Monday, March 25, 2019
अब तो जाग जाईये...वरना 23 मई के बाद लंबी नींद
जो पाठ मोदी एंड कंपनी काग्रेस के 70 बरस के नाम पर कर रही है । और अपने पांच बरस छुपा रही है । जो मंत्र इंदिरा के गरीबी हटाओ के नारे को जप कर बीजेपी अपने सच को छुपा रही है । यह संकेत है कि लोकतंत्र इतिहास दोहराने को तैयार है । यकीन मानिये भरोसा काग्रेस पर से भी टूटा और इदिरा से भी टूटा है और भरोसा मोदी से भी टूटेगा । लेकिन इतिहास के पन्नो को पलटने से पहले सोचना शुरु किजिये ऐसे जनतंत्र पर किसका भरोसा बचेगा जो सत्ता पाने के लिये आम वोटरो की त्रासदी को खेल बनाता हो ।
इंदिरा का नारा गरीबी हटाओ । 1971 का चुनाव और इसी नारे के सहारे शोषित और उपेक्षित समाज की भावनाओ को उभारा गया । भाषण हो । पोस्टर हो । वादे हो । सबकुछ गरीबी हटाओ पर टिका । सत्ता मिली और जीत के तुरंत बाद पूंजीपतियो के संगठन में इंदिरा ने जो भाषण दिय वह उन नीतियो के ठीक उलट था जो गरीबी हटाओ के इर्द गिर्द ताना बाना बुने हुये था । और तब पहली बार चन्द्रशेखर ने ही सवाल उठाया कि अगर सरकार वादे पूरे नहीं करती । या फिर चुनावी नारो के जरीये लोगो की भवनाओ से खिलावड करती है तो फिर जनतंत्र से लोगो का भरोसा उठ जायेगा ।ये बात चन्द्रशेखर ने "यंग इंडिया " के संपादकीय में लिखा था । लेकिन अब सोचना शुरु किजिये कि इंदिरा का तो एक ही नारा था । और आने वाले वक्त में मोदी को कैसे लोग याद करेगें...या फिर याद करने की नौबत ही नहीं आयेगी क्योकि 2014 में गरीब गुरबो की भावनाओ से जुडे नारो की भरमारे बाद सत्ता पाते ही जिस तरह मुकेश अंबानी के अस्पताल में प्रधानमंत्री मोदी अंबानी हो गये और उसके बाद लगातार देश में जिस तरह नीरव को मोदी होने पर गर्व होने लगा । चौकसी को मोदी के याराने पर गर्व होने लगा । कारपोरेट का खुला खेल चंद हथेलियो पर रेगंने लगा उसमें 2019 का चुनाव भरोसा जगाने वाला चुनाव है या टूट चुके भरोसे में भी जंनतंत्र की मातमपुर्सी करते विपक्ष की रुदन वाला चुनाव है । या फिर चुनाव सिर्फ एवीएम मशीन और पूंजी के पहाड तले अपराध-भ्रष्ट्राचार की चादर ओढ कर सिर्फ वोटो की गिनती तक के जुनुन को पालने वाला है ।
कोई पैलेटिकल नैरेटिव जो बताता हो मई 2019 के बाद देश किस रास्ते जायेगा । कोई विजन जो समझा दें कि कैसे युवा हिन्दुस्तान सडक पर नहीं कल कारखानो या यूनिवर्सिटी या खेत खलिहानो में नजर आयेगा । कोई समझ जो बता दें मंडल- कमंडल और आर्थिक सुधार की उम्र पूरी होने के बाद भारतीय राजनीति को अब क्या चाहिये । या फिर राष्ट्रवाद या देशभक्ति तले सीमा पर जवानो की शहादत और देश के भीतर रायसिना हिल्स पर रौंदे जाते संविधान को ही मुद्दा बनाकर लोकतंत्र का नायाब पाठ याद करने का ही वक्त है । तो क्या लोकतंत्र-जंनतत्र अब सिर्फ शब्द भर है और इन शब्दो को परिभाषित करने की दिशा में देश की समूची पूंजी जा लगी है । और जो सत्ता के नयेपरिभाषा को याद कर बोलेगा नहीं वह कभी लिचिंग में । कभी लाइन में। कभी गौ वध के गुनहगार के तौर पर तो कभी भीड तले कुचल दिया जायेगा और कानून का राज सिर्फ यही संभालने में लग जायेगा कि कोई हत्यारा कही अपराधी ना करार दिया जाये । जब सबकुछ आंखो के सामने है तो फिर सोचना शुरु किजिये एक सौ तीस करोड के देश में । नब्बे करोड वोटरो के बीच । 