुद संघ प्रकाशनों से गायब कर दिया गया है। अगर आप ढूंढ़ सकें और अपने ब्लॉग पर उसे उद्धृत कर सकें तो लोगों की काफी ज्ञानवृद्धि होगी।Kapilhttps://www.blogger.com/profile/15871506466698035418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-49252002903572654042009-04-04T11:45:00.000+05:302009-04-04T11:45:00.000+05:30आपका लेख सत्यता से लाखो कोस दुर है सिर्फ कोर-कल्पि...आपका लेख सत्यता से लाखो कोस दुर है सिर्फ कोर-कल्पित <BR/>कृप्या संघ को समझने के लिये <B> संघ रुप दर्शन </B> किताब पढीये।चौहानhttps://www.blogger.com/profile/04795051118467777088noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-50744955308506436052009-04-04T09:09:00.000+05:302009-04-04T09:09:00.000+05:30www.prakharhindu.blogspot.comनया आलेख पढ़िए..........www.prakharhindu.blogspot.com<BR/>नया आलेख पढ़िए.....<BR/><BR/>............सच तो ये है कि वरुण जैसे नेता देश या धर्म की नहीं सोचते अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश में लगे रहते हैं। देशद्रोह, गद्दारी और हिंसा तो मुसलमानों के रक्त में व्याप्त है वो अपने नैसर्गिक गुणों को नहीं त्याग सकता। ये तो अल्लाह का नूर है जो मुहम्मद के मुख से टपका है और मुसलमान उसे बटोर बटोर कर इंसानों तक पहुँचा रहे हैं। आतंकवाद एक आम मुसलमान का फुल टाइम जॉब है पर वरुण जैसे नेताओं को इसका ध्यान केवल चुनावी मौसम में आता है। तब कहाँ थे वरुण गाँधी जब 13 मई 2008 को जयपुर घायल हुआ था, अहमदाबाद में हिन्दू मरा था और बेंगलुरु रोया था? क्या उन्हें 13 सितम्बर को दिल्ली का क्रन्दन नहीं सुनाई दिया। तब इसलाम ने पशुता की सारी सीमाएँ लाँघ डाली थीं और वरुण गाँधी कहीं नहीं थे। वरुण तो वरुण हिन्दुत्व के महानायक नरेंद्र मोदी क्या कर रहे थे?............<BR/><BR/><BR/><BR/>www.prakharhindu.blogspot.comprakharhindutvahttps://www.blogger.com/profile/06759795008994768937noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-47276305664263354422009-04-03T22:09:00.000+05:302009-04-03T22:09:00.000+05:30चुनाव आते ही सारे न्यूज़ चैनेल वाले भाई लोग भाजपा ...चुनाव आते ही सारे न्यूज़ चैनेल वाले भाई लोग भाजपा के पीछे पड़ गए हैं | ऐसा लग रहा है जैसे भाजपा ५ साल शाशन चलाया है और सब उसका खाल निकालने पर लगे हैं ! पत्रकार लोग फैसला लिए की २६/११ को मुद्दा नहीं बनाने देंगे, उसपर राजनीती नहीं होने देंगे ! गुजरात को भूलने नहीं देंगे लेकिन गोधरा शब्द का उच्चारण भी नहीं करेंगे ! पाच साल में सरकार ने क्या क्या नहीं किया वो मुद्दा हम नहीं उठाएंगे लेकिन अडवाणी और मोदी ने १० साल पहले क्या किया उसका मुद्दा जरूर उठायेंगे ! भाजपा हिंदुत्वा या वरुण का मुद्दा उठाए या नहीं लेकिन मीडिया उसको जरूर मुद्दा उठाएगा ! आतंग्वाद इस कदर बढ़ गया की मुंबई में ३ दिन तक मुल्ली गाजर की तरह काटा सब लेकिन हम सर्कार को शाबाशी देंगे ! महंगाई इतनी बढ़ गयी की आम आदमी तड़प रहा है ! बेरोजगारी और जॉब लॉस इतना है की लोग खुद्कुसियाँ कर रहे हैं लेकिन मीडिया चुनाव तक चुप्पी साधे रहेगा ! वरुण हाथ काटे या नहीं लेकिन