tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post9145800929135649613..comments2024-03-11T07:18:50.122+05:30Comments on पुण्य प्रसून बाजपेयी: जिन्हें नाज है हिन्द पर वह कठघरे में हैPunya Prasun Bajpaihttp://www.blogger.com/profile/17220361766090025788noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-21655734283227502322013-01-05T02:49:55.614+05:302013-01-05T02:49:55.614+05:30gr8 sir you r always king in journalism
jai hind
h...gr8 sir you r always king in journalism<br />jai hind<br />happy new year u n ur family<br /><br />manvendraAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/15852091931841848244noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-8447081411031876562013-01-05T02:47:30.596+05:302013-01-05T02:47:30.596+05:30gr8 sir you r always king in journalism
jai hind
h...gr8 sir you r always king in journalism<br />jai hind<br />happy new year u n ur family<br /><br />manvendraAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/15852091931841848244noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-78550601223324044832013-01-01T17:46:24.540+05:302013-01-01T17:46:24.540+05:30अभी खबर मिली है। आप जी न्यूज छोड़ गए। बधाई!
नववर्...अभी खबर मिली है। आप जी न्यूज छोड़ गए। बधाई! <br />नववर्ष पर शुभकामनाएँ! आप के सभी संकल्प पूरे हों!<br />दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-42826969018386544872013-01-01T13:06:20.298+05:302013-01-01T13:06:20.298+05:30मौजूदा सरकार का लक्ष्य तो केवल आते हुए संघर्ष या स...मौजूदा सरकार का लक्ष्य तो केवल आते हुए संघर्ष या स्थिति को किसी भी सूरत में घडियाली आसू दिखाकर या रौंदकर अगले चुनाव तक सत्ता में टिके रहना ही है। कड़े कानून बनाने से पहले समाज का हर वो आईना बदलना होगा जिसमे समाज की सूरत वेहशी दिखे। हर सरकार कानून बनाते हुए अपने गिरबान तले पल रहे दागी लोगों को भी उसके अन्दर लाये जिससे कांडा, शर्मा जैसो की हिम्मत धराशाही हो जाए। एक शव को पुलिस सुरक्षा मिलने से बेहतर है आम आदमी को मिले ताकि वह शव में तब्दील ना हो। मिडिया भी नैतिकता की तर्ज पर समाज सुधार में अपना योगदान दे ना की केवल रफ्तार भरी खबरों के बिच अपना कॉर्पोरेट मुनाफ़ा बनाकर बुनियादी खबर को दरकिनार कर दे। <br /><br />"ये पुरापे, ये गलियाँ, ये बदनाम बाज़ार <br />ये गुमनाम राही, ये सिक्कों की झंकार <br />ये इस्मत के सौदे, ये सौदों पे तकरार <br /><br />ज़रा मुल्क के रहबरों को बुलाओ<br />ये कुचे, ये गलियाँ, ये मंजर दिखाओ <br />जिन्हें नाज है हिंद पे वह कहाँ है?"सफ़रhttps://www.blogger.com/profile/08593010247542049538noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-54125722681650834312013-01-01T13:04:24.563+05:302013-01-01T13:04:24.563+05:30This comment has been removed by the author.सफ़रhttps://www.blogger.com/profile/08593010247542049538noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-89301382845970391502013-01-01T12:49:53.653+05:302013-01-01T12:49:53.653+05:30Sir, No badi khabar ? Sir, No badi khabar ? Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10127729496571723469noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-3918638261999429992013-01-01T11:41:57.415+05:302013-01-01T11:41:57.415+05:30बेकार खुजली मिटाने का रोना हैं,
कोऐ के पिछे भागन...बेकार खुजली मिटाने का रोना हैं, <br />कोऐ के पिछे भागने के बजाय अपने कान पर हाथ रखे, विपक्ष भूमिका में मीडिया इन लोकलुभावने नारो को इसीलिऐ जमाऐ रखना चाहता हैं कि जंतर मंतर पर एक कैमरा टांग कर 24 घंटे के समाचार के नाम पर विज्ञापन चलाऐ रखे जिन्हे व्यवस्था को कोसने का भी पैसा मिलता हैं ,<br /> जरा खिडकी खोल कर देखिये हमारी तथाकथित प्रगतिशील कह लाने वाली युवा किस तरह बेलगाम हैं जो पल्लू संस्कार और मर्यादा के लिऐ दिया गया था उससे सडको पर मूंह छिपा ब्याभिचार किया जा रहा हैं इनके सब कर्म understood हैं, खामियाजा मध्यमवर्गीय, अपेक्षाकर्त कम खूबसूरत परिवार के लिऐ लडती मरती लडकी को भुगतना पड रहा हैं, हम अपने को सुधारये यही बेहतर हैं नही तो सच हैं कि शाम को कैडल जला शेखी बघार कर रात को पब में मटकने वाली जमात खुद depression का शिकार हो रही हैं जिनके लिऐ हर गली मेंसरकारो ने नशाखोरी की दूकाने खोल रखी हैं सतीश कुमार चौहानhttps://www.blogger.com/profile/00624509331785485261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-64109720075511053192013-01-01T11:09:34.501+05:302013-01-01T11:09:34.501+05:30हम पोस्टों को आंकते नहीं , बांटते भर हैं , सो आज भ...