देश के हर रंग को साथ जोड़कर ही कांग्रेस बनी थी और आज कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को कांग्रेस को गढ़ने के लिये देश के हर रंग के पास जाना पड़ रहा है। दिल्ली में कुलियों के बीच। झारखंड में आदिवासियों के बीच,बनारस में रिक्शा, खोमचे वालों के साथ तो गुजरात में नमक बनाने वालों के बीच। और संयोग देखिये कि 1930 में जिस नमक सत्याग्रह को महात्मा गांधी ने शुरु किया उसके 84 बरस बाद जब राहुल गांधी ने नमक से आजादी का सवाल टटोला तो नमक की गुलामी की त्रासदी ही गुजरात के सुरेन्द्रनगर में हर मजदूर ने जतला दी। मुश्किल यह है कि राहुल गांधी के दौर में नमक बनाने वालों का दर्द वहीं है जो महात्मा गांधी के दौर में था। अंतर सिर्फ इतना है कि महात्मा गांधी के वक्त संघर्ष अंग्रेजों की सत्ता से थी और राहुल गांधी के वक्त में हक की गुहार केन्द्र और राज्य सरकार से की जा रही है। तो हर किसी के जहन में यह सवाल उठ सकता है कि क्या देश के सामाजिक आर्थिक हालातों में कोई परिवर्तन नहीं आया है। तो जरा हालात को परखें और नरेन्द्र मोदी के राज्य में राहुल गांधी की राजनीतिक बिसात पर प्यादे बनते वोटरों के दर्द को समझें कि कैसे संसदीय राजनीति के लोकतंत्र तले नागरिकों को वोटर से आगे देखा नहीं जाता और आर्थिक नीतियां हर दौर में सिर्फ और सिर्फ देश के दो फीसदी के लिये बनती रही।
इतना ही नहीं पहले एक ईस्ट इंडिया कंपनी थी अब कंपनियों की भरमार है और नागरिकों के पेट पीठ से सटे जा रहे हैं। तो पहले बात नमक के मजदूरो की ही। जहां नमक का दारोगा बनकर राहुल गांधी गुजरात पहुंचे थे। गुजरात में एक किलोग्राम नमक बनाने पर मजदूरों को दस पैसा मिलता है। सीधे समझे तो बाजार में 15 से 20 रुपये प्रति किलो नमक हो तो मजदूरों को 10 पैसे मिलते हैं। इतना ही नहीं जब से आयोडिन नमक बाजार में आना शुरु हुआ है और नमक का धंधा निजी कंपनियों के हवाले कर दिया गया है उसके बाद से नमक बनाने का समूचा काम ही ठेके पर होता है। चूंकि चंद कंपनियों का वरहस्त नमक बनाने पर है तो ठेके के नीचे सब-ठेके भी बन चुके है लेकिन बीते दस बरस में मजदूरो को कंपनियो के जरिए दिये जाने वाली रकम में दो पैसे की ही बढोतरी हुई है। यानी 8 पैसे प्रति किलो से 10 पैसे प्रति किलो। लेकिन काम ठेके और सब ठेके पर हो रहा है तो मजदूरो तक यह रकम 4 से 6 पैसे प्रति किलोग्राम नमक बनाने की ही मिल रही है।
वैसे महात्मा गांधी ने जब नमक सत्याग्रह शुरु किया था तो साबरमती से दांडी तक की यात्रा के दौरान गांधी ने अक्सर नमक बनाने के दौरान मजदरो के शरीर पर पडते बुरे असर की तरफ सभी का ध्यान खींचा था। खासकर हाथ और पैर गलाने वाले हालात। इसके साथ ही नमक बनाने के काम से बच्चे ना जुडे इस पर महात्मा गांधी ने खासतौर से जोर दिया था। लेकिन किसे पता था कि महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह के ठीक 84 बरस बाद जब राहुल गांधी नमक बनाने वालो के बीच पहुंचेंगे तो वहां बच्चे ही जानकारी देंगे कि उनकी पढ़ाई सीजन में होती है। यानी जिस वक्त बरसात होती है उसी दौर में नमक बनाने वालों के बच्चे स्कूल जाते हैं। यानी नमक बनाने में जिन्दगी बच्चे भी गला रहे हैं और राज्य के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी हों या कांग्रेस के शहजादे राहुल गांधी दोनों को यह सच अंदर से हिलाता नहीं है।
