जिस मेसी के इलाज के लिये एक वक्त अर्जेन्टीना के पास पैसे नहीं थे। जिस मेसी को अपने इलाज के लिये अर्जेन्टीना छोडना पड़ा। उसी मेसी ने अर्जेन्टीना की हार के बाद अंतरराष्ट्रीय फुटबाल को ही छोड़ दिया। महज 4 बरस की उम्र से फुटबाल को पांवों में घुमाने में माहिर मेसी जब 10 साल के हुये तो ग्रोथ हारमोन डेफिसिन्सी के शिकार हो गये। इलाज के लिये पिता के पास ना पैसे थे ना ही हेल्थ इश्योरेंस । मेसी के कल्ब ने पहले मदद की बात कही फिर मदद नहीं दी । और सन 2000 यानी 13 बरस की उम्र में इलाज के लिये पैसों का जुगाड़ भी हो जाये और मेसी फुटबाल भी खेलते रहे इसके लिये पिता जार्ज ने बार्सिलोना क्लब का दरवाजा खटखटाया। बार्सिलोना क्लब के बोर्ड डायरेक्टरों के विरोध के बावजूद सबसे कम उम्र के विदेशी खिलाडी मेसी को बार्सिलोना के टीम डायरेक्टर कार्लेस रेक्सेक ने साइन किया। और बार्सिलोना क्लब के डायरेक्टर को मेसी को साइन करने की इतनी जल्दबाजी थी कि कॉन्ट्रैक्ट किसी दस्तावेज पर नहीं ब्लिक पेपर नेपकिन पर ही साइन किया गया। और दो बरस बाद यानी 2002 में जब मेसी का इलाज पूरा हुआ तो उसके बाद मेसी रॉयल सेपनिश फुटबाल फेडरेशन का हिस्सा बने। यानी मेसी चाहते तो स्पेन की तरफ से ही खेल सकते थे। लेकिन स्पेन में रहते हुये स्पेन की तरफ से 2004 में खेलने के ऑफर को मेसी ने यह कहकर ठुकरा दिया कि वह अपने जन्मभूमि वाले देश की तरफ से ही खेलेंगे। और अगस्त 2005 में हंगरी के खिलाफ पहला इंटरनेशनल मैच खलते वक्त मेसी को 47 वें सेकेंड में ही रेडकार्ड दिखा दिया गया लेकिन मेसी अर्जेंटीना के सबसे सफल फुटबालर रहे। उन्होंने 55 गोल किये। इतने गोल मैराडोना ने भी नहीं किये। जिनकी अगुवाई में अर्जेंटीना आखिरी बार चैंपियन बना। लेकिन अर्जेंटीना को चैंपियन बनाने के दरवाजे पर मेसी एक बार नहीं तीन बार फाइनल में पहुंचे। 2014 में जर्मनी के एक्स्ट्रा टाइम में गोल कर किताब जीत लिया तो कोपा कप में तो जैसे इतिहास ही मेसी के खिलाफ हो गया। क्योंकि पिछले बरस 5 जुलाई 2015 और 27 जून 2016 में कुछ नहीं बदला। बदला यही कि पिछले बरस कोपा कप के फाइनल में पेनाल्टी शूटआउट में मेसी ने अर्जेंटीना की तरफ से गोल किया। और आज कोपा फाइनल के शूटआउट में अर्जेंटीना की तरफ से मेसी की पहली किक गोल पोस्ट में जाने की जगह हवा में उड़ गई। 2015 में चिली ने 99 बरस के कोपा कप के इतिहास में पहली बार चैंपियन बनी थी । तो सौवी वर्षगांठ मनाते हुये इस बार विशेष कोपा कप का आयोजन हुआ तो मैराडोना ने अर्जेंटीना की फुटबाल टीम से कहा , " जीत कर आना नहीं तो देश ना लौटना"।
और मेसी भी सोच कर निकले इस बार जरुर जीतेंगे। पहली बार कोपा कप के खत्महोने तक शेव ना करने की ठानी। अर्जेंटीना के कई और खिलाड़ियों ने भी शेव तक करना बंद कर दिया। मेसी हर मैच के बाद अर्जेंटीना को निखारते गये । हर किसी को लगा 1994 के बाद मेसी की अगुवाई में अर्जेंटीना जरुर जीतेगी । लेकिन पेनॉल्टी शूटआउट में मेसी ही पहला गोल करने में चूके और टूट गये । और यही पर मैराडोना हर किसी को याद आने लगे । क्योंकि मेसी पलटवार नहीं करते। जबकि मैराडोना चोट खाने के बाद भी लड़-झगड़कर खेलते थे। लेकिन मेसी संतुलन, ड्रिवलिंग स्किल, किसी भी एंगल से गोल करना, फ्री किक और शांत मिजाज़ के पहचान के साथ खेलते। इसी खेल ने मेसी को दुनिया का बेहतरीन खिलाड़ी बनाया है। और इसी खेल के भरोसे मेसी को पांच बार फीफा बैलन डि ओर खिताब मिला। तीन बार यूरोपिय गोल्डन शू का खिताब भी मैसी को मिला। लेकिन सवाल यही है कि मेसी रोजर फेडरर की तरह शांत रह गये।