Monday, April 1, 2019

मीडिया मंच पर भी पीएम गलत तथ्य रखे तो फिर मीडिया को सच बताना चाहिये

किसी भी मीडिया हाउस के लिये ये उपलब्धी हो सकती है कि उसके उद्धाटन में
प्रधानमंत्री आ जाये । ठीक वैसे ही जैसे 31 मार्च 2019 को दिल्ली में एक
न्यूज चैनल के उद्धाटन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहुंच गये । एतराज
किसी को होना हीं चाहिये । कयोकि न्यूज चैनल की शुरुआत ही अगर देश के
सबसे बडे ब्रांड की मौजूदगी के साथ ह रही है तो फिर बात ही क्या है ।
लेकिन इसका ये अर्थ भी कतई नहीं होना चाहिये प्रधानमंत्री की मौजूदगी में
पत्रकारिता करना भूल जाया जाये । और वह भी तब जब देश लोकसभा चुनाव की तरफ
बढ चुका हो । नोटिफिकेशन जारी हो चुका है । 10 दिन बाद पहले चरण की
वोटिंग हो । दरअसल पत्रकारिता तलवार की धार पर चलने के समान है और यही
चूक बार बार मीडियाकर्मियो से हो रही है । ऐसे मौके पर पत्रकारिता का
मिजाज क्या कहता है । ये सवाल कोई भी कर सकता है । खासकर जो पत्रकार इस
दौर में समझ नहीं पा रह है कि सत्ता के करीब रहा जाये या सत्ता से दूर ।
पत्रकारिता करने के लिये सत्ता से करीब या दूर होना कोई मायने नहीं रखता
है बल्कि पत्रकारिता तो तथ्यो के साथ सत्ता पर भी निगरानी रखती है और
सत्ता को राह भी दिखाती है कि वह गलत बयानी कर बच नहीं सकती । यानी सवाल
ये नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी प्रेस कान्फ्रेस नहीं करते है या फिर
न्यूज चैनलो में एकतरफा भाषण देकर चले जाते है । सवाल है कि प्रधानमंत्री
मोदी बतौर पालेटिशन अपना पोजिशनिंग करते है । लेकिन मीडिया खुद की
पोजेशनिंग बतौर पत्रकार क्यों नहीं कर पाते । यानी पीएमने जो कहा वह सच
है भी नहीं ये तो मीडिया बता ही सकता है । यानी  रियल टेस्ट प्रधानमंत्री
के भाषण के बाद होना चाहिये । कोई चैनल अगर शुरु ही प्रधानमंत्री के भाषण
से हो रहा है तो फिर अगला कार्यक्रम ना सही लेकिन शाम के प्राईम टाइम में
तथ्यो के साथ चैनल को ये बताने की समझ तो होनी चाहिये कि प्राधानमंत्री
जो कह गये वह कितना सही है । क्योकि देश में जब सत्ताधारी राजनीतिक दल ही
नहीं बल्कि कैबिनेट स्तर के मंत्री और खुद प्रधानमंत्री भी कोई भी आंकडे
रखकर अपने छाती ठोंकते हुये चले जाते है तो फिर सवाल ये नहीं कि सत्ता ने
गलत क्यो बोला । सवाल ये है कि पत्रकार ने सच या सही क्यो नहीं बताया ।
तो न्यूज चैनल के उद्धाटन में पीएम मोदी ने अपने भाषण में कालेधन पर नकेल
कसने का जिक्र किया । बैकिंग प्रणाली को कितना मजबूत किया है इसके
विस्तार से जिक्र किया ।और यही से सवाल उठा कि प्रधानमंत्री जो भी कह गये
क्या उस पर सवाल नहीं उठना चाहिये । मोदी बोले कि सप्रीम कोर्ट ने उनके
पीएम बनने से  तीन साल पहले से कह रखा था कि कालेधन पर एसआईटी बनाइये ।