<a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/12/2012.html" rel="nofollow">हम पोस्टों को आंकते नहीं , बांटते भर हैं , सो आज भी बांटी हैं कुछ पोस्टें , एक आपकी भी है , लिंक पर चटका लगा दें आप पहुंच जाएंगे , आज की बुलेटिन पोस्ट पर </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-1181322261810375242013-01-01T00:57:32.981+05:302013-01-01T00:57:32.981+05:30आदरणीय प्रसूनजी,
देश के निति निर्धारक हमें जिस व...आदरणीय प्रसूनजी,<br /><br />देश के निति निर्धारक हमें जिस व्यक्ती प्रधान समाज की ओर ले जाना चाहते हैं, वहीँ पर पुलिस का रोल है । हमारे भारतीय संस्कृति में व्यक्ति, दम्पति, परिवार, समाज और राष्ट्र सबका का बेजोड़ ताल मेल था और शायद इसलिए पुलिस की आवश्यकता नहीं थी । आपने जो "सामाजिक बहिस्कार" की जो बात कही वही तो था हमारे भारतीय समाज की रीढ़ की हड्डी। कोई गलत करने से पहले दो बार जरूर सोचता होगा की इसके दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं ।<br /><br />अपने इतिहास को भुलाकर कोई भी देश अपने लिए अपना उत्तम भविष्य नहीं बना सकता । यहाँ के family system को बर्बाद करके ये लोग देश को बर्बादी के रस्ते पर ही ले जा रहे हैं ।<br /><br />ब्रजेश,<br />मुंबई Brajeshhttps://www.blogger.com/profile/05627917656758646941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-15179847352333945792012-12-31T16:32:23.626+05:302012-12-31T16:32:23.626+05:30यही है शासन करने की सर्वश्रैष्ठ पद्धत्ति-लोकतांत्र...यही है शासन करने की सर्वश्रैष्ठ पद्धत्ति-लोकतांत्रिक गणराज्य। क्या किया जाए, समझ से परे लगता है। आप इसके लिए सत्ता प्रतिष्ठानोँ को दोष देते है लेकिन मुझे जनता का ही मिजाज समझ मेँ नहीँ आता.!! 2004 मेँ एनडीए के अटल बिहारी क्या इतने बुरे थें.? अन्ना के आन्दोलन मेँ क्या कमियाँ जनता को लगी जो दोबारा तिबारा जाने मेँ घबराने लगी.? 5 सालोँ मेँ उ.प्र. की जनता मुलायम सरकार की करतूतोँ को भूल गई जो फिर 5 सालोँ के लिए ताज पहना दिया.? वीरभद्र सिंह को भ्रष्टाचार के खिलाफ केन्द्र मेँ मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा वे मुख्यमंत्री बन गए, खण्डूरी के लोकायुक्त की अन्ना ने तारीफ की लेकिन मुख्यमंत्रित्व के साथ साथ विधायकी भी चली गई.!!<br />हो सकता है इन हार जीत के पीछे अन्य कारण होँ लेकिन जो भ्रष्टाचार मेँ सीधे-सीधे डूबे हैँ जनता को वे नहीँ दिखाई देता है.?अमित/Амит/অমিত/Amithttps://www.blogger.com/profile/08928179569667303541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-15176363191670472342012-12-31T15:45:37.476+05:302012-12-31T15:45:37.476+05:30JAB JINDAGI TINKA TINKA BIKHAR RAHI THI TO WAHA KO...JAB JINDAGI TINKA TINKA BIKHAR RAHI THI TO WAHA KOI POLICE SURACHA NAHI THI PAR SHANT SHARIR KO HAR TARAH SE SURACHA MAUJOOD THI..HAR KOI YAHI KAh RAHA THA YAAR BAHUD DUKHAD HAI HAM TO APNE AASU HI NAHI ROK PAAYE AUR STAA KO JITNI GALIYA DENI THI SABNE DI..PAR SAWAL YAHI HAI KI SADAK PAR ITANA GUSSA PASRA HAI, MEDIA ME BHI ITNI TALKHI PAR SARKAR TAB BHI ITNI GAMBHIR KYO NAHI DIKH RAHI HAI..BHAWANO SE DIL PIGHLTA HAI ,DESH NAHI CHALTA AUR YAHI HUAA HAI..SADAK PAR JO BHID HAI YADI USE AIK GAIR POLITICAL LEADERSHIP MIL JAATA JISKE NETRITWA ME BHID AAGE BADHTA TO AISA KUCH NAHI THA KI SARKAR NAHI JHUKTI..GUSSA HAI PAR CLEAR AGENDA BHI HO TAAKI SATTA KE KANO ME CLEAR BAAT PAHUCHE..MEDIA SATH ME HAI PAR KYA PURA SACH DIKHA PAAYE? MEDIA KUCH CHUPA RAHI HAI SABHI JAANTE HAI..Sarita Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/12249338250065099175noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-59061418699998831642012-12-31T11:32:33.663+05:302012-12-31T11:32:33.663+05:30...सब कुछ कह दिया है पंडिज्जी ! ...सब कुछ कह दिया है पंडिज्जी ! संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.com