गुजरात हिमाचल में भगवा फहराने के बाद अभी कांग्रेस गुजरात की टक्कर में ही अपनी जीत मान रही है. पर दूसरी तरफ अप्रैल में होने वाले कर्नाटक के चुनाव को लेकर बीजेपी तैयारी शुरु कर दी है। और ना सिर्फ बीजेपी बल्कि पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इसकी तैयारी में जुट गया है। जानकारी के मुताबिक स्वदेशी जागरण मंच से बीजेपी में आये मुरलीधर राव को बकायदा कर्नाटक का मैनिफेस्टो तैयार करने के लिये अभी से ही लगा दिया गया है। और मार्च के महीने में कर्नाटक से आने वाले दत्तात्रेय होसबोले को भैयाजी जोशी की जगह सरकार्यवाहक बनाने की तैयारी होने लगी है। खास बात ये भी है कि आरएसएस में सरकार्यवाहक ही प्रशासनिक और सांगठनिक तरीके से नजर रखता है। तो संघ के अलग अलग संगठनों में भी फेरबदल की तैयारी हो रही है । जिसमें नजरिया दो ही पहला, संघ के शताब्दी वर्ष यानी 2025 तक पूरे देश में विस्तार। दूसरा , मोदी सरकार की नीतियो के अनुकूल संघ के तमाम संगठनों का काम और जानकारी के मुताबिक इसके लिये विहिप और भारतीय मजदूर संघ में बदलाव भी तय है। माना जा रहा है कि विहिप के कार्यकारी अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगडिया और बीएमएस के महासचिव ब्रजेश उपाध्याय की छुट्टी तय है । और इसके पीछे बडी वजह तोगड़िया का मंदिर मुद्दे पर मोदी सरकार की पहल को टोकनिज्म बताना तो बीएमएस का मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल खड़ा करना है। तो संघ के अलग अलग संगठनों से कोई आवाज सरकार के खिलाफ ना उठे अब संघ भी इसके लिये कमर कस रहा है। और इसीलिये विहिप और बीएमएस के अलावे किसान संघ और स्वदेशी जागरण मंच के अधिकारियों में भी फेरबदल होगा। और ये सारी प्रक्रिया मार्च में होने वाली संघ की प्रतिनिधि सभा से पहले हो जायेगी क्योकि नागपुर में होने वाली प्रतिनिधि सभा में सरकार्यवाहक भैयाजी जोशी की जगह सह सरकार्यवाहक दत्तत्रेय होसबोंले लेगे । मार्च 2018 में भैयाजी का कार्यकाल पूरा हो रहा है। जो इस बार बढ़ेगा नहीं। वही दूसरी तरफ हर तीन बरस में होने वाले विहिप का सम्मलन 24 से 30 दिसबंर को भुवनेश्वर में होगा, जिसमें नये लोगों को मौका देने के नाम पर प्रवीण तोगडिया समेत कई अधिकारी बदले जायेंगे।
जानकारी के मुताबिक संघ और मोदी सरकार दोनों नहीं चाहते है किसरकार की नीतियों को लेकर कोई सवाल संघ के किसी भी संगठन में उठे। तो मोदी सरकार के अनुकूल संघ भी खुद को मथने के लिये तैयार हो रहा है । और गुजरात चुनाव में जिस तरह संघ के तमाम संघठन खामोश रहे । उससे भी सवाल उठे है कि कर्नाटक के चुनाव के लिये खास तैयारी के साथ अब टारगेट 2019 को इस तरह बनाना है जिससे 2019 के चुनाव में जनता 2022 के कार्यो को पूरा करने के लिये वोट दें । और 2025 में संघ के शाताब्दी वर्ष तक संघ का विस्तार समूचे देश में हो जाये । यानी 2019 की तैयारी 2004 के शाइनिंग इंडिया के आधार पर कतई नहीं होगी । और 2022 से आगे 2025 यानी संघ के शताब्दी वर्ष तक मोदी सत्ता बरकरार रहे तो ही संघ का विस्तार पूरे देश में हो पायेगा । सोच यही है इसीलिये 2019 में ये कतई नहीं कहा जायेगा कि बीजे पांच बरस में मोदी