1 लाख 76 हजार करोड़ का 2 जी स्कैम, 1 लाख 85 हजार करोड़ का कोयला घोटाला और अब करीब सवा लाख करोड़ का गैस घोटाला। 2जी घोटाले के खेल में 6 कॉरपोरेट घरानों के नाम आये। कोयला घोटाले में 27 कॉरपोरेट और 19 कंपनियों के नाम आये। और गैस घोटाले में रिलायंस इंडस्ट्री का नाम आया। 2जी घोटाला 2008 में हुआ। कोयला घोटाला 1998 से शुरु हुआ और 2010 तक जारी रहा। गैस घोटाले की शुरुआत 2004 में हुई। यानी 2जी घोटाला मनमोहन सिंह के दौर में हुआ तो कोयला घोटाला वाजपेयी के दौर से शुरु होकर मनमोहन सिंह के दौर में ज्यादा तेजी से होने लगा। और गैस के घोटाले पर हस्ताक्षर तो मनमोहन सिंह के दौर में हुये लेकिन केजी बेसिन को मुकेश अंबानी के हवाले 2002 में वाजपेयी सरकार के दौर में ही किया गया। और इन तीनों की कीमत जिस औने पौने दाम में कॉरपोरेट को दी गयी और उससे जो मुनाफा कॉरपोरेट ने कमाया उसे अगर सीएजी के दायरे में देखें तो देश को 2जी, कोयला और प्रकृतिक गैस के घोटाले से 4 लाख 86 हजार 591 करोड का चूना लगा दिया गया। तो देश को चूना लगाने वाली इस रकम यानी 486591 करोड़ रपये के मायने भी समझ लें। मौजूदा वक्त में अगर यह रकम रसोई गैस और पेट्रोल डीजल में राहत के लिये जोड़ दी जाये। यानी तमाम लूट के बाद भी जो कीमत आम जनता से सरकार वसूल रही है अगर उसमें 4 लाख 86 हजार करोड की सब्सिडी मिलने लगे तो महंगाई में तीन सौ फीसदी की कमी आ जायेगी। क्योंकि तब पेट्रोल औसतन 70 रुपये लीटर से घटकर 36 रुपये लीटर पर आ जायेगा। डीजल में 60 फीसदी प्रति लीटर की कमी हो जायेगी। और रसोई गैस प्रति सिलेन्डर आम जनता को 250 रुपये में मिलने लगेगा।
यू महंगाई का सवाल इस लिये भी इन तीनों से जुड़ा है क्योंकि इन तीनों पर कॉरपोरेट का सीधा कब्जा है। यानी सरकार चाहे तो भी इनकी कीमत तय नहीं कर सकती है और जिन कॉरपोरेट के हाथ में इसका लाइसेंस होगा वह अपने मुनाफे को आंक कर ही कीमत तय करेगा। तो इन कीमतो से पड़ने वाले सीधे असर को समझें तो औघोगिक उत्पाद,खेती और सफर के महंगे होने में इन तीनो की भूमिका सबसे बड़ी है। क्योंकि इसी की वजह से गैस के पावर प्लांट से लेकर खाद तक की कीमतें बढ़ीं। जो 1 अप्रेल से और ज्यादा बढ़ेंगी। और इस लकीर पर संयोग से 2जी के घोटाले ने संचार व्यवस्था को भी लूटतंत्र में बदला है तो आधुनिक होते भारत में सिर्फ वहीं सुकून से जी सकता है, जिसकी जेब भरी हो या फिर औसतन कमाई हर महीने कम से कम 52 हजार जरुर हों। यानी जिस देश में सालाना कमाई ही औसतन 50 हजार बतायी जाती हो। और इस 50 हजार रुपये सालाना औसतन कमाई का सच यह हो कि देश की 80 फीसदी आबादी की सालाना कमाई महज 4 हजार रुपये से कम हो तो कल्पना कीजिये कि देश में असमानता का पैमाना कितना तीखा है और कारपोरेट की कमाई कितनी ज्यादा है। कारपोरेट-सरकार नैक्सैस के खेल में देश के ही संसाधनों की कीमत कैसे तय होती होगी यह भी अब खुले तौर पर सामने लगा है।
दरअसल, सवाल सिर्फ कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए का नहीं है, यह बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए का भी है। मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडिया लिमिटेड को को बारह बरस पहले वाजपेयी सरकार ने प्रकृतिक गैस निकालने के लिये केजी बेसिन सौपा। और वाजपेयी सरकार के जाने के बाद 2004 में मनमोहन सरकार ने मुकेश अंबानी के साथ गैस खरीदने का सौदा किया। दरअसल दिल्ली सरकार ने जिन दो केन्द्रीय मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले में एपआईआर दर्ज की है उसकी वजह उन्हीं के पेट्रोलियम मंत्री रहते हुये मुकेश अंबानी की हर शर्त मानने का आरोप है। मसलन 2004 में पेट्रोलियम मंत्री मणिशंकर अय्यर थे और 2006 में मणिशंकर अय्यर को तब पेट्रोलियम मंत्री पद से हटा दिया गया जब रिलांयस ने खर्च करने की आधिकतम निर्धारित रकम 2.39 बिलियन डालर से बढाकर 8.8 बिलियन डालर करने की मांग की। साथ ही प्रति यूनिट गैस की कीमत 2.34 डालर से बढ़ाकर 4.2 डालर करने की मांग की । अय्यर नहीं माने तो मनमोहन सिंह ने मंत्रिमंडल में परिवर्तन कर मुरली देवडा को पेट्रोलियम मंत्री बना दिया और देवडा ने रिलायंस की तमाम शर्तो पर सहमति दी, जिस पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी। इसी तरह रिलांयस ने अगला खेल 2012 में किया। उस वक्त जयराल रेड्डी पेट्रोलियम मंत्री थे और रिलांयस ने प्रति यूनिट गैस 4.2 डॉलर से बढ़ाकर 14.2 डालर प्रति यूनिट करने की मांग की। जयपाल रेड्डी नहीं माने तो मनमोहन सिंह ने मंत्रिमंडल में परिवर्तन कर वीरप्पा मोइली को पेट्रोलियम मंत्री बना दिया। और मंत्री बदलते ही समझौता हो गया। तय यही हुआ कि 1 अप्रैल 2014 से प्रति यूनिट गैस की किमत 8.4 डालर प्रति यूनिट होगी।
दरअसल, गैस के इस खेल को बेहद बारिकी से अंजाम दिया गया। क्योंकि जब सरकार ने गैस के खरीद मूल्य को बढ़ाने से इंकार किया तो कई वजहो को बताते हुये गैस के उत्पादन में कमी कर दी गयी। उसके बाद जो रिपोर्ट सरकार के सामने आयी वह भी कम दिल्चस्प नहीं है। बताया गया कि मुकेश अंबानी से समझौता कर लें तो रिलायंस को 43000 करोड़ का लाभ होगा। और रिलायंस ने उत्पादन कम कर दिया है और विदेशी बाजार से गैस खरीदना पड़ रहा है तो सरकार पर 53000 करोड का बोझ पड़ रहा है। तो रिलायंस के आगे मनमोहन सरकार झुक गयी। और इसी मामले को सीपीआई सांसद गुरुदास दास गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में भी उठाया। और सीएजी ने भी अपनी रिपोर्ट में करीब एक लाख 25 हजार करोड का मुनाफा रिलायंस को देने का आरोप भी लगाया। लेकिन इन सब के बाद अब दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने इस पूरे मामले को ही आपराधिक मामले करार दे दिया है। और दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिये है। उसके बाद कई सवाल खड़े हो गये हैं। एफआईआर दर्ज करने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो क्या आरोपियों को गिरफ्तार करेगा। क्या गिरफ्तारी से बचने के लिये अब आरोपी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे। क्या खनिज संपदा को लेकर रंगराजन कमेटी की रिपोर्ट को ही आधार बना लिया जायेगा। क्या सुप्रीम कोर्ट अब तेजी से काम करेगा और कोई फैसला जल्द सुना देगा। बड़ा सवाल कि 1 अप्रैल 2014 से गैस की कीमत क्या होगी। लेकिन सिस्टम का मतलब क्रोनी कैपटिलिज्म हो चुका है यह तो मान लीजिये।
Superb sir ji.. You always rock at you 'Dastak' show..but please dont be biased towards AAP.
