पहली कक्षा में इस कविता को पढ़ने वाला बच्चा अब इस दुनिया में नहीं है। सड़क किनारे जमीन पर बिखरे किताब कॉपी। टिफिन बाक्स। बस्ते में उस बच्चे के मांस के लोथडे भी हैं, जो किताबो को पढ़ पढ़ कर भगवान की बनायी दुनिया में जीने और बड़े होने के सपनों को जीता रहा। और इस कविता के जरीये भगवान को शुक्रिया कहता रहा जिसने जमी, आसमान, पक्षी बनाये। वातावरण में ही जिन्दगी के रस को घोल दिया। लेकिन इस बच्चे को कहां पता था जो किताबों में लिखा हुआ है। या जिन कोमल हाथों से पन्नों को उलटते हुये वह मैडम के
कहने पर भगवान तुम्हारा शुक्रिया कर अपने सपनो को जीता उसे इतनी खौफनाक मौत मिलेगी जो भगवान ने नहीं बल्कि भगवान बन देश चलाने वालों ने दी। हर बैग के भीतर ऐसी ही किताब -कापी में दर्ज बच्चों के सपने हैं। वह सपने जिसे बच्चो ने पालना और सीखना ही तो शुरु किया था। और अंधेरे में उठकर मा बच्चे के टिफिन को भरने में लग जाती तो बाप स्कूल यूनिफार्म पहनाने से लेकर किताब-कापी को सहेज सहेज कर बैग में ऱखता। गले में टाई लटकाता। जूतो के फीते बांधता । लेकिन सडक पर बिखरे इस मंजर ने सिर्फ मां बाप के दिलो में ही सन्नाटा नहीं बिखेरा बल्कि उस अपराधी समाज के समाने अपनी बेबसी को भी रो रो कर घो दिया, जिसने नियम कायदो को ताक पर रख भगवान को शुक्रिया कहने तक की स्थिति की हत्या कर दी। तो क्या ये हादसा नहीं हैं। ये महज कोहरे में लिपटे वातावरण की देन भी नहीं है। ये सिर्फ बच्चों की मौत नहीं है। ये उस व्यवस्था का खौफनाक चेहरा है, जो हर रुदन को लील लेने पर हमेशा आमादा रहती है। क्योंकि बस बिना परमिट के चल रही थी। ट्रक अवैध रुप से बालू ले जा रहा था। स्कूल बंद करने के आदेश के बावजूद चल रहा था। गांव में अस्पताल नहीं सामुदायिक हेल्थ सेंटर था। तो क्या मौत होनी ही थी। और ऐसी ही कई मौत का इंतजार हर मां बाप को ये जानते समझते हुये करना ही होगा। क्योंकि सिस्टम प्राईवेट स्कूल के अलावे कुछ दे नहीं सकता। प्राईवेट स्कूल मुनाफे की शिक्षा के अलावे कुछ देख नहीं सकते। मुनाफे तले कही बसो के परमिट घूस देकर दब जाते है। या घूस देकर बच निकलते हैं। अवैध खनन के बाद बालू को लेजाते ट्रक भी घूस देकर सडक पर सरपट दौडने का लाइसेंस पा लेते है । और जब टुर्धना हो जाये तो बिना इन्फ्रास्ट्रक्चर के जीते गांव दर गांव में इलाज के लिये अस्पताल तक नहीं होता। तो ये हादसा नहीं। हत्या है ।
ये वातावरण का कोहरा नहीं । सिस्टम और सियासत पर छाया कोहरा है। ये सिर्फ बच्चों की मौत नहीं बल्कि विकास के नाम पर होने वाली सियासत की मौत है। और मां-बाप की रुदन महज बेबसी नहीं बल्कि सत्ता के भगवान होने का खौफ है। और संयोग ऐसा है कि जिस लखनऊ की सियासत को साध कर दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने का ख्वाब सिस्टम साधने वाले नेता पाले हुये है। उस दिल्ली लखनऊ के ठीक बीच एटा के अलीगंज ब्लाक का असदपुर गांव है। और हर कोई इस सच से आंख मूंदे हुये है कि यूपी में 20 हजार प्राइवेट स्कूल बिना पूरे इन्फ्रास्ट्रक्चर के चलते हैं। 12 हजार सरकारी स्कूल तो बिना ब्लैक बोर्ड बिना पढे लिखे शिक्षक के चलते है। 