Thursday, July 11, 2019

भारत नहीं हारा ...... क्रिकेट हार गया

क्रिकेट विश्व कप से भारत बाहर हो गया । दोष किसका है , किसी का नहीं । सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड ने अपनी फिल्डिंग और गेदबाजी के दम पर भारत को हरा दिया , गलती किसकी है किसी की नहीं । तो क्या वाकई हम एक ऐसे दौर में आ चुके है जहां अपने अपने क्षेत्र के नाकाबिल कप्तान हार के बावजूद दोषी नहीं होते है । कप्तान विराट कोहली ने शुरुआती पैतालिस मिनट के खेल को दोषी करार देकर दो दिन तक चले न्यूजीलैंड के मुकाबले में हार को महज इत्तेफाक कहकर खामोशी बरत ली और भारत के तमामलोगो ने मान लिया इससे बेहत भारतीय टीम हो नहीं सकती तो फिर 'वेलडन ब्याज' के आसरे जश्नमें कोई कमी रहनी नहीं चाहिये इसे भी दिखा दिया । सिवाय देश के मुख्य न्यायधिश के अलावे पीएम से लकर सीएम तक और कैबिनेट मंत्रियो से लेकर धराशायी विपक्ष के नेतओ ने भी सोशल मीडिया पर टीम इंडिया की हौसलाअफजाही करते हुये हार से कुछ इस तरह मुंह मोडा जैसे क्रिकेट के जश्न में कोई खलल पडनी नहीं चाहिये । आखिर बीसीसीआई दुनिया के सबसे ताकतवर खेल संगठन के तौर पर है ।  जिसका टर्नओवर बाकि नौ देशो के क्रिकेट संगठनो के कुल टर्नओवर से ज्यादा है तो फिर गम काहे का । और आईपीएल में तो सभी को कमाने-खाने भारत ही आना है । फिर भारत फाइनल में नहीं होगा तो लाड्स के फाइनल को देखने कौन पहुंचेगा । और विज्ञापन से कमाई भी थम जायेगी । टीवी राइंटस से भी आईसीसी की कमाई में पचास फिसदी तक की कमी आ जायगी । तो गम काहे का । और अब भारतीय क्रिक्रेट प्रेमी रविवार को लाडस का फाइनल देखने की जगह बिबलडन का फाइनल देखेगें जिसमें नडाल या फेडरर में से कोई तो पहुंचेगा ही । क्योकि शुक्रवार यानी 12 जलाई को  सेमीफाइनल में यही दोनो टकरा रहे है । यानी टीवी पर विज्ञापनो का हुजुम क्रिकेट से निकल कर टेनिस में समा जायगा । क्योकि भारतीय कंजूयमर या कहे भारतीय बाजार क्रिकेट विश्व कप नहीं बल्कि विम्बलडन देख रहा होगा । तो पूंजी ,बाजार, जश्न ,जोश जब चरम पर हो और उसपर राष्ट्रवाद  चस्पा हो तब क्रिकेट का मतलब सिर्फ खेल नहीं बल्कि देश को जीना होता है और देश कभी हारता नहीं । तो हार कर भी भारतीय टीम हारी नहीं है ये सोच जगाकर जरा सोचना शुरु किजिये आखिर हुआ क्या जो भारतीय टीम हार गई ।
कही कप्तान की कप्तानी का अंदाज कुछ ऐसा तो नहीं हो चला था जहा वह जो करें वही ठीक । क्योकि पहले चालिस मीनट में रोहित और विजय के साथ विराट भी पैवेलियन वापस लट आये थे । और यही से शुरु होता है कि आखिर कप्तान का मतलब होता क्या है । और जीतने वाली न्यूजीलैंड टीम के कप्तान की पीठ हर कोई क्यो ठोंक रहा है । जबकि उसके दो धुरंधर गेदबाज बोल्ट और हेनरी ने कमाल किया । लेकिन विश्वकप के फाइनल मोड पर टीम के संयम और सटीक फिल्डिंग का जो अनुशासन न्यूलीलैंड के कप्तान विलिम्सन ने दिया वह अद्भूत था । लेकिन दूसरी तरफ तीन विकेट गिरने के बाद कार्तिक की जगह धोनी क्यों नहीं मैदान में उतारे गये कोई नहीं जानता । फिर रिषभ पंत पर भरोसा विश्वकप के बीच में क्यो जागा और भारतीय क्रकेट टीम के इतिहास में तीन विकेटकिपर टीम इलेवन में खेल रहे है ये भी अपनी तरह का नायाब दौर रहा । जडेजा को इंगेलैड के खिलाफ क्यों मैदान में नहीं थे । और शमी झटके में कैसे बाहर हो गये । कोई नहीं जानता । यानी चालिस मिनट में ढहढहायी टीम इडिया के कप्तान के पास प्लान बी क्या था । ये सबकुछ जानते हुये भी कोई नहीं जानता क्योकि हर किसी को याद होगा विश्वकप से पहले जब तमाम टीम आपसे में वार्म-अप मैच खेल रही थी तब भी न्यूजीलैंड के खिलाफ भारतीय टीम ऐसी ही ढहढहायी थी । कुला जमा 179 रन भारत ने बनाये थे और तब भी जडेजा ही एकमात्र खिलाडी थे जिन्होने पचास रन ठोंके थे । यानी न्यूलीजैड के तेवर को प्रेक्टिस मैच में भारत देख चुकी थी । और याद किजियेगा तो उस प्रेकटिस मैच में भी मौसम बिगडा हुआ था ।तब कोहली ने  ' ओवरकास्ट '  यानी मौसम को दोष दिया था और उसके बाद कोहली ने टीम इलेवन को लेकर जो सोचा वह किया । और फिर कोच रवि शास्त्री की नियुक्ति तक पर जब कप्तान कोहली की चलने लगी हो तब मान लिजिये भारतीय क्रिकेट अपने अंहकार के चरम पर है । और हुआ यही है कप्तान की मनमर्जी या भारतीय क्रिकेट फैन्स का दीवानापन या बीसीसीआई की रईसी या फिर क्रिकेट को धर्म मानते हुये सचिन को भगवान मानने की पुरानी रीत के आगे अब क्रिकेट का जुनुन छद्म राष्ट्रवाद में समा चुका है । जिसे कई खोना नहीं चाहता है तो अठारह राज्यो के सीएम । देश के सोलह कैबिनेट मंत्री और विपक्ष में गांधी परिवार से लेकर क्षत्रपो की एक कतार भारतीय टीम का ढांढस इसलिये बंधाती है क्योकि उसे पता चल चुका है अब कप्तान के होने का मतलब क्या है । और खेल भावना सिर्फ कप्तान के साथ खडे होने में ही क्यों है । क्योकि लोकतंत्र की परिभाषा भी जब सत्तानुकुल हो चुकी होगी तो फिर कर्नाटक या गोवा में पाले बदलने से लेकर पाला बदलने से रोकने वालो को ही मुबंई के होटल के बाहर पुलिस गिर्फतार करने से चुके गी नहीं । यानी विकल्प हर किसी के पास कम हो चले है । राजनीति कहती है या तो सत्ता के साथ आ जाओ तमाम सुविधा मिलगी । नहीं आओगे तो जांच एंजेसी आपके दरवाजे पर खडी है । खेल कहता है , कप्तान के साथ खडे हो जाओ तो सभी खेलते रहगें । नहीं तो अंबाती रायडू की तरह सन्यास लेना पडेगा । और फैन्स कहते है , इंडिया , इंडिया । बाकि आप जो सोचते है उसका कोई मतलब नहीं है कि क्योकि देश मान चुका है भारत हारा नहीं है क्रिकेट हारा है । क्योकि बिना भारत विश्वकप क्रिकेट का क्या महत्व है । कोई देखने वाला ना होगा । कोई सट्टा लगाने वाला ना होगा । कोई विज्ञापन देने वाला ना होगा । तो क्रिकेट ने बाजार गंवाया और हम क्रिकेट में हार कर भी क्रिकेट के  बाजार में सबसे ज्सयादा मुनाफा पाने वालो में है ।     