मुंबई में राज नाम का एक आदमी कितने उत्तर भारतियों का कमाने वाला हाथ काट कर वापस भेज दिया ! मीडिया चुप्पी साधे रहेगा ! ये कटे हाथ टी वि चैनेल के स्टूडियो में नहीं दिखाई देगा! ये बिहार यु पी के गावों में दिखाई देता है ! रासुका नाम का भुत उस राज नाम के चिडिया पर नहीं लग सकता है ! मीडिया तो चुनाव तक गाँधी के तीन बन्दर टाइप सब कुछ बंद कर रखा है ! खैर वोट देने वाले लोग ये सब नहीं देख रहे हैं. <BR/><BR/>जो हो रहा है आज कल टी वि चैनलों पर वो देश के हित के लिए ठीक नहीं है !उपाध्यायजी(Upadhyayjee)https://www.blogger.com/profile/18237857671780290231noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-87606108353754698452009-04-03T21:13:00.000+05:302009-04-03T21:13:00.000+05:30अगर यह देश हिन्दूओं का है तो पहले संविधान में सर्व...अगर यह देश हिन्दूओं का है तो पहले संविधान में सर्वधर्म शब्द का अर्थ बदलना ही होगा ? अगर सभी का है तो इन हिन्दूओं की धमकिओं को भी उसही नजर से देखना होगा जैसा मुस्लिम संगठन सीमी को देखा जाता है। अगर एक संगठन, जाति, धर्म आदि के धमकी दें तो देश का अपमान और दूसरी जाति, संगठन, धर्म वाले याने हिन्दू कुछ भी करें तो सही ? एक के लिये कानून लागू होगा दूसरे के लिये नहीं चाहे अपराध एकसा होने पर भेदभाव क्यों ? कानून में समानता का अधिकार है तो कानून लागू भी तो समान ही होना चाहिये ? यह भेदभाव क्यों ? - http://pinkcitygold.blogspot.com/पिंक सिटी गोल्डhttps://www.blogger.com/profile/02523129696774167218noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-40919087014501725432009-04-03T19:19:00.000+05:302009-04-03T19:19:00.000+05:30मुझे लगता है भागवत या उनके रूप में संघ के उग्रहिन्...मुझे लगता है भागवत या उनके रूप में संघ के उग्रहिन्दुत्व की लाइन पर जोर देने को व्यापक सामाजिक-आर्थिक हालात में हमें समझना चाहिए। पूरी दुनिया में पूंजीवादी व्यवस्था आज संकट के मुहाने पर खड़ी है। लाखों लोगों की नौकरी जाने और 1930 की महान मन्दी से खराब हालात पैदा होने की बात लगभग तय माननी चाहिए। ऐसे समय में खासकर पिछड़े देशों में आम जनता बुनियादी मुद्दों जैसे रोजगार, गरीबी, भूख आदि पर गोलबंद होने लगती है। जो कि जाहिरा तौर पर पूरे शासक वर्ग के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करती है। पूंजीवाद के पास इस गंभीर संकट से निपटने का एक औजार फासीवाद होता है। इस औजार की मदद से नस्ल, धर्म, क्षेत्र आदि के नाम पर जनता का ध्यान बुनियादी समस्याओं की जड़ से हटाकर लोगों को आपस में लड़ाने का काम शासक वर्ग करता है। 1930 की मन्दी के बाद हिटलर का उदय इसी तथ्य की ओर इशारा करता है। मौजूदा मन्दी के दुष्परिणाम जैसे ही लोगों को हमारे देश में भी गोलबंद करने लगेंगे, उम्मीद की जानी चाहिए कि फासीवादी या सटीक शब्दों में संघ की राजनीति ज्यादा से ज्यादा उग्र होती जाएगी। मोहन भागवत का आना किसी उग्र व्यक्ति के आने की बजाए उस राजनीतिक संकटमोचक उपाय का आना है जो पूंजीवाद अपने तरकश में संकट के लिए बचा कर रखता है।