29 राज्य और सात केन्द्र शासित राज्यो के बीच । देश के सामने 15 ऐसे नाम भी नहीं जो लोकतंत्र की तस्वीर लिये फिरते हो । मोदी-शाह , राहुल-प्रियका , मायावती-अखिलेश, नीतिश-लालू, ममता-चन्द्रबाबू , नवीन-स्टालिन , उद्दव-बादल और उसके बाद सांस फूलने लगेगी कि कौन सा नाम लें जो 2019 के चुनाव में अपनी सीट से इतर प्रभाव पैदा करने वाला है । या फिर लोकतंत्र को जिन्दा रख जनता को मौका दे दे कि जनतंत्र से भरोसा टूटना नहीं चाहिये । इस लोकतंत्र के हालात ठीक वैसे ही है जैसे बरसात में भीग चुके माचिस बेचने वाले के होते है । माचिस जला कर खुद मेंआग की तपन पैदा नहीं करेगा तो मौत हो जायेगी और तपन पैदा कर लेगा तो फिर भूख मिटाने के लिये माचिस बेच कर दो पैसे कमाने की स्थिति भी नहीं बचेगी ।
तो क्या 2019 का चुनाव वाकई मोदी-राहुल । या सत्ता-विपक्ष के बीच का है या फिर जनता और वोटर के बीच 2019 का जनादेश आकर उलझ गया है । जहा मोदी चुनाव हार चुके है और राहुल चुनाव जीत नहीं सकते । लेकिन हार - जीत जनता और वोटरो की ही होनी है । वोटिंग का दिन । घंटे भर की कतार । फिर दो मिनट में एवीएम का बटन । और 19 मई तक हर वोटर जीत जायेगा । और 23 मई को जनता हार जायगी ।
कल्पना किजिये या ना किजिये लेकिन सोचिये आखिर 23 मई के बाद जनता को क्या मिलने वाला है । और जनता अगर 11 अप्रैल से 19 मई क बीच वाकई जाग गई और खुद ही जनतंत्र का राह तय करने निकलने लगी तो फिर 23 मई को लोकतंत्र को बंधक बनाये चेहरो का नहीं जनता का जश्न होगा । पर भरोसा तो टूट चुका है । तो फिर मान लिजिये ये सपने में लिका गया आलेख है । और अब सपना टूट गया ।
👉तख्त बदलना है, ताज बदलना है 👉बेईमानों का राज बदलना है
ReplyDelete👉जो सरकार निकम्मी है 👉वह सरकार बदलनी है
#मेरा_PM_चोर है
कड़वा सच !4 हरामी गुजराती 130 करोड़ हिन्दुस्तानियो को चूतिया बना गए !
ReplyDelete2019 में गोदी-शाह के जूते हज़ार,
न कोई सोच न कोई विचार,
यूपी,पंजाब या हो बिहार,
कर दो आरएसएस के पिल्लो का सूपड़ा साफ,
यह अम्बानी अदानी के पालतू कुत्ते है,
इन्हें मूँह नही लगाना इन्हें भगाना है
भाजपा मुक्त भारत
Gulami ki aadat baalo ko kab pasand aayega ki desh ka naam videso main uchha ho
Deleteजय हिन्द
ReplyDeleteविकल्प कोई भी हो पर बीजेपी से बेहतर ही होगा क्योंकि जिस तरह से चीजे खराब हुई है और हर चीज का मजाक बना है वो कुर्सी की राजनीति की लिए तो ठीक हो सकता है पर लोगो में जो लोकतंत्र पे जो विश्वास है उसके लिए बहुत ही खतरनाक हैं
ReplyDelete2014 में ही हिन्दुस्तान की जनता
ReplyDeleteगरीबी मुक्त, रोजगार युक्त, कर्ज मुक्त, रोग मुक्त हो गई थी
बस केवल भ्रष्टाचार मुक्त करना बाकी था वो मोदी कर रहे है
लोकतंत्र की तुलना बरसात में माचिस बेचने वाले से
ReplyDeleteअद्भुत है.....
