Sunday, March 24, 2019

धीरे धीरे बिसात पार्ट - 2 ..... संघ की चुनावी राजनीतिक सक्रियता



मोदी के सामने मुश्किल खूब है तो दूसरी तरफ सरसंघचालक मोहन भागवत की भी परिक्षा है । मोदी को एहसास है 2014 के दिखाये सपने अगर 2019 में पूरे हो नहीं पाये है तो फिर हवा उल्टी जरुर बहेगी और मोहन भागवत को भी एहसास है कि प्रचारक के बनने के बाद भी संघ के तमाम एंजेडा अगर मटियामेट हुये है तो फिर उनके पास दुबारा मोदी के लिये खडे होने के अलावे कोई विकल्प भी नहीं है । यानी 2019 के चुनाव में मोदी न कोई अलख नहीं जगायेगें न अपने उपर लगते आरोपो का जवाब देगें । यानी राफेल हो । बेरोजगारी हो । किसान का संकट हो । व्यापारियो की मुस्किल हो । मंहगाई की मार हो । घटता उत्पादन हो । शिक्षा-हेल्थ सर्विस का संकट हो । जवाब मोदी देगें नहीं । क्योकि चुनाव पांच साल के लिये मोदी ने लडा नहीं है बल्कि काग्रेस के वैचारिक जमीन कोखत्म कर संघ की जमीन को स्थापित करने का ही ये संघर्ष है और ये एहसास 2019 में संघ परिवार को भी करा दिया गया है या फिर उसे हो चला है कि हिन्दु राष्ट्र का जो भी रास्ता उसने देखा है वह काग्रेस को खत्म कर ही बन सकता है । और इसके लिये मोदी की चुनावी जीत जरुरी है । यानी सवाल तीन है । पहला , 2019 में मोदी-भागवत एक ही रास्ते पर है । यानी काग्रेस अगर संघ परिवार में मोदी को लेकर कोई भ्रम देख रही है तो ये काग्रेस का भर्म है । दूसरा , मोदी के अलाव संघ किसी दूसरे को नेतृत्व की सोच भी नहीं सकता है । यानी काग्रेस या विपक्ष अगर गडकरी या त्रिशकु जनादेश के वक्त मोदी माइनस बीजेपी को देख रहा है तो ये उसकी भूल होगी ।क्योकि उस हालात में भी बीजेपी के पीएम उम्मीदवार मोदी के पंसदीदा होगें । जो आज की तारिख में महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडनवीस हो सकते है । तीसरा ,  संघ के कैडर को इसका एहसास है कि मोदी की सत्ता नहीं रही तो फिर उनके बुरे दिन शुरु हो जायेगे यानी वह सवाल दूर की गोटी है कि मोदी को लकर संघ कैडर में गाय से लेकर मंदिर तक के जो सवाल पाच बरस तक कुलाचे मारते रहे कि वह चुनाव में मोदी के खिलाफ जा सकते है । असल में संघ के सामने भी चुनावी जीत हार आस्तितव के संकट के तौर पर है इसका एहसास मोदी ने बाखूबी संघ को अपने संकट से जोड कर करा दिया है ।ऐसे में संघ ने पहली बार दो स्तर पर चुनावी प्रचार की रुपरेखा तय की है । जिससे कमोवेश देश की हर सीट तक उसकी पहुंच हो सके । और पहली बार स्वयसेवक किसी राजनतिक कार्यकत्ता की तर्ज पर चुनावी क्षेत्र में ना सिर्फ नजर आयेगे बल्कि सात चरण में सात जगहो पर नजर भी आयेगें । तरीके दो है ,  पहला, राज्यवार एक लाख स्वयसेवको का समूह सीट दर सीट घुमेगा । दूसरा , स्वयसेवक मोदी के बारे में कम काग्रेस के बारे में ज्यादा बात करेगें । यानी 2019 की राजनीति को ही संघ अपने हिसाब से गढने की तैयारी में जुट चुकी है जहा मोदी के पांच बरस र कोई चर्चा नहं होगी लेकिन काग्रेस के होने से क्या क्या मुश्किल देश के सामने आती रही है उसे परोसा जायेगा । और ये प्रचार कितना तीखा हो सकता है ये इससे भी समझा जा सका है एक तरफसाक्षी महाराज का बयान है तो दूसरीतरफ इन्द्रेश कुमार का । साक्षी कहत है मोदी जीते तो फिर ्गला चुनाव होगा ही नहीं त इन्द्रेश कुमार कहते ह कि मोदी बने रहे तो चंद बरस में लाहौर , कराची , रावलपिंडी में भी भरतीय जमीन खरीद सकते है । यानी स्वयसेवको में ये भ्रम ना रहे कि असंभव किया नहीं जा सका । तो मोदी को लारजर दैन लाइफ के तौर पर संघ के भीतर भी रखा जा रहा है जिसमें हिन्दुस्ता के लोकतंत्र का मतलब ही मोदी है तो दसरी तरफ अंखड भारत का सपना दिख कर हर दिन शाखा लगाने वाले स्वयसेवक मान लें कि पाकिसातन भी मोदी काल में भारत का हिस्सा होगा । यानी बिना समझ के सडक की भाषा या अवैज्ञानिक तरीके से संवैधानिक सत्ता को भी सडक के सामानातांतर ला दिया जाये तो सोच का पूरा पैराडोक्स ही बदल जायेगा ।
जारी...