Kapilhttps://www.blogger.com/profile/15871506466698035418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-3917867644583077752009-04-03T19:12:00.000+05:302009-04-03T19:12:00.000+05:30संघ का सही विश्लेषण आपने किया हैसंघ का सही विश्लेषण आपने किया हैरूपाली मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/14790114215632305044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-15894272490882277392009-04-03T15:33:00.000+05:302009-04-03T15:33:00.000+05:30बाजपेयी जी, शालीन शब्दों में कुछ बातें कहना चाहूँग...बाजपेयी जी, शालीन शब्दों में कुछ बातें कहना चाहूँगा। उम्मीद है आप अन्यथा नहीं लेंगे। पढ़ा तो आपको कई बार, लेकिन, प्रतिक्रिया पहली बार कर रहा हूँ। शायद इसलिए कि कभी आपके चिट्ठे में देखा ही नहीं कि आपने किसी प्रतिक्रिया का जवाब दिया हो। ख़ैर, ऐसा माना जाता है कि मीडिया वालों को निष्पक्ष होना चाहिये, लेकिनी अजीब बात है, कोई भी आदमी आप लोगों को सुनकर आपकी सोच को समझ सकता है। दूसरी बात कि आप जैसे लोग प्रतिक्रिया के विरुद्ध प्रतिक्रिया देते हैं, क्रिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कभी न पढ़ा, न सुना। कहने का मतलब है कि भारत शुरू से कभी साम्प्रादायिक नहीं रहा, इतना तो आप भी मानते होंगे। लेकिन, कभी आपने सोचा कि आज ये बातें क्यों उभर रही हैं? तस्लीमा नसरीन पर हमला करने वाले, फिर मीडिया के सामने अगली बार न चूकने का वायदा करने वाले, भारत पर पुन: इस्लामी शासन की इच्छा व्यक्त करने वाले इमाम बुखारी, कार्टूनिस्ट का सिर माँगनेवाले चरमपंथी, इन सब पर आपकी कलम चलती हुई कभी नहीं देखी। इतना पढ़ने तक आप तुरत मुझे एक हिन्दुवादी सोच लेंगे, लेकिन इसे ही मशीनी सोच कहते हैं जो पूर्वाग्रह पकड़ता है, तर्क नहीं। कभी समान आचार संहिता, 371, कश्मीर से निर्वासित कश्मीरियों पर भी अपनी राय दीजिये, तो हमें अच्छा लगे। आप दशक का अंतर बताकर जनता की बात करते हैं, फिर मोदी की बात करते हैं, मोदी की विकास-पहलों की भी बात करें, जनता द्वारा उन्हें दुबारा चुने जाने की भी बात करें। इंसान के विरुद्ध कोई नहीं, लेकिन जो केवल मुसलमान हो, जिसे वंदे मातरम घटिया लगता हो, जिसकी नज़र में इस्लाम की सदियों पुरानी शिक्षा ही ब्रह्म वाक्य हो, जिसे तर्क पर बात करना नागवार गुज़रता हो, उससे भाईचारा निभाने के ज़रा कारण तो बताइये। और फिर यह मत भूलिये कि कट्टर से कट्टर हिन्दू भी रहीम, बाबा फ़रीद, रसख़ान से लेकर अपने अब्दुल कलाम साहब तक को सम्मान क्यों देता है? इंतज़ार रहेगा आपकी अगली पोस्ट का।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-12119099359816834702009-04-03T14:37:00.000+05:302009-04-03T14:37:00.000+05:30मूल राजनैतिक संगठन संघ ही है, बीजेपी उस का मुखौटा ...मूल राजनैतिक संगठन संघ ही है, बीजेपी उस का मुखौटा भर है। कोटा में बीजेपी में काम कर रहे सभी नेताओं को धता बता कर एक सरकारी अफसर और संघ कार्यकर्ता को चुनाव मैदान में उतारा गया है। अब जनता को फैसला करना है कि वे किसे पसंद करते हैं? पर यह तो निश्चय है कि इस बार बीजेपी के सैनिक चुनाव युद्ध में औरों से लड़ते हुए भी आपस में अधिक संघर्षरत रहेंगे।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com