कभी कभी चुनाव जीत के लिये नहीं विस्तार के लिये भी होता है । और विस्तार के साथ जीत भी मिल जाये तो हर्ज ही क्या है । संघ सिर्फ चुनाव से प्रभावित नहीं होता लेकिन चुनाव को प्रभावित करने की स्थिति में संघ हमेशा रहता है । लेकिन पहली बार संघ के सामने भी यह चुनौती है कि वह संघ के मुद्दो पर कम और मोदी सत्ता के मुद्दो पर चुनाव में शिरकत करें । गर्म चाय देते देते लगभग बोलते हये स्वयसेवक महोदय संघ की उस सस्कृति से भी परिचित करा रहे थे जो सवाल हमारे सामने थे । और चाय की चुस्की लेते लेते प्रोफेसर साहेब भी बोल पडे , इसका मतलब है मोदी सत्ता ने संघ के सामने धर्म संकट पैदा कर दिया है कि वह खामोश रह नहीं सकती और बोलेगी तो संघ का समाज नहीं बल्कि मोदी का विकास निकलेगा ।
हा हा ... लगभग ठहाका लगाते हुये स्वंयसेवक महोदय बोले मुश्किल तो यही हो चली है कि मोदी का विकास , संघ के मुद्दो से मिसमैच कर रहा है । और संघ के सामने दूसरा कोई विकल्प नहीं है क्योकि जिस रास्ते बीजेपी को चलना था उस रास्ते को काग्रेस ने पकड लिया है और जिस बोली को मोदी ने कहना था वह शब्द राहुल गांधी ने अपना लिये है ।
समझा नहीं बंधु...मुझे टोकना पडा । कुछ साफ किजिये ।
वाजपेयी जी काग्रेस ने अपना पारंपरिक चेहरा ही बदल लिया है । ध्यान दिजिये काग्रेस कारपोरेट पर निशाना साध रही है । किसान काग्रेस के मैनीफेस्टो के केन्द्र में आ गया है । गरीब-मजदूर- बेरोजगारो की आवाज काग्रेस बनना चाह रही है । यूपी में गंठबंधन छोड अकेले चुनाव लडने के फैसले के साथ कार्यकत्ता के लिये काग्रेस राजनीतिक जमीन तैयार कर रही है । दिल्ली में गंठबंधन के लिये तो कई राज्यो में उम्मीदवारो के लिये कार्यकत्ताओ से फिड बैक लेकर उम्मीदवारो का एलान कर रही है । जबकि दूसरी तरफ पारंपरिक काग्रेस के तौर तरीको को बीजेपी ने अपना लिया है । बीजेपी में गांधी परिवार की तरह मोदी-शाह है । वही हाईकमान है उन्ही के इर्द गिर्द बीजेपी के नेताओ की पहचान है । मोदी का कारपोरेट प्रेम किसी से छुपा नहीं है । किसान की मुश्किल या रोजगार का दर्द भी युवाओ में कितनी गहरी पैठ जमा चुका है ये भी किसी से छुपा नहीं है । बीजेपी के कार्यकत्ता के सामने आसतित्व का संकट है क्योकि उम्मीदवार के लिये उससे पूछा हीं जाता और चुनावी जीत के सेहरा मोदी-शाह के सिर ही बंधता है । फिर बीजेपी में तीसरे नंबर के ताकतवर अरुण जेटली की पहचान लोकसभा चुनाव हारने वाली ज्यादा बनी हुई है बनिस्पत मोदी को बचाने वाली ।
अरे ये तो आप हमारी सोच को ही कह रहे है । क्या वाकई संघ के भीतर इस तरह का चिंतन है । मुझे ना चाहते हुये भी बीच में टोकना पडा ।
संघ कोई व्यक्ति नहीं है । या फिर संघ के भीतर उठते सवाल किसी एक व्यक्ति के विचार नहीं होते लेकिन समाज में जो हो रहा होता है या फिर देश की घटनाओ के असर स्वयसेवक पर भी सामान्य तरीके वैसे ही पडता है जैसे आप पर पडता होगा ।
तब तो बंधु ये भी बता दिजिये कि शिवराज सिंह चौहाण हो या रमन सिंह या फिर वसुंधरा राजे सिधिया । उनकी जरुरत क्या लोकसभा चुनाव में है ही नहीं ।