ने क्या किया । बल्कि 2022 का टारगेट क्या क्याहै इसे ही जनता को बताया जायेगा । जिससे जनता 2014 में मांगे गये 60 महीने को याद ना करें । यानी 2019 में जिक्र 60 महीने का नहीं बल्कि 2022 में पूरी होने वाले स्वच्छ भारत, वैकल्पिक उर्जा और प्रधानमंत्री आवास योजना समेत दर्जन भर योजनाओं का होगा । जिससे जनता खुद की मोदी सरकार को 2022 तक का वक्त ये सोच कर दे दें कि तमाम योजनाये तो 2022 में पूरी होगी । और बहुत ही बारिकी से न्यू इंडिया का नारा भी 2022 तक का रखा गया है । जिसमें टारगेट करप्शन फ्री इंडिया से लेकर कालेधन से मुक्ति के साथ साथ शांति , एकता और भाईचारा का नारा भी दिया गया है । जाहिर है 2019 से पहले के हर विधानसभा चुनाव को जीतना भी जरुरी है । इसीलिये सबसे पैनी नजर कांग्रेस की सत्ता वाली कर्नाटक पर है । इसीलिये बीजेपी महासचिव मुरलीधर राव को अभी से से सोच कर लगाया गया है कि कर्नाटक में हर विधानसभा सीट को लेकर मैनिफेस्टो तैयार किया जाये ।
बकायदा हर विधानसभा क्षेत्र के 500 से 1000 लोगों से बातचीत कर मैनिपेस्टो की तैयारी शुरु हुई है । और जिन लोगो से बातचीत होगी उसमें हर प्रोफेशन से जुडे लोगो को शामिल किया जा रहा है। वही दूसरी तरफ संघ का सहर संघठन मोदी सरकार की नीतियो के साथ खडे रहे इसके लिये अब संघ को जो मथने का काम नागपुर में होने वाली प्रतिनिधी सभा के साथ ही शुरु होगा उसमें आरएसएस में फेरबदल के साथ बीजेपी में भी फेरबदल होगा । मसलन ये माना जा रहा है कि विघार्थी परिषद को बीजेपी का नया भर्ती मंच बनाया जायेगा । और इसके लिये विघार्थी परिषद में भी पेरबदल हो सकता है । विघार्थी परिषद की कमान संभाल रहे सुनिल आंबेकर की जगह बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव रामलाल को विघार्थी परिषद की कमान दी जायेगी । यानी बीजेपी ही नहीं संघ के भीतर भी ये सवाल है कि 2025 में मोदी की उम्र भी 75 की हो जायगी तो उसके बाद युवा नेतृत्व को बनाने के तरीके अभी से विकसित करने होंगे । पर यहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि काग्रेस के नये अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में काग्रेस की रणनीति क्या होगी । क्योकि गुजरात से बाहर जितनी जल्दी काग्रेस निकले ये उसके लिये उतना ही बेहतर है । और मोदी अंदाज से जितनी जल्दी मुक्ति पाये उतना ही बेहतर है । क्योकि राहुल गांधी के सामने सबसे बडा संकट यही है कि मोदी विरोध का राहुल तरीका मोदी स्टाइल है । नीतियो के विरोध का तरीका जनता के गुस्से को मोदी के खिलाफ भुनाने का है । करप्शन विरोध का तरीका जनविरोधी ठहराने की जगह मोदी से जवाब मांगने का है । यानी राहुल की राजनीति के केन्द्र में नरेन्द्र मोदी ही है । और कांग्रेस की राजनीति के केन्द्र में राहुल राज है । तो फिर जनता कहा है और जनता के सवाल कहां है । इस सवाल का जवाब संसद परिसर में मीडिया कैमरे के सामने खडे होकर कहने से मिलेगा नहीं।
Tuesday, December 19, 2017
मोदी के लिये तोगड़िया की छुट्टी होगी होसबोले नये सरकार्यवाहक होंगे ?
Posted by Punya Prasun Bajpai at 11:16 PM
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