जबकि मेसी अर्जेंटीना के उसी रोसारियो शहर में पैदा हुये जहां चे-ग्वेरा का जन्म हुआ था। लेकिन समझना होगा कि चे ग्वेरा और मेसी में सिर्फ इतनी ही समानता नहीं है कि दोनों का जन्म अर्जेंटीना के रेसारियो शहर में हुआ । दोनों का जन्म जून के महीने में हुआ । दोनो का वास्ता बचपन में गरीबी या आर्थिक मुशकिलात से पड़ा । दोनों की जिन्दगी में स्पेन का खास महत्व रहा। और दोनों ने ही 29 बरस में दुनिया को बता दिया कि उनका रास्ता भावनाओं से बनता नहीं बल्कि भावनाओ तले कमजोरबनाता है। चे-ग्वेरा का घर स्पेन में हुये गृहयुद्द के वक्त रिपब्लिकन्स के समर्थकों का अड्डा था। और स्पेन के बारसिलोना क्लब ने जब मेसी से कांट्रैक्ट किया तो जब जब मेसी के पिता जार्ज अर्जेंटीना लौटते तो उनके साथ कोई स्पेनिश दोस्त जरुर होता।
चे-ग्वेरा को बचपन से रग्बी का शौक था। तो मेसी फुटबाल खेलते । चे ग्वेरा को बचपन में ही अस्थमा हो गया। लेकिन उन्होंने खेलना नहीं छोड़ा । मेसी को बचपन में ही हारमोन्स के ना बढ़ने की बीमारी हो गई। लेकिन मेसी से फुटबाल नहीं छूटा। और संयोग देखिये चे ग्वेरा 20 बरस की उम्र में मेडिकल स्टूडेन्स के तौर पर जब दक्षिणी अमेरिका की यात्रा पर निकले तो वहां की गरीबी और वहा के मुश्किल हालात ने उन्हें कम्युनिस्ट धारा में बहा दिया। मेसी भी 19 बरस की उम्र में जब यूरोपियन क्लब में धूम मचाने की शुरुआत करते है तो फिर दुनिया को ही फुटबाल को नया पाठ पढ़ाते हैं। तो बीस बरस की उम्र में यानी 2007 में लियो मेसी फाउंडेशन का गठन कर अपने शहर में बच्चों का एक अस्पताल बनवाया बनवाते हैं। सीरियाई बच्चों की सहायता के लिए 2013 में अपनी कुल कमाई का एक तिहाई हिस्सा दान दे देते हैं। लेकिन दूसरी तरफ चे ग्वेरा वामपंथी विचारधार को गढ़ते हुये क्रांति के लिये बंदूक उठाने से नहीं कतराते। और महज 39 बरस की उम्र में क्यूबा में क्रांतिकारी बदलाव करते देखते हुये मारे जाते है। और मेसी सिर्फ 29 बरस की उम्र में अर्जेंटीना की हार से इतने व्यथित होते हैं कि अंतरराष्ट्रीय फुटबाल को बॉय बॉय कर देते है । और यही फैसला मेसी को चे-ग्वेरा से अलग करता है । और इसी जगह फुटबाल खेलते हुये मेसी से कही ज्यादा माराडोना चे-ग्वेरा लगते । जो पलटवार करते । त्रासद इसलिये मेसी को याद भी किया जायेगा तो पेले और मैराडोना के बाद। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मुकाब़ले में वह अपने देश को जिता नहीं सके। जिसका मलाल मेसी को जीवन भर रहेगा।
Monday, June 27, 2016
क्यों चे-ग्वेरा नहीं है मेसी
Posted by Punya Prasun Bajpai at 9:29 PM
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment