Saturday, August 3, 2013

मोदी के सपनों को उड़ान देती किताब

जिस राजनेता को निशाने पर लेना एक वक्त बौद्दिक तौर पर देशहित माना जाता हो और कुछ अर्से के बाद उसी राजनेता की तारीफ करना राष्ट्रहित माना जाने लगे, ऐसे कितने राजनेता होंगे। नरेन्द्र मोदी की छवि कुछ इसी तरह से दशक भर में बदली है और उस छवि को टटोलने का प्रयास करती किताबों की फेरहिस्त लगातार बढ़ती जा रही है। इस कतार में तेजपाल सिंह धामा की किताब "नरेन्द्र मोदी का राजनीतिक सफर" मौजूदा दौर में सियासी तौर कई परतों को एक साथ उठाता भी है और ढकता भी है। ढकता इसलिये है क्योंकि राजधर्म का पाठ मोदी 2002 में ना समझ पाये और मौजूदा वक्त में राजधर्म की परिभाषा मोदी से ही संघ गढ़वाना चाहता है। और इसी दौर में मोदी का कद कैसे बीजेपी से बड़ा बना दिया गया और सामानांतर में संघ ने निशाने पर दिल्ली में बैठे बीजेपी की उस चौकड़ी को लिया जो धीरे धीरे बीजेपी का कांग्रेसीकरण कर रही थी। ध्यान दें तो मोदी पर लिखी जाने वाली किताबों की फेहरिस्त में धामा की किताब मोदी के राजनीतिक सफर को उस सड़क पर सरपट दौड़ाती है, जो मोदी ने ही बनायी।

इसलिये मोदी के राजनीतिक तौर तरीकों पर बहस की गुंजाइश खत्म करती यह किताब मोदी को शून्य से शिखर की यात्रा का तमगा देते हुये स्वर्णिम गुजरात की रेखा खींचती है। चूंकि लेखक पत्रकार रह चुके हैं और पत्रकारिता गुजरात में ही की है तो मोदी की सफल यात्रा को बताने के लिये मोदी की उसी महीन राजनीति को भी इस किताब ने पकड़ा है जो मोदी को जानने समझने में मददगार है। राजनीति में रुचि रखने वाले कितने लोग जानते होंगे कि लगातार मोदी की दिल्ली दस्तक के दौरान होने वाली हर बैठक के बाद अनंत कुमार ही प्रेस कांन्फ्रेस क्यों करते है। इस सवाल का जवाब दिल्ली के किसी राजनीतिक रिपोर्टर से पूछें तो कहेगा कि अनंत कुमार संसदीय बोर्ड के सचिव हैं इसलिये करते हैं। लेकिन धामा की यह किताब बताती है कि नरेन्द्र मोदी के राजनीतिक सफर में अनंत कुमार बेहद अहम कड़ी हैं। क्योंकि विहिप के प्रवीण तोगडिया को खामोश रखने के लिये मोदी ने अंनत कुमार का ही इस्तेमाल किया। ठीक इसी तरह वह कौन सी परिस्थितियां हैं, जिसमें वही आरएसएस मोदी के पीछे खड़ा हो गया जो संघ एक वक्त मोदी के "एरोगेन्स" को लेकर दुखी रहता था।

फिर जिस मौलाना ताहिर उल कादरी ने अपने आंदोलन से पाकिस्तानी हुक्मरानों की नींद उड़ा दी उसके ताल्लुक मोदी से कैसे हो सकते हैं और गुजरात यात्रा के वक्त मोदी ने मौलाना को स्टेट गेस्ट कैसे बना दिया। जाहिर है यह ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब सामान्य तौर पर मोदी पर लिखी गई कोई किताब इसलिये नहीं देगी क्योंकि मौजूदा वक्त में नरेन्द्र मोदी का मतलब देश की सत्ता संभालने के लिये उड़ान भरता राजनेता है। जिसके नाखून में खून भी है और पंखों में उजास सी चमक भी है। और किताब चमक देखने दिखाने में ऐसी खोयी है कि गुजरात जमीन पर स्वर्ण दिखने लगे और आने वाले वक्त में इस स्वर्ण को बनाने वाले महात्मा गांधी और सरदार पटेल ही नही कृष्ण से भी आगे नजर आये। शायद हिन्द पाकेट बुक्स की यह खासियत है कि वह जिस शख्सियत पर कलम चलवाती है उसे सबसे उर्जावान , सबसे भरोसे वाला और इतिहास के पन्नों में दर्ज स्वर्णिम पन्ना करार देती है।




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