30 हजार से ज्यादा ट्रक अवैध बालू ढोते हुये यूपी की सडको पर सरपट दौडते है । सड़क पर सुरक्षा के नाम पर पुलिस की तैनाती होती ही नहीं। और सडक पर अवैध तरीके से सिर्फ ट्रको से अवैध वसूली की रकम सिर्फ यूपी में हर दिन की 8 लाख रुपये से ज्यादा की है। और बिना परमिट दोडते स्कूल बसों से वसूली हर महीने की 50 लाख से ज्यादा की है । इतना ही नहीं प्राइवेट स्कूल खोलने के लिये जितनी जगहो से एनओसी चाहिये होता है, उसमें स्कूल खोलने वाले जितनी घूस अधिकारियों से लेकर पुलिस और नेताओं को देते है वह प्रति स्कूल 40 लाख से ज्यादा का है। यानी सरकारी स्कूल खोलने का बजट 2 लाख और प्राइवेट स्कूल खोलने के लिये घूस 40 लाख । तो कौन सा सिस्टम कौन सी सरकार इस तरह बच्चो की मौत पर मातम मनाती है। ये सोचने का वक्त है या पिर समझने का कि बच्चो ने तो जिन्दगी देने के लिये भगवान का शुक्रिया करने वाला पाठ पढ़ा। लेकिन अपने अपने कठगरे में सत्ताधारियों ने भगवान बनने के लिये ये मौत दे। और 24 बच्चो की मौत का कोई दोषी नहीं।
Mujhe yeh lagta hai ki modi sahab ne kya kiya. Sirf jumle bazi kiya. 2014 me bolrahe the ki 2 sal k andar bhrastchar khatma. Par iss article to us jumle wado ka kala chitta khol raha hai.
ReplyDeleteAur kaha hai akhilesh ka bikash ka ojhdi wala petra.
Agar issi tarah desh chal raha hai aur satta sanbhalna mushil ho raha hai rajnetai ko to rastrapati sasan lagu karna chahiye aur iss se acha sainik desh chalaye.
Har din buri khabar. Ek din nahi aaya khushi. Najane waqt kya mang rahi hai humse......
Mujhe yeh lagta hai ki modi sahab ne kya kiya. Sirf jumle bazi kiya. 2014 me bolrahe the ki 2 sal k andar bhrastchar khatma. Par iss article to us jumle wado ka kala chitta khol raha hai.
ReplyDeleteAur kaha hai akhilesh ka bikash ka ojhdi wala petra.
Agar issi tarah desh chal raha hai aur satta sanbhalna mushil ho raha hai rajnetai ko to rastrapati sasan lagu karna chahiye aur iss se acha sainik desh chalaye.
Har din buri khabar. Ek din nahi aaya khushi. Najane waqt kya mang rahi hai humse......
कांटो पर चलना सिखाया है तूने ,
ReplyDeleteचट्टानों से टकराना बताया है तूने ,
कही समुद्र की लहरों में लिपटकर खो न जाऊ ,
हर संकट से तो मुझे बचाया है तूने ,
मुझे तो माँ बनाया है तूने !!
जकड़ लेती वो गरीबी की भूख मुझे ,
अगर आपना आँचल न फैलाया होता तूने ,
चुकाना है क़र्ज़ मुझे इस भूमि का ,
हर एक रोटियों के निवाले से बताया है तूने ,
मुझे तो माँ बनाया है तूने !!
न हृदय में जीत की लालच,न आँखों में हार के आंसू ,
हर सुख दुःख के साथ जीना सिखाया है तूने ,
फल की चिंता न कर , कर्म की चिंता कर ,
सब उपहार समझकर स्वीकारना बताया है तूने ,
मुझे तो माँ बनाया है तूने !!
रुकने से ज्यादा चलना सिखाया है तूने ,
डर के न भागो लड़ना बताया है तूने ,
मंजिले चाहे कितना भी मुश्किल क्यों न हो ,
मजबूत हौसलों से पाना सिखाया है तूने ,
मुझे तो माँ बनाया है तूने !!
कुछ पाने की लालच ना कर ,
कुछ खोने की फिकर न कर ,
आगे बढ़ने की साहस कर ,
पीछे हटने की जुर्रत न कर ,
सिने से लगा कर बताया है तूने ,
मुझे तो माँ बनाया है तूने !!