tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post979473545248081963..comments2024-03-11T07:18:50.122+05:30Comments on पुण्य प्रसून बाजपेयी: नैनो ने बदल दी बंगाल की राजनीतिक जमीनPunya Prasun Bajpaihttp://www.blogger.com/profile/17220361766090025788noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-76553325926883965102008-09-18T09:25:00.000+05:302008-09-18T09:25:00.000+05:30भैया,जय माता दी,आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा .भैया,<BR/>जय माता दी,आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा .Mukesh hissariyahttps://www.blogger.com/profile/09866223604674008120noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-20425415967634815892008-09-16T13:02:00.000+05:302008-09-16T13:02:00.000+05:30एक के बाद एक बम घमाको से दिल वालो का शहर दहल उठा ।...एक के बाद एक बम घमाको से दिल वालो का शहर दहल उठा । धमाका इतना खौफनाक कि २६ लोगो को जाने गवानी पड़ी औऱ १०० से अधिक घायल लोग अस्पताल में जिन्दगी औऱ मौत से लड़ रहे है । ये धमाका कई सवाल खड़ा करता है कि न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश का कोई शहर महफूज नही है । जिस शहर का नाम ले ले वही धमाका हुआ है । मालेगांव,जयपुर ,बंगलुरू,अहमदाबाद ,दिल्ली ......ताजा मिसाल पेश कर रहा हूं। अब हम ये मान ले कि हम महानगर मे रहते है और कभी भी काल के गोद में समा सकते है । हमलोग जान को हथेली में लेकर चलते है । आखिर इतने बड़े देश में सारा का सारा खूफिया से लेकर इंटेलीजेंस ब्यूरो तक फेल है ।आखिर हम किसके सहारे है । गृहमंती अपना बयान दे चुके है ...लग रहा है कि चार साल पहले भी यही बोले थे । बेचारे को कपड़ा बदलना भाड़ी पर रहा है ..मामले को इतना तूल नही देना चाहिए था ..वे भी आम इंसान है ..कपड़े के शौकीन है ,बदलते रहते है । उनके पास कपड़े है वे बदलते है जिनके पास नही है नही बदलते है । बम में मरने वालो को तो कोई जाकर देख सकता है वहां देखना ही तो है ..प्रधानमंती से लेकर सोनिया जी तक कोई जाकर देख सकती है । जो होने का था वह हो गया । फिर २०-३० आदमी के मरने से पाटिल साहब अपना कपड़ा बदलना छोड़ दे । ये तो मीडिया का कमाल है कि मामले को इतना बढा कर पेश किया गया बरना इस देश में कितने बच्चे रोज भूख से मरते है ..कभी आपने मीडिया के मुख से सुना है। उसके लिए शिवराज पाटिल साहव क्या करेगे । हर जगह भूखमरी और गरीबी है तो उसके लिए पाटिल साहब दोषी ङै । उनका अपना अलग विभाग है ...अगली बार उन्हे कपड़ा मंती बना दीजिएगा ..उस पर भी वे गुस्सा नही करेगे । बेचारे चुनाव जीतकर नही आये है तो आप जो मन है कह लीजिए । खैर कोई बात नही है बेचारे गला फाड़कर कह रहे है कि सोनिया का हाथ उनके सर पर है ।चिंता की कोई बात नही है। आप को तो टेलीविजन के माध्यम से रोज कहा जा रहा है कि आप अपनी जान-माल की जिम्मेवारी खुद रखे फिर आप पाटिल साहव पर इतना गुस्सा क्यो हो रहे है ..समझ नही आ ऱहा है ।