12 comments:

  1. Yeap it's time only that change all things around us and vary few who dare their voice....keep it !!

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  2. तीन नहीं चार विकेटकीपर थे (धोनी, दिनेश कार्तिक, रिषभ पंत और KL राहुल)

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  3. सर आप बतादें कि ये सब क्यों हुआ तो हमें भी पता चल जाय।।

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  4. Jayda roti mil gai har se roti milne band too nahi ho jaygi
    .sami ko na khilne eska matlab india ko jan bhuj kar harya gaya he khildi bechere se kay karne kingdom se order gaya india ki nak kat jay per shami ko mat khilna

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  5. Sir . Roti ki deewngi nahi he .. sab roti ke dehr per bethe pade hen .raaja to sbhi roti ke derho ka malik he us kay krna koi mare ya jiya us to jugat lagni he ki ham usko god ka darja de

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  6. Sir aaj kitnè log per day bhooke sote hen . Sir one village single people are not living there so may that village be called after sam time devil villge so same like unemployment if they not service they must be going devil side this the future of india devil country

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  7. Sir I need help
    Nilesh malaviya
    From Rajkot (Gujrat)
    Co.+91 9978125056

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  8. Sir I need your help it is the matter of life
    of some one pls contact me on this mail ret_sss@yahoo.com

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