वाजपेयी जी यही बात तो मै भी कह रहा हूं कि आखिर मोदी काग्रेस से नही अपनो से लडकर उन्हे परास्त करने में ही लगे रहे है । तो चुनाव के वक्त जो वोटर या जनता जिन तीन नेताओ का जिक्र आपने किया उन्ही तीन राज्यो में बीजपी का वोटर क्या करेगा ।
क्या करेगा ....प्रोफेसर साहेब
याद रखिये राजस्थान , मध्यप्रदेश और छत्तिसगढ में लोकसभा की 25,29,11 सीट है यानी 65 सीट जिसमें 2014 में बीजेपी 62 सीट जीती थी । लेकिन तीनो राज्यो में बीजेपी का कोई चेहरा ना होना तो ठीक है लेकिन तीनो राज्यो के चेहरे को हो ही जब मोदी-शाह ने डंप कर किया तो झटके में बीजेपी को वोट कौन देगा ? और वोट जो भी देगा क्या उससे जीत मिल पायेगी ? इन वालो के अक्स में कोई भी कह सकता है कि बीजेपी तीनो राज्यो में आधी सीट पर आ जायेगी । लेकिन चुनाव सिर्फ हिसाब-किताब का खेल नहीं होता है । परसेप्शन क्या है नेता को लेकर । और कुछ यही हालात यूपी - बिहार के भी है । 2014 में सबसे सक्रिय राजनाथ सिंह 2019 में सिर्फ अपनी लखनउ सीट पर सिमट चुके है और 2014 में सिर्फ गोरखपुर में सक्रिय योगी आदित्यनाथ को भगवा पहनाकर पूरे देश में घुमाया जा रहा है । इससे होगा क्या ?
तब तो यहा भी सीटे आधी हो जायेगी ।
ठीक कह रहे है प्रोफेसर साहेब । और बिहार यूपी में 2014 की जीत की आधी सीट होने का मतलब है बीजेपी अपने बूते सत्ता में आ नहीं पायगी । और जब चुनाव बीजेपी लड ही नहीं रही है तो फिर चुनावी हार भी बीजेपी की नही मोदी-शाह की होगी । इसलिये मैने शुरु में ही कहा था कि 23 मई के बाद बीजेपी की सत्ता माइनस मोदी-शाह के कैसे बने हडकंप इस पर मचेगी ।
वक्त काफी हो चला है ऐसे में एक बात आखिर में कह दूं कि काग्रेस मुक्त भारत बनाते बनाते मोदी-शाह ने काग्रेस को पांच बरस के भीतर वह जमीन देदी जो जमीन वह मंडल-कंमडल के दौर में गंवा चुकी थी ।
एक बात और बता दिजिये बंधुवर...मैने भी चाय की आखरी चुस्की लेते हुये पूछा ।
क्या
यही की 2014 में लहर थी । 2019 क्या सामन्य चुनाव है ।
हा हा .... स्वयसेवक महोदय ने जिस तरह ठहाका लगाया उसमें अजब सा रस था । फिर बोले जी नहीं 2019 सामान्य चुनाव नही है और मान कर चलिये ये संघ के लिये सबसे मुश्किल वक्त का सबसे मुशकिल चुनाव है ।
Sunday, April 7, 2019
स्वंयसेवक की चाय पार्ट-2 , सबसे मुश्किल वक्त का सबसे मुश्किल चुनाव है संघ के लिये
Posted by Punya Prasun Bajpai at 6:00 PM
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38 comments:
अब जा के तसल्ली मिली पुरी पिक्चर The end
मजा आया बढीया चर्चा थी
अपने ही कर्म आड़े आते हैं किसी भी व्यक्ति की तरक्की में सो वहीं हाल संघ का है कभी कभी हम कुआं दूसरों को (कांग्रेस) खोदते हैं और खुद (BJP)उसमें गिर जाते हैं वहीं हाल है BJP का है
अच्छे दिन आयेंगे 😇😇😇
जय हिन्द सर जी आपका बहुत बहुत आभार
Final figure BJP WITH NDA 230
RSS/BJP has four point agenda for India:
1. Political: Presidential Form of Governance
2. Economic: Capitalism with no place of Public Sectors
3. Religion: To establish India as Theocratic State / Hindu Rashtra
4. Social: No caste based reservations
Each one of above is tool to achieve the others.
