Thursday, August 25, 2011

सरकार के भीतर के खोखलेपन को उभार दिया अन्ना के आंदोलन ने

अन्ना हजारे के आंदोलन ने कांग्रेस और सरकार के भीतरी सियासी दांव-पेंच को ना सिर्फ सतह पर ला दिया है बल्कि पहली बार सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि सोनिया गांधी की अनुपस्थिति में मनमोहन सिंह के लिये कोई निर्णय राजनीतिक तौर पर लेना कितना मुश्किल है। दरअसल, जनलोकपाल पर बीते 24 घंटे में जिस तरह से सरकार ने बातचीत का रास्ता खोला और प्रणव मुखर्जी को वार्ताकार नियुक्त किया उससे लगा कि अब अन्ना हजारे का अनशन जल्द ही टूटेगा। लेकिन इन 24 घंटे के भीतर ही प्रणव मुखर्जी को भी उसी मनमोहन सिंह के कैबिनेट मंत्रियो ने सीसीपीए की बैठक में मनमोहन सिंह के घर पर मनमोहन सिंह के सामने खारिज कर दिया। इसका असर यही हुआ कि 24 घंटे पहले जो सलमान खुर्शीद अन्ना टीम को जनलोकपाल पर सहमति की हरी झंडी दिखा रहे थे, अब वही सलमान खुर्शीद 24 घंटे बाद बुधवार की सुबह जनलोकपाल के उस हिस्से पर भी वायदा देने से मुकर गये, जिस पर प्रणव मुखर्जी ने मंगलवार की रात हरी झंडी दे दी थी।

असल में अन्ना हजारे के आंदोलन से उमड़े जनसैलाब से घबरायी सरकार का भीतरी संकट यह है कि जो भी नेता या मंत्री अन्ना आंदोलन को सुलह के रास्ते ले जायेगा उसका कद झटके में सबसे बड़ा हो जायेगा। इसी सियासी बिसात पर अपनी अपनी चाल चलने में ही मनमोहन सिंह की कैबिनेट के वह मंत्री लग गये, जिनका प्रणव मुखर्जी से छत्तीस का आंकड़ा है। सीसीपीए की बैठक में प्रणव मुखर्जी के सुलह के हर रास्ते को पी चिदबरंम और कपिल सिब्बल ने यह कहकर खारिज किया कि जनलोकपाल के मसौदे को मानने का मतलब है संसदीय लोकतंत्र को संवौधानिक तौर पर खारिज करना। खासकर राज्यों के लोकायुक्त और नितले स्तर के नौकरशाही को लोकपाल के दायरे में लाना। इतना ही नहीं लोकपाल के अधिकारों को लेकर भी प्रणव की सहमति पर बैठक में अंगुली उठी।

इन सवालों के खड़े होने के बाद प्रणव मुखर्जी ने यही मुद्दा खड़ा किया कि आखिर किन शर्तो पर वह बातचीत को आगे बढ़ायें। ऐसे में प्रणव मुखर्जी को रास्ता यही सुझाया गया कि कोई निर्णय लेने से अच्छा है पहले अन्ना हजारे के अनशन को खत्म कराने की दिशा में यह कहकर कदम उठाये जायें कि अन्ना का जीवन अमूल्य है। और दूसरी तरफ अन्ना की टीम को संकेत यही दिये गये कि कोई निर्णय लेना मुश्किल है लेकिन बातचीत जारी रखनी भी जरुरी है। नहीं तो 'डेड लॉक' हो जायेगा । यानी पहली बार सरकार के भीतर से यह सवाल उठे कि वार्ताकार कितना भी अनुभवी या बड़ा मंत्री क्यों ना हो लेकिन निर्णय कोई नहीं लेगा।