दरअसल, संकट मोदी या राहुल गांधी भर का नहीं है। या फिर कांग्रेस या बीजेपी भर का भी नहीं है। संकट तो उन नीतियों का है, जिसे कांग्रेस ट्रैक वन मानती है सत्ता में आने के बाद बीजेपी ट्रैक-टू कहकर अपना लेती है। फिर भी डा मनमोहन सिंह के दौर की आर्थिक नीतियों तले राहुल गांधी की जन से जुड़ने की यात्रा को समझे तो देश की त्रासदी कही ज्यादा वीभत्स होकर उभरती है। जिन आर्थिक नीतियों के आसरे देश चल रहा है, असर उसी का कि बीते दशक में 40 लाख से ज्यादा आदिवासी परिवारों को अपनी जमीन छोड़नी पड़ी। 2 करोड़ ग्रामीण परिवारों का पलायन मजदूरी के लिये किसानी छोड़कर शहर में हो गया। ऐसे में झरखंड के आदिवासी हो या बनारस के रिक्शा-खोमचे वाले। इनके बीच राहुल गांधी क्या समझने जाते हैं। इनका दर्द इनकी त्रासदी तो फिर मौजूदा वक्त में देश के शहरो में तीन करोड से ज्यादा रिक्शावाले और खोमचे वाले हैं। जिनकी जिन्दगी 1991 से पहले गांव से जुड़ी थी। खेती जीने का बड़ा आधार था। लेकिन बीते दो दशक में देश की नौ फीसदी खेती की जमीन को निर्माण या परियोजनाओं के हवाले कर दिया गया। जिसकी वजह से दो करोड़ से ज्यादा ग्रामीण झटके में शहरी मजदूर बन गये। ध्यान दें तो राहुल गांधी गुजरात जाकर या झारखंड जाकर किसान या आदिवासियों को रोजगार का विकल्प देने की बीत जिस तरह करते हैं, उसके सामानांतर मोदी भी गुजरात का विकास मॉडल खेती खत्म कर जमीन खोने वाले लोगों को रोजगार का लॉलीपाप थमा कर बता रहे हैं। कोई भी कह सकता है कि अगर रोजगार मिल रहा है तो फिर किसानी छोड़ने में घाटा क्या है। तो देश के आंकडों को समझें। जिन दो करोड़ किसानों को बीते दस बरस में किसानी छोड़कर रोजगार पाये हुये थे, मौजूदा वक्त में उनकी कमाई में डेढ सौ फीसदी तक की गिरावट आयी। रोजगार दिहाड़ी पर टिका। मुआवजे की रकम खत्म हो गयी।
कमोवेश 80 फीसदी किसान, जिन्होंने किसानी छोड शहरों में रोजगार शुरु किया उनकी औसत आय 2004 में 22 हजार रुपये सालाना थी। वह 2014 में घटकर 18 हजार सालाना हो गयी। यानी प्रति दिन 50 रुपये। जबकि उसी दौर में मनरेगा के तहत बांटा जाने वाला काम सौ से 120 रुपये प्रतिदिन का हो गया। और इन्ही परिस्थितियों का दर्द जानने के लिये राहुल गांधी शहर दर शहर भटक रहे हैं। और देश के हर रंग को समझने के सियासी रंग में वही त्रासदी दरकिनार हो गयी है, जिसने देश के करीब बीस करोड लोगों को दिहाड़ी पर जिन्दगी चलाने को मजबूर कर दिया है। और दिहाडी की त्रासदी यही है कि ईस्ट इडिया कंपनी के तर्ज पर देसी कंपनियां काम करने लगी हैं। और नमक के टीलों के बीच नमक बनाने वाले मजदूर भी हाथ गला कर सिर्फ पेट भरने भर ही कमा पाते हैं। तो 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी साबरमती के आश्रम से नमक सत्याग्रह के लिये थे तो अंग्रेजों का कानून टूटा और 11 मार्च 2014 में जब राहुल गांधी गुजरात के सुरेन्द्रनगर पहुंचे तो कांग्रेस के चुनावी मैनिफेस्टो में एक पैरा नमक के दारोगा के नाम पर जुड़ गया। तो सियासत के इस सच को जानना त्रासदी है या इस त्रासदी को विस्तार देना सियासत हो चला है। और संयोग यही है कि 2014 का चुनाव इसी दर्द और त्रासदी को समेटे हुये हैं। जिसमें हम आप दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र का तमगा बरकरार रखने के लिये महज वोटर हैं।
Wednesday, March 12, 2014
भटकते राहुल गांधी क्या खोज रहे हैं
Posted by Punya Prasun Bajpai at 9:06 PM
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58 comments:
