Thursday, July 4, 2013
मोदी की मुस्लिम गाथा में होगा क्या ?
नरेन्द्र मोदी ने चाहे गुजरात में मुस्लिम टोपी नहीं पहनी लेकिन देश के लिये जिस मुस्लिम विजन को नरेन्द्र मोदी लाने जा रहे हैं, उसमें मुस्लिम टोपी पहने कांग्रेसियों की टोपी उछालने की पूरी व्यवस्था की जा रही है । मोदी का मुस्लिम विजन तीन स्तर पर सामने आयेगा । पहले स्तर पर आजादी के बाद से देश में हुये हिन्दु मुस्लिम दंगो को लेकर कांग्रेस की भूमिका कटघरे में खड़ी होगी।
और इसके तहत उन काग्रेसियो के नाम भी उजागर किये जायेंगे तो हिन्दु मुस्लिम दंगों में दोषी पाये गये। दूसरे स्तर पर मुस्लिम समुदाय के पिछड़ेपन और गरीबी के लिये कांग्रेसी राजनीति के तौर तरीको को कठघरे में खड़ा किया जायेगा। और तीसरे स्तर पर मुस्लिमों के सामने हिन्द मुस्लिम कहलाने का वह तरीका सामने रखा जायेगा जिससे हिन्दु और मुस्लिम धर्म के आधार पर ना टकराये । यानी इससे पहले बीजेपी को सरकार बनाने के लिये अटलबिहारी वाजपेयी की अगुवाई में अयोध्या , कामन सिविल कोड और धारा 370 छोड़नी पड़ी थी और एनडीए बना था । उससे इतर नरेन्द्र मोदी 2014 के लिये किसी भी मुद्दे को छोडने की जगह मुस्लिमो से जुडे हर मुद्दे को नये तरीके से परिभाषित करना चाह रहे है । और इसके लिये गुरु गोलवरकर के बंच आफ थाट के उस हिस्से को ही आधार बनाया गया है जिसमें काग्रेस को लेकर गोलवरकर मुस्लिमो पर यह कहते हुये चोट करते है कि जिस समाज को अपनी सियासी जरुरत के लिये काग्रेस ने टिकाये रखा है उसे मुस्लिम वोट क्यो देते है । असल में मोदी अपने विकास की थ्योरी से धर्म की उस लक्ष्णण रेखा को मिटाना चाहते है जिसे पार करना मुस्लिमो के लिये आरएसएस का नाम आते ही मुश्किल होता है। इसलिये सच्चर कमेटी ने जिस सामाजिक-आर्थिक विषमता का जिक्र मुस्लिम समाज को लेकर किया है, उसे ही अपने डेवलपमेंट मुद्दे के जरीये मोदी पाटना चाहते हैं। और जो राजनीतिक मुश्किल कांग्रेस दंगों या हिन्दुत्व के आसरे डालने की कोशिश करेगी उस पर मठ्ठा डालने के लिये मोदी दंगों में कांग्रेस की भूमिका और दोषियों के नाम को छाप कर जवाब देने की तैयारी में है। और इस फेरहिस्त में गोधरा कांड के दोषियों का भी जिक्र किया जायेगा ।
लेकिन पहली बार नरेन्द्र मोदी इतिहास के उन पन्नो को टटोलने के लिये तैयार हो रहे हैं, जहां आरएसएस को लेकर मुस्लिम समाज में बनी अछूत की धारणा टूट जाये । मोदी के मुस्लिम विजन में नेहरु की सत्ता के निर्णयो से ही संघ परिवार पर निशाना साधने और महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर लगे प्रतिबंध को लेकर सवाल उठाने की तैयारी भी होगी। मसलन महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे हिन्दु महासभा से जुडे थे लेकिन हत्या के बाद प्रतिबंध हिन्दु महासभा पर नहीं संघ परिवार पर लगा ।
