tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post8646294903476680239..comments2024-03-11T07:18:50.122+05:30Comments on पुण्य प्रसून बाजपेयी: गधा, गरीब, सत्ता और चुनावPunya Prasun Bajpaihttp://www.blogger.com/profile/17220361766090025788noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-52496610326421838022017-02-27T18:59:28.614+05:302017-02-27T18:59:28.614+05:30Sir, I am your big big big fan , i read all your a...Sir, I am your big big big fan , i read all your article , all are very enthusiastic and revolutionary , Salute you . Thanks .Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16278692859066074235noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-895731854664285372017-02-24T08:08:47.850+05:302017-02-24T08:08:47.850+05:30समीकरण कुछ यूं है...
गधा- पीएम
गरीब - जनता
सत्ता -...समीकरण कुछ यूं है...<br />गधा- पीएम<br />गरीब - जनता<br />सत्ता - मीडिया+विपक्ष+विदेशी माल के भूखे एनजीओ+तथाकथित अझादी के जियाले <br />चुनाव - वो हथियार जिससे "गधा" परंपरागत रूप से "सत्ता" रहे लोगों को एकस्पोज़ कर रहा है।<br /><br />आपके समीकरण में सत्ता में बैठे (मीडिया+विपक्ष+विदेशी माल के भूखे एनजीओ+तथाकथित अझादी के जियाले) लोगों को व्यक्ति विशेष से जिस हद तक घृणा है आम जनता उतना ही अधिक उससे प्रेम करती है। वो भी उस सत्ता के पुराने समीकरणों से ऊपर उठकर। गर्दन के ऊपर का हिस्सा जिसे सिर कहते हैं उसे जमीन से बाहर निकालिए तो सबस साफ दिखेगा...Ashutosh Mitrahttps://www.blogger.com/profile/12956358435578751392noreply@blogger.com