tujhe jara bhi sharm nahi aati hai itne log tujhse kuch pooch rahe hain, tu duniya se poochta firta hai kya kar raha hai tu sharm kar notnki waal ke saath apna bha khucha name bhi dubayega , sharm kar kya se kya ho raha hai aaj tak ki jagah aap likho saalo maroge sab ke sab maroge kide padenge saalo des ko kaha le jana chahte ho , tu saala tere chor saathi sab india ko dokha de rahe ho tumko ye desh kabhi maaf nahi karega
Sir mai aap ko apna adarsh manta tha...10tak ka mai bahut besbri se intejaar krta tha...iske liye mai apni mummy se jhagda krta tha ki punya ji ka show aayega mai usi ko dekhunga mummy meri uttaran dekhno ko kaheti lekin mujhe aapki aawaz bahut achhi lgti thi aur mai 10 tak dekhta tha... Mai aapka blog daily check krta tha ki aapka nya lekh kya hai? Mai aapki bahut respect krta tha ....
Lekin aapka video dekh kar mera vishwas tut gya.... Mere 3 fav journalist the..1. Punya prasun bajpai 2. Ravish kumar 3.aasutosh
3no ko kejriwal ne barbaad kr diya aur in 3no ne paid media ki baat ko sahi saabit kiya...
Sir aap ka interview news laundry me madhu ji ke saath dekhkar aap ke prri respect tha...
Aap pahle journalist hai jinhe 2 baar ramnath goynaka award mila hai ek baar print aur ek baar electronic....
Lekin sab vyarth.
Aap ko mubaarak....
Sir I am sorry for my last comment.I know you never cheat our imotion.i think something misinterpreted in this video.Thank you very much.
FUCK OFF
you people betray with my country, Fuck OFF
Bajpai ji, sharm nahi aati hai kya? Maine socha tha ki expose hone ke baad aap khud ki aur aaj tak ki bachi Hui izzat ke liye resign kar ke AAP join kar loge, lekin aap dono ka hi beda-gark karne ki kasam kha ke baithe ho. Looser...
He should do more research and gain knowledge.
He should do more research and gain knowledge.
sharm nahi aati kya ???????? aap party karte karte
PPVji you did no wrong. Such are the people of India that no amount of honesty inspires them and they keep earning their living. As a journalist your job is to wake up people and fight against evils. You tried. Had the people criticizing you heard a off camera conversation of Namo or any other politician they would repent on what they are supporting.
Bajpaye Ji Aap Apne Profesion Ke Sath Gaddari Kyun Kar Rahe Hain..? Mein Media Me Aapko Aur Ravish Ji Ko Hi Dekhta Tha,, Ravish Ji Ka Prime Time,,Aur Aapka Dus Tak,,, But Aap To Nikle Bas Aap Tak,, Kya Pura Aaj Tak Bhi Is Khel Me Kisi Ke Isharo Me Chal Raha Hai..? Ya Sirf Aap,,, Agar Aap Mere comments ko Padhen To Please Reply Dena,, Ki Aapko Yeh Haq Kisne Diya Ki Aap Desh Ki Janta Ko Dhokha De...??
पत्रकारिता का" पुण्य", आप का "पाप" हो गया ,?
बहुत क्रांतिकारी...बहुत ही क्रांतिकारी हो गया...!
Bada besharam hai..Abhi bhee haath malte hue 10 baje aa jata hai.shataranj,mohra,bisat,kahkara,chal chalna..your anchoring is based only on these words.Besharam kuch toh bol
अब जब भी आजतक पर पुण्य प्रसून को चुनावी ख़बर के विज्ञापन में 'भरोसेमंद एंकर' की तख्ती लगाये देखता हूँ, तो उसके आदतन हाथ मलते वक़्त बरबस ही उस मक्खी की याद आ जाती है जो गोबर पर बैठ कर आई है और आपके खाना खाते वक़्त खाने पर बैठ कर हाथ मल रही होती है.. गोबर गैस कौन है याद तो होगा ही आपको.. क्रांतिकारी.. बहुत ही क्रांतिकारी.