धमाके हुए है जिन्दगी जल्द पटरी पर लौटकर आ जाएगी । हम अपनी तहजीब और संस्कार को बनाए हुए है । मुझे तो यह लगता है कि आपको गृहमंती का कपड़ा बदलना अच्छा नही लगता हैkumar Dheerajhttps://www.blogger.com/profile/03306032809666851912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-34172403759932867972008-09-16T12:59:00.000+05:302008-09-16T12:59:00.000+05:30एक के बाद एक बम घमाको से दिल वालो का शहर दहल उठा ।...एक के बाद एक बम घमाको से दिल वालो का शहर दहल उठा । धमाका इतना खौफनाक कि २६ लोगो को जाने गवानी पड़ी औऱ १०० से अधिक घायल लोग अस्पताल में जिन्दगी औऱ मौत से लड़ रहे है । ये धमाका कई सवाल खड़ा करता है कि न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश का कोई शहर महफूज नही है । जिस शहर का नाम ले ले वही धमाका हुआ है । मालेगांव,जयपुर ,बंगलुरू,अहमदाबाद ,दिल्ली ......ताजा मिसाल पेश कर रहा हूं। अब हम ये मान ले कि हम महानगर मे रहते है और कभी भी काल के गोद में समा सकते है । हमलोग जान को हथेली में लेकर चलते है । आखिर इतने बड़े देश में सारा का सारा खूफिया से लेकर इंटेलीजेंस ब्यूरो तक फेल है ।आखिर हम किसके सहारे है । गृहमंती अपना बयान दे चुके है ...लग रहा है कि चार साल पहले भी यही बोले थे । बेचारे को कपड़ा बदलना भाड़ी पर रहा है ..मामले को इतना तूल नही देना चाहिए था ..वे भी आम इंसान है ..कपड़े के शौकीन है ,बदलते रहते है । उनके पास कपड़े है वे बदलते है जिनके पास नही है नही बदलते है । बम में मरने वालो को तो कोई जाकर देख सकता है वहां देखना ही तो है ..प्रधानमंती से लेकर सोनिया जी तक कोई जाकर देख सकती है । जो होने का था वह हो गया । फिर २०-३० आदमी के मरने से पाटिल साहब अपना कपड़ा बदलना छोड़ दे । ये तो मीडिया का कमाल है कि मामले को इतना बढा कर पेश किया गया बरना इस देश में कितने बच्चे रोज भूख से मरते है ..कभी आपने मीडिया के मुख से सुना है। उसके लिए शिवराज पाटिल साहव क्या करेगे । हर जगह भूखमरी और गरीबी है तो उसके लिए पाटिल साहब दोषी ङै । उनका अपना अलग विभाग है ...अगली बार उन्हे कपड़ा मंती बना दीजिएगा ..उस पर भी वे गुस्सा नही करेगे । बेचारे चुनाव जीतकर नही आये है तो आप जो मन है कह लीजिए । खैर कोई बात नही है बेचारे गला फाड़कर कह रहे है कि सोनिया का हाथ उनके सर पर है ।चिंता की कोई बात नही है। आप को तो टेलीविजन के माध्यम से रोज कहा जा रहा है कि आप अपनी जान-माल की जिम्मेवारी खुद रखे फिर आप पाटिल साहव पर इतना गुस्सा क्यो हो रहे है ..समझ नही आ ऱहा है ।धमाके हुए है जिन्दगी जल्द पटरी पर लौटकर आ जाएगी । हम अपनी तहजीब और संस्कार को बनाए हुए है । मुझे तो यह लगता है कि आपको गृहमंती का कपड़ा बदलना अच्छा नही लगता हैavinashhttps://www.blogger.com/profile/17097220046154026541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-12171789191733356692008-09-15T23:12:00.000+05:302008-09-15T23:12:00.000+05:30बंगाल में राजनीति के संकेत शुरु से ही सरोकार वाले ...बंगाल में राजनीति के संकेत शुरु से ही सरोकार वाले रहे है। ...सवाल उठा कि जिस जमीन-किसान के मुद्दे के सहारे वाममोर्चा 30 साल से सत्ता पर काबिज है,वही जमीन पर पडा किसान लहुलुहान हो रहा है तो उसके संघर्ष का रास्ता कहां से निकलेगा। ...