लेकिन मनमोहन सरकार ने नहीं बनाया और सत्ता मेंआते ही पहली कैबिनेट में
उन्होने एसआईटी बनाने का निर्णय ले लिया । जबकि हकीकत ये है कि सप्रीम
कोर्ट ने 2011 कालेधन को लेकर मनमोहन सत्ता क्या कर रही है इसका जवाब
मांगा था । और साफ तौर पर कहा था कि विदेशो में कितना कालाधन है इसका कोई
आंकडा बताने की स्थिति में सरकार कब आ पायगी । और तब के वित्त मंत्री
प्रणव मुखर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जब तक दुनिया के तमाम देशो
के साथ ये समझता नहीं हो जाता है कि वहा के बौको में जमा  भारतीय नागरिको
के कालेधन की जानकारी दें तब तक मुश्किल है । और समझना होगा कि एसआईटी
बानने का जिक्र सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2014 में किया । बकायदा आरटीआई
एक्ट के तहत आरटीआई को बनाने क लिये कहा ।  और तब मनमोहन सरकार को लगा कि
देश में चुनाव होने वाले है तो फिर चुनाव के बाद जिसकी सरकार बनेगी वह
एसआईटी बनाये तो बेहतर होगा । और 27 मई 2014 को मोदी ने अपने पही कैबनेट
में एसआईटी बनाने का एलान कर दिया । यानी सवाल तीन साल का नहीं था ।
लेकिन इसके साथ ही एक दूसरा सच जो पीएम मोदी हमेशा छुपा लेते है  कि
एसआईटी तो आरटीआई कानून के तहत बना है तो सारी जानकारी जनता को मिलनी
चाहिये और इसी प्रक्रिया में एसआईटी बनने के बाद 28 अक्टूबर 2014 को
सुप्रीम कोर्ट ने बकायदा मोदी सत्ता को निर्देश दिया की 24 घंटे के भीतर
वह बताये कि विदेशी बैको में किन भारतीयो का कालाधन जमा है । और हालात
देखिये उसके बाद साढे चार बरस बीत गये लेकिन आजतक मोदी सत्ता ने उन नामो
का खुलासा नहीं किया जिनका कालाधन विदेशी बैको में जमा है । तो क्या
कालेधन पर पीएम के बयान से ही एक रिपोर्ट तथ्यो के साथ दिखायी नहीं जानी
चाहिये ।
खैर अपने भाषण में पीएम मोदी सबसे ज्यादा बैको को लेकर बोले कि कैसे
उन्होने पांच बरस के भीतर डूबती बैकिग प्रणाली  को ठीक कर दिया । तो क्या
न्यूज चैनल का काम सिर्फ मोदी का भाषण अपने मंच से दिलवाना भर ही होना
चाहिये । या फिर चैनल को इससे सुनहरा अवसर नहीं मिलता कि उनके मंच पर आकर
पीएम कुछ भी कहकर नहीं जा सकते । यानी शाम के प्राईम टाइम में तो बकायदा
पांच बरस में कैसे बैको का बंटाधार हुआ है इसको लेकर घंटे भर का
कार्यक्रम तक बनाया जा सकता है । और खबर का पेग पीएम का भाषण ही है ।
क्योकि ये पहली बार हुआ कि कि बैको में जमा जनता की कमाई की रकम की लूट
को छुपाने के लिये मोदी सत्ता ही सक्रिय हो गई । हालात इतने बुरे हो गये
कि सत्ता मेंआने के बाद बरस दर बरस बैको क फाइल साफ सुधरी दिखायी दे उसके
लिये सिलसिलेवार तरीके से लूट की रकम को रिटन आफ किया गया । जबकि रिकवरी
ना के बराबर हुई । मसलन 2014-15 में 49,018 करोड रिटन आफ किया गया और