Muffler, topi aur wagonR ki sawari bahut krantikari
पुण्य प्रसून जी, मैं आपसे कभी मिला नहीं, लेकिन वर्षो से आपकी पत्रकारिता को जानता आया हूं। आप इस देश के बेहतरीन पत्रकार है ओर रहेंगे। किसी के बोलने से कोई फर्क नहीं पड़ता। आपकी पत्रकारिता को सलाम।
ZEE NEWS and DNA INDIA is 'continuously' promoting this 'revolutionary' video.. Why???
3 Reasons..
Reason No. 1 - May be This video is uploaded by Them.
Reason No. 2 - To regain their CREDIBILITY which was lost in Jindal extortion case where the writer of this article Mr. Sudhir Choudhary and others were arrested. That is the real blot on Journalism in India.
and Finally Reason No. 3 - to Defame AAJ TAK which is the most watched news channel from past 13 years. The fact is ZEE NEWS will never become No. 1 and all their tricks will backfire very shortly. STAY GLUED...
Once upon a time Punya Prasun Bajpai was working in ZEE NEWS. He quit and rejoined AAJ TAK. By that time Mr. SUMIT AWASTHI was working in AAJ TAK. He had to quit because of Punya Prasun Bajpai's entry. Sumit Awasthi quit AAJ TAK and joined ZEE NEWS. Now with 'Milee Bhagat' he thinks that he has got a fair chance to take revenge.
क्रन्तिकारी , बहुत ही क्रन्तिकारी , इसे बार बार चलाइयेगा, बहुत इम्पैक्ट आयेगा
क्रन्तिकारी , बहुत ही क्रन्तिकारी , इसे बार बार चलाइयेगा, बहुत इम्पैक्ट आयेगा
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दलाल पत्रकार पुण्य बाबू को सलाम. महिलाओं की अस्मिता को राजनीती के नाम कुर्बानी को सलाम. अब नहीं देखूंगी न्यूज़ व्यूज...
कमाल है जो प्रसून जी को एक प्रतिशत भी नहीं जानता और भला बुरा कहता है, उसपर मुझे हंसी आती है कि इनका भविष्य भी उसी झूठ और प्रोपेगंडा के तले बढ़ रहा है, जो इस देश के भीतर होता आया है, ये इन लोगों की गलती भी नहीं इनके मानस पटल पर उसी मीडिया के भटकाव का असर है कि ये मोदीवादी और राहुलवादी. और केजरीवादी हो चले है. अबे बेवकूफो प्रसून बाजपाई को गाली देने से पहले उसकी पत्रकारिता को देखो जो उसने 25 सालों से की है. प्रसून बाजपाई को गाली देने का मतलब है पूरी पत्रकातिता को कटघरे में खड़ा करना. प्रसून बाजपाई की इज़ज़त और इमेज से इस देश के कई पत्रकार जलते है, जो खुद चोर है, और उन्ही चोरों ने इन नादान और बेवकूफों के दिमाग पर कब्ज़ा कर लिया जो बाजपाई जी को छुपकर भला बुरा कर रहे है .....हिम्मत है तो खुलकर सामने आओ.....जय हिन्द...
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Budbak patrakar banta hai, chor sala
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Indian Media house is Slut, you fuck off पुण्य प्रसून बाजपेयी
सुधीर सर आप की ये अच्छी बात है आप पक्ष और विपक्ष दीखते है .....मीडिया ऐसा ही होना चाहिए .....
आजतक के दो पत्रकार तो पुरे आप पार्टी से प्रभवित हो कर काम कर रहे है .....पुण्य प्रसून वाजपई तो अपना नैतिक धर्म भी नहीं निभा रहे है ...
अभी भी वो तो नेता के सामान कुर्सी से चिपके हुआ है और रात १० बजे लोगो को मुर्ख बनाने का काम कर रहे है ....
सर मुझे आपका प्रोग्राम डीएनए बहुत पसंद है हर रात ९ बजे में डीएनए देखता हु ....
और में किसी पार्टी को नहीं एक मज़बूत नेता का समर्थन कर रहा हु ..और वो केवल नरेंद्र मोदी है .......
बाकी कांग्रेस को १० साल दे दिए, आप पार्टी को दिल्ली में देख लिया ...........संमजवादी पार्टी में कई बड़े गुंडे है ...
ममता को वोट देना मतलब वोट के बेजती है .....एक स्थिर सरकर केवल बीजेपी ही दे सकती है बाकी तीसरा मोर्चा पुरे देश का मोर्चा निकाल देगा .....
इस लिए मैने नमो का एक भक्त प्रोफाइल बनाई है ......में कोई बीजेपी का पैड कार्यकर्ता नहीं हु, में एक भारत का आम आदमी हु. जो रोज नोकरी करने जाता है .....अपने परिवार का पालन पोषण करता है .......जिसकी जरुरत दाल रोटी कपड़ा मकान है .....ये प्रोफाइल बनाकर केवल में अपने अंदर का गुस्सा उन नेताओ पर निकालता हु. जो जमीन पर नहीं रहते और केवल उलटे सीदे बयान देते है .......तो फिर हम क्यों चुप्प बेठे...देश का विदेश मंत्री इतना पड़ा लिखा हो कर किसी को नामर्द कहता है ........ कहा गयी शालीनता? ...तो मैने भी अपनी सराफत छोड़ दी?
धन्यवाद
यशवंत शर्मा
Trivial affair would not make a dent on your credibility, so better not to worry much about it. Wide section of viewers understand that it was not as bad as it was hyped.
Still it would good idea to reply to the allegations to address the questioning lot.
गुजरात के सुरेन्द्रनगर में नमक बनाने वालों के बीच राहुल गांधी आए वहां उनकी पार्टी का ही सांसद है. गजब का खेल है. पुरा दोष राज्य सरकार के माथे पर डालने की कोशिश हो रही है. क्या केन्द्र सरकार कुछ नहीं कर सकती?
सवजी चौधरी, अहमदाबाद.
प्रसून जी की पत्रकारिता जिन्होंने नहीं समझी वो बुरा भला कहते है उस विडियो में ऐसा कोई आपतिजनक नहीं था और मै आपका प्रशंसक था , हू और आगे भी रहूंगा ऐसे विडियो से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता ! keep it sir ji
पंडित जी आपके रग रग में पत्रकारिता बसती है...यह दुनिया जानती है। इन आयोजित और प्रायोजित कमेंट को कतई गंभीरता से मत लीजिएगा। आपकी पत्रकारिता को सलाम।
Shame on you Mr. Bajpaee - we had a higher set of expectation from you. Now it looks like you are no different than Ashutosh (from IBN 7)Inside man for Kejriwaal..... AAJ TAK = B Team for AAP
क्रन्तिकारी , बहुत ही क्रन्तिकारी , इसे बार बार चलाइयेगा, बहुत इम्पैक्ट आयेगा
Gali gali me shor hai punya prasun bajpey chor hai.Haramkhor tere ko pakistan jana chaiye. Jaa chala jaa wohi par.
क्रन्तिकारी , बहुत ही क्रन्तिकारी , इसे बार बार चलाइयेगा, बहुत इम्पैक्ट आयेगा
Gali gali me shor hai punya prasun chor hai.
Jab tak tu rahega main kabhi bhi PAAP kat nahi dekhunga.
Desh ke gaddhar tere ko pakistan jana chahiye.
Happy holi sir !!!
"क्रांतिकारी बहुत ही क्रांतिकारी"
"क्रांतिकारी बहुत ही क्रांतिकारी"
Logo ko aapke upar swal uthane k pehle apne giraban me jhakna chaiye.desh wale ko kuuch bhi dikha do sahi maan lete hai.koi sochta nhi k kya sahi hai arr kya galt.sir aap apna kaam krte rahiye.kyuki aapki credibility..in chote se galt mms se khtam nhi hogi.we r with u sir..aapka intezar rahega 10 bhe.....jrrur ayega
Logo ko aapke upar swal uthane k pehle apne giraban me jhakna chaiye.desh wale ko kuuch bhi dikha do sahi maan lete hai.koi sochta nhi k kya sahi hai arr kya galt.sir aap apna kaam krte rahiye.kyuki aapki credibility..in chote se galt mms se khtam nhi hogi.we r with u sir..aapka intezar rahega 10 bhe.....jrrur ayega
There was nothing wrong in so called exposed video. They were no taking bribes,no talking about specific religion vote bank.Remember "haansiye pe raha samah"...
If they were talking for the good of the country off the camera whats wrong in that ?
And If someone believes that other leaders doesn't do such off the camera tricks then they are foolish.Many leaders try to get list of questions to be asked to him before interview.Modi doesn't face risky questions and Rahul doesnt give interviews.
Punya has done nothing wrong in interview and that off the camera talks doesnt question credibility of him.
अभी जानकारी मिली कि आप के पिताजी का देहान्त हो गया है। पिता का जाना सदैव ही जीवन में एक बड़ी रिक्तता उत्पन्न करता है जो कभी भरी नहीं जा सकती। इस समय में मेरी संवेदनाएँ आप के साथ हैं।
hum aam log hai....pandit ji...sabhi bade log bajate aa rahe hai....are aap ne bhi baja diya ...o kya hua ...yaar..log to aise chill po kar rahe hai jaise aapne koi gunah kar diya....are bhai...paisa kisi ko aajtak me kat ta hai ky?
hum aam log hai....pandit ji...sabhi bade log bajate aa rahe hai....are aap ne bhi baja diya ...o kya hua ...yaar..log to aise chill po kar rahe hai jaise aapne koi gunah kar diya....are bhai...paisa kisi ko aajtak me kat ta hai ky?
it is shameful on behalf of the readers to to question about the creditability of most renowned journalist ...most of the readers comments on silly video . but not on the blog ..it's shameful on behalf of reader's ........we Indian easily forget the agendas and question about about the source.
Kab aapna jurm kabul kar raha hai bata???
Agar Hamare desh me rahna hai too apna gunha kabul kar our jaa kisi jail me jake wohi par apna krantikari bahut hi krantikari kam kar... sirf batton ka khata hai sala tu our woo bhi paise see bech diya. lanath hai tere upar.
kis kamm ka hai tera krantikari hmm??? paisa bana ne ko dhanda kahte hai krantikari nahi. chor sala. chori ko krantikari kahta hai??? Thuuuu hai tujhpar.
वरिष्ट पत्रकार दीपक शर्मा ने पुण्य प्रसून वाजपेयी जी के बारे में लिखा है। .............
...पत्नी नौकरी नहीं करेगी... बच्चे कान्वेंट स्कूल में नही पढ़ेंगे... घर में मेड खाना नहीं बनाएगी... गाज़ियाबाद की एक सोसाइटी के छोटे से मकान में ही रहेंगे...
कुछ दिन पहले ही की बात है, पिताजी बेहद बीमार थे, मुझे फोन आया... कोई सरकारी डाक्टर है जानने वाला... मैंने कहा- हां सफदरजंग अस्पताल में है, आप चिंता न करिये, सब इंतज़ाम करवा दूँगा....
कुछ और पहले की बात. मां बाप को बनारस दर्शन करने जाना था... कहने लगे कहीं रुकने का इन्तजाम हो सकता है... मैंने कहा अपने मित्र हैं बनारस में... आपको ना ऑटो करने की ज़रूरत है ना होटल की... मेरे तो मां बाप रहे नहीं... मैं कराता हूँ व्यवस्था...
एक दिन फोन खराब हो गया... मैंने कहा- पंडितजी, इतने बड़े पत्रकार हैं, फोन तो ढंग का रख लीजिए... एक आई फोन इस्तेमाल करने से किसी स्कैम में नही फंस जायेंगे. कुछ दिन बाद उनके हाथ में मैंने एक ढंग का फोन देखा... तो बोले- बंधु सही कहते हैं आप, इससे वीडियो भी लिया जा सकता है...
एक आदमी जो अल्जाइमर से लड़ते बूड़े बाप को रोज अपने हाथ से खाना खिलाता हो और पिछले कई महीनो से तीमारदारी के वजह से दिल्ली के बाहर ना निकला हो... एक आदमी जिसे मैंने बीवी के साथ घर में खाना बनाते देखा हो... एक आदमी जो पांच सितारा संस्कृति से परहेज़ करता हो... एक आदमी जो आपनी सादगी के लिए हमारे चैनल में जाना जाता हो, आज मीडिया का सबसे बड़ा दलाल बताया जा रहा है
मित्रों प्रसून वाजपई को आप वीडियो क्लिप और प्रेस क्लब में आम आदमी की मीटिंग में ली गयी फोटो से जान रहे हैं. एक्सक्लूज़िव खबर ब्रेक करने के नशे में प्रसून मीटिंग में घुसे थे और कुर्सी पर बैठे... बाद में योगेन्द्र यादव के ऐतराज़ पर उन्हें कमरे से बाहर निकलना पड़ा... तब तक फोटो खिंच चुकी थी. कुछ ऐसा ही उन्होंने केजरीवाल से इंटरव्यू लेने में गलती की...