ReplyDeletesir achha lga apne ispe kuch likha thanks
ReplyDeleteकॉर्पोरेट के दबाव में सरकारें हमेशा रही हैं। लेकिन यहां बड़ी समस्या यह है कि जो तथ्य और आरोप किसी समय विशेष पर कारगर साबित हो सकते थे, उन्हें केजरीवाल ने अपने निजी उपयोग में लिया है और वे शीला दीक्षित वाले अंदाज में दोहरा सकते हैं
ReplyDelete"अगर आपके पास कोई सबूत हो तो लाएं..."
पता नहीं जनता कितनी बार ठगी जाएगी...
Great Sir.......... Salute
ReplyDeleteSareyam ho rahi loot par Bikau patarkaron ki beed mein aisi awaaz ashi lagti hai.
ReplyDeleteयदि पुण्य प्रसुन बाजपेयी जी तक मेरी ये बात पहुंचे तो मैं ये अनुरोध करना चाहूंगा कि चुनावी पंचायत के LIVE प्रोग्राम में कृपया यदि हो सके तो राहुल गांधी, नरेंद्र मोदी एवं अरविंद केजरीवाल को एक साथ इस मंच पर बुलाया जाए और विभिन्न समस्याओं पर उनकी राय सुनी जाए एवं यदि वो प्रधानमंत्री बनते हैं तो एक साल के भीतर देश में क्या बदलाव होगा अपनी विचार धारा स्पष्ट करे और यदि ऐसा कर पाने में सक्षम न हो तो क्या वो प्रधानमंत्री पद से स्तीफ़ा देने के लिए तैयार होंगे?
ReplyDeleteमेरे ख्याल से ये काफ़ी रोमांचक होगा।
https://www.facebook.com/p.k.singh.hub
क्या दिल्ली सरकार के पास FIR करने का अधिकार है।
ReplyDeleteसर क्या दिल्ली सरकार के पास FIR करने का अधिकार है इन लोगों के खिलाफ ?
ReplyDeletePrasun ji, I see now you do not add tags in posts, please add them so that I/users can find specific information.
ReplyDeleteMR. Bajpai you are a star
ReplyDeleteBajpai ji, I request you to stop favouring Kejriwal and AAP. Please, we are fed up with his drama....other channels have already realized this...only your channel do not. Please don't give them a forum, the recent Kejri interview was the worst by you as you didn't asked him tough questions & he continued his false rhetoric.
ReplyDeleteSayad isiliye Dr manmohan singh itne achhe arthsastri h!
ReplyDeleteSome friends on this page are providing their bias views about AAP on this page
ReplyDeleteThey are humbly requested ,to please clean their biased spectacles and then give their viewpoint.
Jai shahid bhagat singh
Beta, abhi bhi asliyat nayi pata lagi to jara youtube pe bajpai ji ki bharat bhrast ratn kejriwal se off the record baat dekh lo. Suna hai kejriwal ne inko rajya sabha bhejne ka vaada kiya hai....sach kaha na bajpai ji???
DeleteSome friends on this page are providing their bias views about AAP on this page
ReplyDeleteThey are humbly requested ,to please clean their biased spectacles and then give their viewpoint.
Jai shahid bhagat singh
AAP kab JOIN kar rahe hai... Officially Guide kijiye Kejriwalji ko...Leak video dekh ke aap ke saare post fir se padhe pata chala sab biased hai..
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