रिकवरी हुई सिर्फ 5461 करोड । 2015-16 में रिटन आफ किया गया 57,585 करोड
और रिकवरी की गई महज 8096 करोड । 206-17 में रिटन आफ किया गया 81,683
करोड और रिकवरी हुई 8680 करोड । 2017-18 में रिटन आफ किया गया 84,272
करोड रुपये और रिकवरी हुई महज 7,106 करोड रुपये । यानी पहले चार बरस में
बैको की फाइलो में कर्ज लेकर लूट लिये गये 2,72,558 करोड रुपये नजर ना
आये इसकी व्यवस्था की गई । जबकि बैको की सक्रियता इन चार बरस में रिकवरी
कर पायी सिर्फ 29,343 करोड रपये । तो फिर बैको में कैसे सुधार मोदी सत्ता
के दौर में आ गया क्योकि अनूठा सच तो ये भी है कि करीब 90 फिसदी एनपीए
रिटन आर कर दिया गया । और अगर बैको के जरीये हालात को समझे तो 2014 से
2018 के बीच यूको बैक ने कोई रकवरी की ही नहीं जबकि कर्ज दे दिया 6087
करोड जिसे मोदी सरकार ने रिटन आफ कर दिया । देश के सबसे बडे बैक स्टेट
बैक आफ इंडिया ने इन चार बरस में कर्ज की रिकवरी की सिर्फ 10,396 करोड और
जो रिकवरी नहीं हो पायी वह रकम है 1,02,587 करोड रुपये । और इस रकम को
बैको के फाइलो से रिटन आफ कर दिया  । और ये बकायदा रिजर्व बैक के जरीये
जारी कि गई 21 बैको की सूची है जो साफ साफ बताती है कि आखिर जो एनपीए
2014 में सवा दो लाख करोड का था वह 2019 में बञते बढते 12 लाख करोड भी
पार कर चूका है और एनपीए का बढना महज इंटरेस्ट रेट नहीं होता है बल्कि इस
दौर में कर्ज देकर लूट को बढाने की सिलसिला भी कैसे सिस्टम का हिस्सा का
हिस्सा हो गया ।
और लूट को रोकने का जो दावा प्रधानमंत्री चैनल के उदधाटन भाषण में कर गये
उस पर तो चैनल को अलग से रिपोर्ट तैयार कर बताना चाहिये कि कैसे बीचे
पांच बरस के दौर में बैक फ्राड के मामले हवाई गति से बढे है । जरा इसके
सिलसिले को परखे एसबीआई [2466], बैंक आफ बड़ौदा [782] ,बैंक आफ इंडिया
[579], सिंडीकेट बैंक [552],सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया [527], पीएनबी
[471], यूनियन बैंक आफ इंडिया [368], इंडियन ओवरसीज बैंक[342],केनरा बैंक
[327], ओरियंट बैंक आफ कामर्स[297] , आईडीबीआई [ 292 ], कारपोरेश बैंक[
291], इंडियन बैंक [ 261],यूको बैंक [ 231],यूनिईटेड बैंक आफ इंडिया [
225 ], बैंक आफ महाराष्ट्र [ 170],आध्रे बैंक [ 160 ], इलाहबाद बैंक [
130 ], विजया बैंक  [114], देना बैंक [105], पंजाब एंड सिंघ बैंक [58]
..ये बैंकों में हुये फ्रॉड की लिस्ट है। 2015 से 2017 के दौरान बैंक
फ्रॉड की ये सूची साफ तौर पर बतलाती है कि कमोवेश हर बैंक में फ्रॉड हुआ।
सबसे ज्यादा स्टेट बैंक में 2466। तो पीएनबी में 471 । और सभी को जोड
दिजियेगा तो कुल 8748 बैंक फ्रॉड बीते तीन बरस में हुआ । यानी हर दिन
बैंक फ्रॉड के 8 मामले देश में होते रहे । पर सवाल सिर्फ बैंक फ्रॉड भर