केजरीवाल उनसे बेहद नाराज़ थे... उनका आरोप था की बेहद अहम वक्त पर प्रसून ने एक्सिट पोल में "आप" को दिल्ली विधान सभा चुनाव में सिर्फ ६ सीटें दी. केजरीवाल का दूसरा आरोप था कि प्रसून प्रो मोदी हैं और एक के बाद एक "आप" पर मोर्चा खोल रहे हैं. जिस दिन प्रसून ने ३ घंटे कांग्रेस नेता अरविन्द सिंह लवली का स्टिंग दिखाया तब केजरीवाल ने अपने कुछ मित्रों से कहा कि ये "आप" को बदनाम करने की साजिश है. केजरीवाल ने प्रसून के खिलाफ ट्वीट भी किया और उन पर बेवजह मोदी का पक्ष लेने का इलज़ाम लगाया.
९ और १० दिसम्बर को मैंने केजरीवाल से इंटरव्यू लेने की कोशिश की पर उन्होंने मना कर दिया. उनका आरोप था कि विधान सभा चुनाव में आजतक ने "आप" को बहुत डेमेज किया है. मैंने समझाया- ऐसा कुछ भी नही. बहरहाल उसके बाद मैं फिर कभी केजरीवाल से नही मिला. दरअसल खोजी पत्रकार के लिहाज़ से मुझे इंटरव्यू की बहुत दरकार भी नहीं है... और, मैं नेताओं की परवाह भी नही करता. लेकिन एंकर की नौकरी बिना डिबेट के, गेस्ट और नेताओं के इंटरव्यू के, नहीं चलती. बरखा, अर्नब, राजदीप सभी केजरीवाल के करिश्मे का इंटरव्यू कर रहे थे... लेकिन प्रसून को शायद ये मलाल ज़रूर रहा कि वो कजरी बाबू को दो साल से जानते थे पर मौके पर वन टू वन इंटरव्यू नहीं कर पा रहे थे. इसकी वजह महीनों से दोनों के बीच संवादहीनता थी जो एक्सिट पोल पर और बढ़ गयी थी.
केजरीवाल विवादों में फंसते जा रहे थे और सोमनाथ भारती को लेकर किये गए धरने ने उनकी लोकप्रियता को बड़ा झटका दिया था. इत्तिफाक से प्रसून धरने का जायजा लेने रेल भवन पहुंचे. भीड़ के नाम पर वहाँ ५०० लोग मौजूद थे. यहीं केजरीवाल और प्रसून टकराए. केजरीवाल ने प्रसून से कहा- अरे आप इधर कैसे. संवादहीनता टूटी तो प्रसून ने जवाब दिया कि अरे भाई अब तो आप इंटरव्यू के लिए भी मना कर देते हैं. मुझे लगता है कमज़ोर होते हुए केजरीवाल को देश के एक बड़े एंकर के इस सवाल ने एक मौका दिया... जी हाँ, मौका दिया संवाद स्थापित करने का. केजरीवाल इंटरव्यू के लिए राज़ी हो गए.... प्रसून को उस वक्त देश की राजनीति का एक बड़ा चेहरा कैमरे के आगे खड़ा मिल गया.... टीआरपी ठीक ठाक थी... और एक के बाद एक दो बड़े इंटरव्यू प्रसून ने कर डाले... बाकी जो हुआ उसे अंग्रेजी में victim of circumstances कहते हैं. उस पर बहुत कुछ लिखना मैं नहीं चाहता.
मुझे भरोसा है वक्त आने पर प्रसून बता देंगे कि वो केजरीवाल के कितने करीब हैं. यही अब प्रसून की अग्निपरीक्षा है.
Kaise kaise log aajate hain comment karne ,video mein kuch galat mujhe to nazaar nahi aaya.I doubt zee news(bjp channel) is not able to overcame the loss in trip due to prasun sir leaving them and joining aajtak.
Still both aajtak and prasun sir are the best keep on the good work
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