Nice analysis close to reality and in prospective to future
ReplyDeleteSir popular uprising se satta ka takhtapalat krne ka irada hai kya
ReplyDeleteDes Kisi Kai Baap Ki Jagir Nahi, Better Understand,Jai Hind
ReplyDeleteਸਰ ਹਮੇ ਆਪਕੇ ਉਪਰ ਪੂਰਾ ਭਰੋਸਾ ਹੈ। ਲੋਕਤੰਤਰ ਕੀ ਹੀ ਜੀਤ ਹੋਗੀ। ਔਰ ਹਿੱਟਲਰ ਕੀ ਹਾਰ ਹੋਗੀ। ਜੱਯ ਹਿੰਦ ਜੱਯ ਭਾਰਤ।
ReplyDeleteजय हिंद पुण्य जी वास्तविक स्थिति को खूब समझाया।
ReplyDeleteSir minimum income Yojana par Apne vichar prastut kare
ReplyDeleteक्या यह देश को और पीछे नहीं ले जाएगी जिस प्रकार से कृषि कार्य हेतु मजदूर उपलब्ध नहीं हो पा रहे है यह उसमें और सहयोग नहीं देगी सरकार द्वारा एक रुपए किलो दो रुपए किलो गेहूं चावल और अब दालें भी बाटी जा रही है सामान्य ग्रामीण इन सब गतिविधियों के चलते दिन प्रतिदन और आलसी होता जा रहा है हमारे यहां गांव में अब लोग सप्ताह में दो या 3 दिन ही मजदूरी करते हैं वह भी दारू मुर्गे के इंतजाम के लिए अनाज तो उन्हें मिल ही जाता है
ऐसे में जब सरकार स्वयं दारू मुर्गा की व्यवस्था भी सीधे बैंक का अकाउंट में रुपए डाल कर कर देगी तो क्या इस देश पर घोर संकट नहीं आ जाएगा.।
https://tarunk04.blogspot.com/2019/04/wave-of-universal-basic-income-ubi.html?m=1
DeleteU will get your answer. And please share as much u can. And also give your valuable feedback
मेरे दृष्टिकोण से अगर इसे पढ़ा जाए तो यह सिर्फ एक ही पहलू पर लिखा गया आलेख है, मैं समझता हूं आपके साथ बहुत गलत हुआ, अमित शाह के हस्तक्षेप की वजह से आपको बेईज्जत होना पड़ा, आपके स्वाभिमान को ठेस पहुंची, मैं आपकी पत्रकारिता की कद्र करता हूँ, दिल से सम्मान करता हूँ, लेकिन आप एक निष्पक्ष पत्रकार ही रहें, यह बिल्कुल सच है कि आज की मीडिया सिर्फ मोदी के गुणगान में ही लगी है। कोई आलोचना नहीं कर रहा मगर बात जब आपने लोकतंत्र की की है तो यहां आपने अपनी तराजू के पलड़ें में सिर्फ मोदी और शाह को ही तोला है, अन्य राजनीतिक दलों को दरकिनार कर दिया। आज किसी भी राजनीतिक पार्टी में संविधान की मूल भावना नहीं है। आपको संविधान की मूल भावना जागृत करने वाला आलेख लिखना चाहिए ना कि मोदी या राहुल विरोधी। धन्यवाद
ReplyDeleteSir Youtube pe aaiye na Maine aapka chennel subscribe kr rkha h or kal jo baat adhoori rah gyi thi usse to poora kijiye sir or usme Payton link bhi daliye jisse hum thoda contribute karke independent media ko aapki shakal main dekh sake
ReplyDeleteआदरणीय बाजपेई जी सादर प्रणाम ये सरकार बदलनी ही चाहिए। क्यों कि 2014 में किये वादों के आधार पर बनी थी। आज वह उनका जबाब नही दे पारहे हैं। कुछ काम रह जाते हैं। लेकिन उनको नजरअंदाज कर पुनः बहकाने का कार्य अब जनता बर्दाश्त नही करेगी।
ReplyDeleteModi ko godi pasand h
ReplyDeleteHumko to congress pasand h
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteArvind Kejriwal ji ke dimag me kuch sense daaliye kuch bhi karke, aaj desh ko congress aur bjp ke alawa ek rashtriya party ki jarurat mehsoos ho rhi hai. Kya ye baat sach nhi ki jo BJP din me khuleaam krti hai wahi congress raat me krti hai?
ReplyDeleteSir app ka official youtYou channel se ekbar live aye.bcoz ap ke Naam se bohot Sara fake YouTube channel ban Gaya..so log gumraha ho Raha he..App ka channel ka video download karke apna fake channel no ki all ke naam se banaya Gaya uspe uploaded ho Raha hai.