का नहीं है। सवाल तो ये है कि बैंक से नीरव मोदी मेहूल चौकसी और माल्या
की तर्ज पर कर्ज लेकर ना लौटाने वालों की तादाद की है। और अरबों रुपया
बैंक का बैलेस शीट से हटाने का है। और सरकार का बैंको को कर्ज का अरबो
रुपया राइट आफ करने के लिये सहयोग देने का है । यानी सरकार बैंकिंग
प्रणाली के उस चेहरे को स्वीकार चुकी है, जिसमें अरबो रुपये का कर्जदार
पैसे ना लौटाये । क्योकि क्रेडिट इनफारमेशन ब्यूरो आफ इंडिया लिमिटेड
यानी सिबिल के मुताबिक इससे 1,11,738 करोड का चूना बैंकों को लग चुका है।
और 9339 कर्जदार ऐसे है जो कर्ज लौटा सकते है पर इंकार कर दिया। और पिछले
बरस सुप्रीम कोर्ट ने जब इन डिफाल्टरों का नाम पूछा तो रिजर्व बैंक की
तरफ से कहा गया कि जिन्होने 500 करोड से ज्यादा का कर्ज लिया है और नहीं
लौटा रहे है उनके नाम सार्वजनिक करना ठीक नहीं होगा। अर्थव्यवस्था पर असर
पड़ेगा। तो ऐसे में बैंकों की उस फेरहिस्त को पढिये कि किस बैंक को कितने
का चूना लगा और कर्ज ना लौटाने वाले है कितने।
तो एसबीआई को सबसे ज्यादा 27716 करोड का चूना लगाने में 1665 कर्जदार
हैं। पीएनबी को 12574 करोड का चूना लगा है और कर्ज लेने वालो की तादाद
1018 है। इसी तर्ज पर बैंक आफ इंडिया को 6104 करोड़ का चूना 314 कर्जदारो
ने लगाया। बैंक आफ बडौदा को 5342 करोड का चूना 243 कर्जदारों ने लगाया।
यूनियन बैंक को 4802 करोड का चूना 779 कर्जदारों ने लगाया। सेन्ट्रल बैंक
को 4429 करोड का चूना 666 कर्जदारों ने लगाया। ओरियन्ट बैंक को 4244 करोड
का चूना 420 कर्जदारो ने लगाया। यूको बैंक को 4100 करोड का चूना 338
कर्जदारों ने लगाया। आंध्र बैंक को 3927 करोड का चूना 373 कर्जदारों ने
लगाया। केनरा बैंक को 3691 करोड का चूना 473 कर्जदारों ने लगाया।
आईडीबीआई को 3659 करोड का चूना 83 कर्जदारों ने लगाया। और विजया बैंक को
3152 करोड़ का चूना 112 कर्जदारों ने लगाया । तो ये सिर्फ 12 बैंक हैं।
जिन्होंने जानकारी दी की 9339 कर्जदार है जो 1,11,738 करोड नहीं लौटा रहे
हैं। फिर भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई हुई नहीं है उल्टे सरकार बैंकों को
मदद कर रही हैं कि वह अपनी बैलेस शीट से अरबो रुपये की कर्जदारी को ही
हटा दें।
जाहिर है पीएम को उद्धाटन में बुलाकर चैनल मे अपनी धाक जमा ली । लेकिन
पीएम के कथन के पीछे के सच को अगर चैनल दिखाने की हिम्मत रखता तो वह वाकई
भारतवर्ष कहलाता अन्यथा रायसीना हिल्स और लुटियनस की दिल्ली में बसे चमके
इंडिया की कहानी तो रेड कारपेट है । जिसपर चलते हुये दिखने का शौक अब हर
मीडियाकर्मी को हो चला है । और शायद इसीलिये अब तथ्यों पर उतना ध्यान ना
राजनीति देती है ना ही मीडिया । क्योकि सभी की नजर सत्ता की कुर्सी पर
रहती है इसीलिये जन-सरोकार पीछे छूट रहे है ।