12 comments:

  1. Sir मै आपका contact number , address खोजने का बहुत कोशिश किया पर नहीं मिला ,please call me 7091177782, I am from Patna "jay hind"

    ReplyDelete
  2. कौन नही चाहता की बाजपेयी जी फ़ोन करें
    सिंगरौली (म.प्र.)से अरविंद पांडेय
    9425080848

    ReplyDelete
  3. Country needs a Surgical Strike through Vote in upcoming Loksabha Election to establish Democracy in India in a true sense. If SC Judge says "I don't believe in indian democracy" Then we must think and analyse. We are again leading through Samantwaad through BJP fully backed by Corporates. Today's situation is "We the people of india are made to work(Tax paid) to write-off huge Corporates Loans". Basically Corporates are enjoying on Loans. Aam Aadmi property will be seized if he fail to repay Loan it shows there is no democracy with in india as constitution has been locked for Aam Aadmi. So this time Hit hard

    ReplyDelete
  4. RSS ने 52 सालों तक तिरंगा नहीं फहराया
    RSS ने कभी राष्ट्रगान नही गाया
    RSS ने कभी संविधान को नही माना
    RSS ने कभी देश को लोकतांत्रिक नही माना

    मोदी इसी खानदान में लाठी भांजकर पले बढ़े है। और उसी व्यक्ती से संविधान और लोकतांत्रिक देश की रक्षा करने की उम्मीद लगाये बैठे हो?

    ReplyDelete
  5. मोदी है तो----- समझो ---- आर्य है

    ReplyDelete
    Replies
    1. Modi Ney desh ko loota hai agar desh chaiwale doodhwala chalayen GA tuo desh Ka barbaad hona tai hai aaj desh ki aarthik parishtithee bahut hee dainiya hai desh ko chalaney key liye ek shikasht aur anubhawee bayakti ki jarurat hai na ki anpadha gawar ki

      Delete
  6. Modi ko nanga karana hai tuo 2014 mey Modi key jumlo ko deshwashiyo sey puchey ki Modi key wado sey desh ki janta ko Kitna labh Mila Modi Ney desh ki janta ko murkha banaya hai aur desh ko loota hai

    ReplyDelete
  7. Sir fir jai hind band ho gaya aakhir kab tak ham aapke programme nhi dekh payenge

    ReplyDelete
  8. Sir you are right, it's only HINDUTVA Rajneeti from RSS

    ReplyDelete
  9. किस chinals पर आरहे है

    ReplyDelete
  10. मास्टर स्ट्रोक

    ReplyDelete
  11. 🙏 Pls safe Karo is desh ko RSS se..! Bahut Bari logo ne bhool ki hai modi ko 2014 me la kr.. ! Ham sab mil kr Kuch to jarur pariwartan la sakte hai. Bund bund se talab Bharat hai..! Apne aas pass Wale ko batao ye modi desh ke liye thik nhi hai..!! !
    🙏🙏 👍Dada namaste

    ReplyDelete