और जो श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेहरु के मंत्रीमंडल में शामिल थे वह भी हिन्दु महासभा से जुड़े थे। और जनसंघ बनाने के लिये हिन्दु महासभा छोड़कर श्यामा प्रसाद मुखर्जी आरएसएस में शामिल हुये थे। असल में मुस्लिमों के सवाल पर मोदी कांग्रेस को नेहरु के दौर से घेरना चाहते है। और इसका एहसास मुस्लिमों को कराना चाहते है कि कांग्रेस की जिस नाव पर वह सवार है, वह नाव एक वक्त मुस्लिम लीग तो फिर हिन्दु महासभा के साथ खड़ी रही। और निशाना हिन्दु महासभा पर लगना चाहिये था वह निशाना बार बार आरएसएस पर लगाया गया। 2014 के मुस्लिम विजन के लिये नरेन्द्र मोदी बीजेपी ही नहीं बल्कि जनसंघ के इतिहास के पन्नों को भी खोलने की तैयारी कर रहे हैं। क्योंकि राजनीतिक तौर पर संघ परिवार से अगर जनसंघ निकला तो 1951 में जनसंघ के संविधान में मुस्लिम और इसाई को कार्यकर्ता या पार्टी का सदस्य बनाये जाने पर जोर दिया गया था। यानी स्वयंसेवक जब राजनीतिक मैदान में जाये तो किसी धर्म को लेकर अछूत सा व्यवहार ना करें जैसा हिन्दु महासभा ने किया था। और हिन्दु महासभा को नेहरु ने बार बार बख्शा। जाहिर है पहली बार मोदी बीजेपी को संघ के प्लेटफार्म पर इस तरह खड़ा करना चाहते हैं जिससे साथ खड़ा होने वाले नीतीश कुमार की तरह राजनीतिक तिकड़म में ना फंसे बल्कि जेपी की तर्ज पर यह कहने की हिम्मत रखे कि अगर संघ परिवार सांप्रदायिक है तो वह भी सांप्रदायिक है। लेकिन सवाल यही है मोदी ना तो जेपी है और मोहन भागवत ना ही गोलवरकर । लेकिन मिशन 2014 की बिसात कुछ ऐसी ही बिछ रही है ।
सच को सच कहने वाली पत्रकारिता आजकल दिखाई नहीं दे रही है ! हाँ कुछ लोग अभी भी हैं जो सच कहते तो है लेकिन दबी जुबान से !!
ReplyDeleteप्रसून जी इसे पढ कर ऐसा लगा की कमल छाप कोई किताब हाथ लग गई , खैर कब तक आप अपनी विचार धारा को पत्रकारिता के बोझ में दबा पाऐगें ....
ReplyDeletebahut accha laga itihash ki rajniti ki zakhi karkre. superb sirji....
ReplyDeleteVjpayeeji is just sharing info he hav about modi's plan-way to reach out to muslims ,with his opinion-comments
ReplyDeletePrasoon is among few real journo who is doing his job honestly
विजन तो बहुत अच्छा है! लेकिन इसे धरातल पर सही दिशा मेँ ले जाने हेतु सार्थक प्रयास भी जरूरी होँगे? कहीँ ये भी सरकारी योजनाओँ की भाँति हर एक तक ना पहुँचकर इस विजन मेँ लगे कुछ संगठन पदाधिकारियोँ के जिम्मे छोड़कर इस विजन को पूर्ण बनाने या मानने का ढ़िँढोरा पीट दिया जाये?
ReplyDeleteसदैव याद रखेँ अटलजी कहा करते थे- 'भारत गाँवोँ मेँ बसता है' ! जाहिर है उनकी दूरदर्शिता का आशय यही रहा होगा कि हमेँ हमारी विजय का मार्ग गाँवोँ से ही प्राप्त होगा? मेरा मानना है ऐतिहासिक रूप मेँ आजाद भारत से लेकर आज की राजनीति के पर्याय मेँ जितने भी नेता एवं मँत्री हुए हैँ उनका गाँवोँ की राजनीति से कोई न कोई संबंध जरूर रहा है । इसीलिए इस विजन की शुरूआत पहले उन राज्योँ के गाँवोँ से की जाये जहाँ मुस्लिमोँ की सँख्या कम है परंतु बीजेपी का वर्चस्व अच्छा है और सिर्फ एक या दो बारगी सम्पर्क का माध्यम न बनाते हुए सतत उनकी सोच और विचारधारा मेँ बदलाव आने तक ये प्रयास जारी रखे जायेँ ? कहते हैँ 'एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है' ठीक वैसे ही इस विजन मेँ लगे या जुड़ने वाले प्रत्येक सदस्य या कार्यकर्त्ता का रूटिँग फीडबैक लिया जाये? जिससे उसकी कार्यशैली पार्टी या पार्टी के पदाधिकारियोँ तक पहुँच मेँ बनी रहेगी वरना एक भी भीतरघाती निर्मित होते ही सारे विजन की नीँव हिलते देर नहीँ लगेगी?
इसी तरह के अनेकोँ विचार मेरी कलम मेँ छुपे हुए हैँ बस जरूरत है एक अदद पारखी की?
वन्दे मातरम! जय माँ भारती!