व्यापक विष्लेषण। अच्छा लगा।रंजन राजनhttps://www.blogger.com/profile/03646063513055002728noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-40348764631013125162008-09-15T19:45:00.000+05:302008-09-15T19:45:00.000+05:30किसी के एक आंसू पर हजारों दिल धड़कते है,किसी का उम...किसी के एक आंसू पर हजारों दिल धड़कते है,किसी का उम्र भर रोना यूं ही बेकार जाता है ! अब तो आंसू पोछने मैं भी कोताही बरती जाने लगी है हाय रे उदारवाद !हजारों किसानों की आवाज को टाटा की एक धमकी ने चुप करा दिया ! नंदीग्राम और सिंगुर जैसी घटना भी बेअसर रही भारतीय उदारवाद के सच को नंगा करने में ,क्या ये बलिदान भी बेकार जाएगा ? आखिर क्या होगा इन आवाजों का ?आपके विचार जानने को बेकरार एक दबी सी आवाजBALAM PARDESIYAhttps://www.blogger.com/profile/02572527544855861178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-65151328293704122852008-09-15T17:36:00.000+05:302008-09-15T17:36:00.000+05:30वाजपेयी जी आपका ब्लाग पढ़ा ..आपने बगाल सरकार के बा...वाजपेयी जी आपका ब्लाग पढ़ा ..आपने बगाल सरकार के बारे मे लिखा है। गाहे-बगाहे आपने लिख डाला कि जब विकास की लकीर को वही राजनीति खारिज कर रही है, जिसने अपनी राजनीति में इसे आगे बढ़ाने की वकालत की। बंगाल का राजनीति में पहला मौका है जब किसान-मजदूर उसी राजनीति में खारिज हो रहा है, ।पढ़कर दुख महसूस हो रहा है कि आप जैसे विचारक भी इस प्रकार की भावना मन में रखते है।बंगाल में बामपथी सरकार का शासनकाल पिछले ३२ वषॆ से है लेकिन मै नही समझता हू कि बंगाल सरकार ने अबतक गरीब लोगो और किसानो के लिए कुछ किया है ।नही तो बंगाल की आम जनता की ऐसी माली हालत नही होती। मुझे तो यही लगता है कि ये सरकार बुजुॆआ रहमोकरम पर चलती है नाम केवल किसानो और गरीबो का लिया जाता है ।गरीब और किसान तो सत्ता तक पहुंचने का एक जरिया है उसके बाद तो फिर वही सरकार गरीबो और मजदूरो का खुलेआं शोषण किया है ।सिंगुर के मामले की बात कई बार आपके ही प्रोगाम से सुन चुका हूं ..सरकार ने गरीब किसानो की जमीन हथियाने के लिए गोली तक चलाई ।१४ लोगो की हत्या भी हुई तो आपसे यह सवाल है कि क्या आप इस सरकार को किसानो की सरकार कहेंगे। सरकार चाहे कितनी भी साल क्यो न पूरा कर ले लेकिन अभी भी दिल्ली जैसे महानगरो मे बंगाली रिक्शा चालको की कमी नही है । फिर विकास और गरीबी की बात तो बैमानी ही लगती है ।फिर किसानो का हित देखनेवाली सरकार नैनो के लिए अपने राज्य के किसानो की हत्या करने में कोई गुरेज नही किया। इसे आप क्या कहेगे । आपके विचार चाहिये ।kumar Dheerajhttps://www.blogger.com/profile/03306032809666851912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8237661391245852817.post-88813496908716235642008-09-15T16:28:00.000+05:302008-09-15T16:28:00.000+05:30ममता हों या माया किसान की चिंता किसी को नही....ममता हों या माया <BR/>किसान की चिंता किसी को नही....cartoonist ABHISHEKhttps://www.blogger.com/profile/07118754555398165015noreply@blogger.com