ReplyDeleteApp se binte hai pz sare video ke kilaf copyright ka strick de jisse hum sabko app ka original channel subscriptions kane may koi dikkat na aye & YouTube se app ka earning v Jada ho..May wada karta hu har din app ka video dekhi ga & koi v Add skip nahi karnga..plz share Paytm number also Jisse ki hum app ko madat debsake..
DESH KA TATHAKATHIT LOKTANTR LOKTANTR NAHI LOOTANTR HAI JO MUTTHI BHAR LOGO KA TANTR HAI YE SAMUCHA DESH JANTA/MANTA/SAMAJHTA HAI KINTU VIKALPHEEN HAI. RAJNITI MUDDO PAR KYA HOGI KYUKI AAJ RAJNITI SWAYAN MUDDA BAN KAR RAH GAYI HAI.UPA AUR NDA KA EK SATH VAJUD MITANE KA VIKALP YUVA HAI JISKA CHAKRVYUH MERE PAS HAI KINTU DUKH AUR DURBHAGYA YE HAI KI ARSH SE FARSH TAK UPEKSHIT HAI LEKIN KAB TAK?.JAYHIND!
ReplyDeleteGath bhanthan Jo jitana hai desh bachana hai
ReplyDeleteModi ko harana hai, desh bachana hai.
ReplyDeleteदेश के सविंधान को बचाना है।
ReplyDeleteहमारे लिए सबसे बड़ा हमारा सविंधान है।
ये सविंधान ही है जिसके बदौलत सब को अधिकार मिले है।
बहुत अच्छे, सवाल उठते रहनी चाहिेए। पुण्य सर, इस सवाल का भी आप उठाएं। जब लोगों को मुफ्त में चीजें मिलने लगेगी तो वह मेहनत क्यों करेगा...??
ReplyDelete#choro को भागाना है ये ही हमारा ईरादा है
ReplyDeleteअगर जनता के पास कोई विकल्प ही नहीं बचा तो भविष्य में लोकतंत्र की दिशा कैसे तय होगी..
ReplyDeleteहा सर
ReplyDeleteआप यू tube पर आइये ना आपका इंतजार रहेगा
Salut u sir
तख्त बदलना है
ReplyDeleteSir aap YouTube pe aaiye Na
Jo so rahe wo desh ko kho rahe
ReplyDeleteJo jaag rahe wahi desh ko sawera dila rahe
इस गोदी मीडिया के युग में भी अगर किसी को सच्चाई है थोड़ा सा भी संकोच नहीं हो रहा है और निडर होकर वह अपने दिल की बात किसी स्तर पर लग रहा है तो वह एकमात्र पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपई है सेल्यूट है सर जी आपको
ReplyDeleteयूं ही निर्भीक होकर अकेले चलते रहिए कारवां खुद-ब-खुद बन जाएगा और वक्त आएगा कि लोग आपको याद रखेंगे। ईश्वर भी उनकी मदद करते हैं जो खुद की मदद करता है आपकी मेहनत और सच्चाई व्यर्थ नहीं जाएगी इसका भरोसा रखिए,जैस सीमा पर देश की रक्षा वीर सैनिक करते हैं, उसी तरह लोकतंत्र के प्रहरी आप हैं।सत्य निष्ठा निर्भीक होकर अपने कर्तव्य का निर्वाह करिए हम सब आपके साथ हैं, यकीन रखिए सर्वशक्तिमान ईश्वर की आपके साथ हैं।
ReplyDeleteMr. Bajpai, I am your fan, I want to meet you, if you have time for few minutes, any place in Delhi. It's request . Thanks
ReplyDeleteइस लोकतांत्रिक देश में फिरकापरस्त ताकतों ने आपसी सदभाव को छिन्न भिन्न करकें अपने स्वार्थों की पूर्ति की है।
ReplyDeleteये सब आजादी के पहलें भी था और बाद में भी सर्वविदित है।
जब तक जनता अपने अधिकार और कर्तव्यों के प्रति जागरूक नहीं होगीं तो स्वार्थी फिरकापरस्त ताकतें अपनीं स्वार्थ सिद्धि करती रहेंगी।
Is desh ke genes main hi problem hai. Jab fir se gulaam banoge tab aapki tisri pidi aapko bura bhala kahkar pachtayegi ki kaas hamare purvaj modi ka saath dete to aaj desh ki tasvir kuchh alag hoti.
ReplyDeleteSir aap kya jano desh kya hoti hai
ReplyDeleteSirf Congress ke path padha rahe ho
Dekh lo aap logo ke halat ho gayi so sad modiAgain 🙏