21 comments:

  1. Sir don't lose this battle against truth and lie.. Truth alone triumph.. Thank you for being u.

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  2. मैं तब सोच रहा था कि PM चैनल का उद्घाटन करने आये है या अपना चुनाव प्रचार करने

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  3. Bahut sari jankariya apse milate hai ham sab ko. .! Pls come back again soon on TV screen Sir miss you

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  4. I salute you for fighting this government with your grit and confidence.You one most respected journalist in INDIA today

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  5. UnknownApril 2, 2019 at 2:04 AM
    I salute you for fighting this government with your grit and confidence.You are one of the most respected journalist in INDIA today

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  6. तमाशा चल रहा है .. सब देख रहे हैं .. सही कहूं तो हम सभी कहीं ना कहीं इस तमाशे का हिस्सा बन गए हैं! मौजूदा दौर में या तो आप मोदी के साथ हैं या विरोध में .. अगर साथ हैं तो लगता है की आप देश का भला चाहते हैं अगर साथ नहीं है तो लगता है जैसे आप देश की तररकी नहीं चाहते . . कुछ लोग हैं जो समझ रहे हैं की क्या हो रहा है और हम किस दिशा में जा रहे हैं पर वो लोग कर क्या रहे हैं?

    कुछ नहीं या यूँ कहे की जितना कर रहे हैं वो काफी नहीं है! ''कारंवा लुट रहा है वो लूट रहे हैं और जो देख रहे हैं वो भी हिस्सेदार हैं या यूँ कहे की चौकीदार हैं हा हा हा"
    अगर दर्शक बनने से ऊब गए हो तो चलो कुछ करते हैं भले ही देर हो गयी है पर कहते हैं ना दुर्घटना से देर भली .. पुण्य जी बाते बहुत हो गयी अब वक़्त है कुछ करने का .. क्या करना चाहिए पता नहीं पर अभी अगर कुछ किया नहीं तो कल शिकायत करने का नैतिक आधार भी खो देंगे!
    मेरा नाम रोहताश कुमार .. पुण्य जी आपको जंतर मंतर या किसी और पब्लिक प्लेस पर एक पब्लिक मीटिंग करनी चाहिए और वहीँ लोगो से बात करे की क्या किया जा सकता है .. लोकतंत्र को बचाने का एक मात्र रास्ता जो मुझे नज़र आता है वो है जन आंदोलन .. चुनाव पहले भी हुए हैं पार्टीज अपनी जीत को लेकर कॉंफिडेंट भी हुए हैं पर मौजूदा सरकार अपनी जीत को लेकर जिस तरह निश्चिंत नज़र आ रही है वो चिंता जनक है .. पिछले पांच सालो के घटना क्रम को देखा जाए तो एक बात कह सकते हैं की kongress अगर चोर थी तो ye party कसाई है! If anyone wants to contact me my email is rohhit122@gmail.com

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  7. Miss you sir on TV screen.. we will come back..

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  8. It's a good analysis. Which should be ideally worked on the ground. Your vision is marvellous. And if system starts get working in this way it's heaven it was my dream. All of us must support your thought to get implemented on the ground. One query to u how political system will change.. unless it happens not possible?

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  9. निसंदेह। The political arena has blind-folded the nation by brazenly attacking the media. Media has just become useless and the educated section do understand that. Journalists like Mr.Gosawami, Mr.S.Chaudhary, Mr.Devghan, Mr.R.Sharma and many more are spineless drillers of the fulcrum of democracy.. People need to understand this.

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  10. https://tarunk04.blogspot.com/2019/03/era-of-fake-news.html?m=1
    Open above link you will get 3D impact of fake news.
    My Twitter account @tarunk48
    Please follow you will get thread of fake narrative. That will help you to understand this information warfare to polarise society during election time

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  11. Sir, you puts truth and reality of this country in this scenario sir, don't give up, we all are with you, really journlists like you, ravish kumar and abhisar sharma is only some of the faces who sustain the FOURTB PILLAR of our country democracy,

    Come back on TV screen sir , miss you.

    Sir pls carry on don't give up the ground

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  12. Sahi me sir aap talwar ki dhar par chalte Hain ,desh ke kisi BHI bada se bada wohdedar se pahle main apko salute Karna Chahta hun,

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  13. Deshwashiyo jago aap log Kish pagal ki baten soon rahen hai ish admi Ney aaj tak desh ki janta ko jhooth bool Kar murkha banaya hai aap tuo padhey likhney ho kuch tuo bolo aap log desh key nagarik hai desh key bhala ki Soch rakhey desh ko barbaad karney wala ye jumleywaaz hai

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  14. Sir aap hi news channel khona sathe hai lekin modi gagha manjuri nahi deta hoga

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