खास बात यह भी है कि सलमान खुर्शीद ने यह सारे संकेत अपनी बैठक में अन्ना टीम को दे भी दिये। ऐसे में अन्ना की टीम के सामने सबसे बडी मुश्किल यही शुरु हुई कि अगर प्रणव मुखर्जी सरीखा नेता भी कोई निर्णय नहीं ले सकता है तो फिर वह बातचीत किससे करें और कहीं सरकार सिर्फ बातचीत के चक्रव्यूह में ही जनलोकपाल के समूचे आंदोलन को खत्म करने की दिशा में तो नहीं बढ़ रही है। जबकि आंदोलन किसी राजनीतिक सौदेबाजी के लिये नहीं शुरु हुआ। मगर उसकी दिशा सरकार से राजनीतिक सौदेबाजी की दिशा में ही ले जायी जा रही है। वहीं दूसरी तरफ सरकार के भीतर अन्ना के आंदोलन से सीधे टकराव से बचने के लिये सर्वदलीय बैठक में असहमति के सुर का सहारा लेने को ही आखिरी मंत्र करार दिया गया। ऐसे में पहली बार सवाल यह भी उठा कि क्या वाकई सोनिया गांधी की गैर मौजूदगी में सरकार और कांग्रेस के बीच का पुल टूटा हुआ है और मनमोहन सिंह की समूची सियासत कैबिनेट स्तर के मंत्रियों के आपसी टकराव पर आ टिकी हैं, जहां सरकार कोई निर्णय नहीं लेगी और बीतते वक्त के साथ ही लोगो का आक्रोष भी धीमा होता जायेगा और आखिर में मनमोहन सिंह बिना लड़े जीतेंगे और अन्ना लड़कर भी हारेंगे।

13 comments:

MG said...

Time has come now that we people of this country appeal to all the three defence forces of this country Army, Navy and Airforce to support this movement which is not only against corruption but against corrupt politician too. History shows that the army played a vital role to bring any such change where system is collasped due some handful of people. Army cannot just be a bystander now. They too are equally affected by the political decision taken by the corrupt politician whether it is a armour deal or power deal all of them affect the army as it does to the cvilian. They pay taxes, they avail facilites and above all they vote too. Its their duty as well to pick a corrupt free system like we civilian want. Its is time now that defence forces show their solidarity towards the people of the counrty and that they are aginast corruption too. They fight with the outside enemies to prctect this county and make it safe for its countymen, should not they must fight against the enemies which are inside the country? The moment Anna Hazare will ask these forces to support this movement I am well assured the next very moment govt. will pass the janlokpal bill. I appeal to Anna Hazare team to ask army to support this great movement taking place after the independence.

सतीश कुमार चौहान said...

प्रसून जी, आपके इस लेख लग रहा हैं,अब आप और आपका मीडिया भी हारा हुआ महसूस कर रहा हैं,दरअसल लाल खून वाले मेरे साथ आओ, बाकी सब बेकार नकारा हैं, मनमोहन उगली काट कर दिखाऐ तो केजरी जी कहेगे सीना चीर के दिखाओ,वाली कहावत ऐसे लोकलुभावने विषयो के लिऐ ही हैं अब केजरी मान रहे हैं वामपंथी इनके साथ हैं,बी जे पी रूख साफ करे, क्‍यो न मीडिया ही अपना दायित्‍व निभाते हुऐ एक बार देश के तमाम विधायको सांसदो से जनलोकपाल पर सर्वे करा ले 5 प्रतिशत भी साथ न देगे, अन्‍ना टीम अब तो सडक पर शव रखकर व्‍यवस्‍था को कोस कर लोगो से मदद मांगने का नाटक का रिहर्सल रही हैं ....

Apanatva said...

sabko sanmati de bhagwan .
Rashtr hit ko swhit se oopar rakhe varna aane walee peedee ine politicians ko dhikkaregee .

Garg L K said...

Satish kumar ji aap kyo media ko kos rahe hain...????
AAP kahana kya chahte hain bilkul bhi saff nahi hain...?

आम आदमी said...

मुझे कॉलेज में फेल होने पर इतना अफ़सोस नहीं हुआ था जितना आज हुआ है! अन्ना में मुझे आशा कि एक किरण नज़र आई थी लेकिन इस अंधी, गूंगी, बहरी और तानाशाह सरकार ने उसे भी भुजा दिया!

सरकार संसद में लोकपाल पर चर्चा कराने के लिए मान गई है लेकिन इस से फ़ायदा क्या होगा ?? सांसद मज़बूत लोकपाल पर राज़ी हो जाएँ ऐसा हो नहीं सकता क्योंकि जिस दिन ऐसा हो गया उस दिन संसद लोक सभा और राज्य सभा से नहीं बल्कि तिहार जेल से चलेगी!

सरकार इस बिल को संसद में पेश करीगी, ढेर सारी चर्चा होगी फिर बिल में काफी सारे संशोधन किये जायेंगे और एक नया ड्राफ्ट तैयार किया जायेगा जिसमें बहुत सारे loopholes होंगे!!

यह देखकर बहुत दुःख होता है कि न केवल हमारी उम्मीदें बल्कि अन्ना जी और उनकी टीम कि सारी मेहनत मिट्टी में मिलगई !!

A message for congress : I'm feeling guilty that I voted for u in 2008. Let the elections come & I'll teach u a lesson

mayank said...

प्रसून जी सादर नमस्कार, आपने तो इन निक्कमे सत्ता धारियों की दुखती रग हाथ ही नहीं रखा बल्कि लात मारदी !
समझ में नहीं आता कि ये लोग आखिर क्यों अड़ियल बनें हुए हैं, प्रधानमंत्री और न्याय पालिका लोकपाल के दायरे में क्यों नहीं आने चाहिए ? इसका सीधा अर्थ ये ही समझ में
आता है कि प्रधानमंत्री यदि भ्रष्टाचार करे तो उनको पुरी पुरी छूट है, उनके लिए कोई जांच नहीं कोई सजा नहीं ! क्या दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश की यही पहचान है ?

मयंक सोनी
09414324964
युवा रंगकर्मी, नाट्य निर्देशक
बीकानेर

Gaurav Chaudhary said...

Prasun Ji aapne bilkul sahi kha ..jab sarvdaliya meeting ka khel upa ne khela to sabhi ko pehle he pata tha ki result kab aayega aur wo result aaya bhi ..kyonki BJP chati thi ki anna team humare pass aaye aur kahe ki aap humara sath dijeye aur is tarah is andolan se BJP benifit lena chati thi isiliye sarvdaliye meeting mein usne janlokpal ko samarthan nahin diya..
ek doosri baat ye bhi ki B.J.P ko pta hain ki satta mein ya to UPA rehgi ya Hum ..aur agar janlokpal sansad mein parit ho gaya to ye phir hum pe bhi laagu hoga . aur yehi reason tha ki 9 Non UPA aur NON NDA Dal sansad ke bhar beth gaye .. so parsun ji in sab ke liye ek he muhavara satk bethta hain ki "Hammam mein sab nange hain"..

ek reason aur bhi hain In 1982, In Singapore, LOKPAL BILL was implemented and 142 Corrupt Ministers & Officers were arrested in one single day. Today Singapore has only 1% poor people & no taxes are paid by the people to the government, 92% Literacy Rate, Better Medical Facilities, Cheaper Prices, 90% Money is white & Only 1% Unemployment exists.
...ye dar india ke coroupt politician ko bhui hain ..because har dal mein chahe wo UPA ho Ya NDA ya Myulayam singh ki SP mein se kisi na kisi per koi naa koi case chal rha hain ..aur yehi reason hain ki sabhi nahin chjate ki janlokpal parit ho..

RIKIN said...

DEAR PRASOONJI
WHICH WAY CONGRESS BEHAVE IN PARLIAMENT WHICH SHOWS REAL FACE OF BEUROCRACY TO DELAY THING. IF ANNA BRAKES HIS FAST HE IS NOT LOSER BUT WE INDIAN PEOPLE LOOSE OUR SELF RESPECT.

कनिष्क कश्यप said...

पुण्य प्रसून बाजपेयी जी !!
आपका ब्लॉगप्रहरी पर नहीं होना हिंदी ब्लॉग लेखको के लिए दुखदायी है. कृपया ब्लॉगप्रहरी से जुड़ें.
http://blogprahari.com

ब्लॉगप्रहरी टीम

CHANDAN PRASHAR SINGH said...

To,

Team of ZEE News

MY HEARTIEST THANKS TO PUNYA PRASUN BAJPAI LED ZEE NEWS TEAM FOR SUPPORTING ANTI CORRUPTION MOVEMENT .

BAJPAI JI YOU AND YOUR TEAM WON HEART OF THE PEOPLE , REAL FOURTH PILLAR OF DEMOCRACY .
THANK YOU , THANK YOU VERY VERY MUCH.

REGARD

-- Chandan Parashar Singh

Praveen Agarwal said...

http://www.dharamvirbharati.com/munadi.html

Praveen Agarwal said...

http://www.dharamvirbharati.com/munadi.html

डॉ .अनुराग said...

उस पर तुर्रा ये के राहुल जी आकर एक नया बम्ब गलत समय पर छोड़ गये...जिस पर अन्ना समर्थक का कहना था ....ऐसे में जब आग लगी है आप एक बाल्टी पानी डालने के बजाय डेम कैसे बने ये समझा रहे है