Those who know & understand RSS/BJP are aware of their real agendas. Now if you analyse last 5 yrs Governance/Policies and/or previous Vajpayee ji regime, you will come face to face with above agenda in each & every act and policies whether at Government level or party levels.
Rest all are jumlas, incl Nationlism to achieve Power to fulfill their agenda.
Aapne wo baat nikali h jo khud BJP b soch nhi payi hogi avi tk..
I think 60% true . I know all but not revel because I live strong India who daily rape porkistan & China dirty ass. Vande matram
फिर तो रंगा बिल्ला की jodi भस्मासुर हो गया.
बेहतरीन विश्लेषण सर
Nice sar ji
तो यह जाहिर है कि मोदी - शाह ही बीजेपी हो चली है , जिसके चलते सत्ता हाथ से जानी वाली है । बेहतरीन विश्लेषण वाजपाई जी 👌
O think you have reported on ground level situation.
U r right
Super sir
नमस्कार सर,
बहुत बढ़िया ।
आप इतने पुराने पत्रकार है,खुद का एक न्यूज़ चैनल क्यों न खोल लेते है । ???
इसे डिलीट मत करना क्रांतिकारी जी, 23 मई को इसके स्क्रीन शॉट के साथ अब तक लिखी इस काल्पनिक कहानी का जवाब मिलेगा आपको ��
good study
Jab ap ye likhate hai jari... To dil me khabrahta bani rahati hai aage Kya hone Wala hai... ! Well sir vote for Congress 🙏🙏
शानदार 👌👌
Great analysis 👌👏
वाजपेयी सर कथा कार कितना भी अच्छा हो
सत्यता के बिना जनमानस तक नही पहुच सकती
ये सभीपर लागू होती है
माननीय मोदी जी और आप दोनो पर.
और भी विषय है जिन पर आप अपनी योग्यता का उपयोग कर सकते ह
आपके मोदी प्नेम न अब नी रसता जगा दी ६
माना की निंदा बहुत बड़ा २स है
लेकिन इस रास्ते को कही और से भी तो गुजारिरे
जय पुन्य प्रसुन वाजपेयी
Pure n excellent analysis. Thankyou PP Bajpai ji.
Sir odisha aur Bengal ke baare me kuchh
Bataiye,,iss chunav me kya sachmuch bjp
Purvi Bharat dakhal kar legi....????
Perfect analysis.
Bjp जो हिंदू मुस्लिम ओर राष्ट वाद खेल रही है उस पर भी कुछ विजार .
बेचैनी स्वाभाविक है। कुत्ते को आटा दो तो वह लिट्टी लगा कर नही खायेगा वरन छिट देगा। सत्ता अयोग्य के हाथों में होती है तो अन्याय परोसती है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! आपसे निवेदन है कि लोकपाल के ऊपर भी एक लेख देने की कृपा करें।
SIR सत्ताधारी बदलने से आप सत्ता का CHARACTER नही बदल सकते
EX Pandit Nehru's speech before INDEPENDENCE
Vs
Modi's speech before 2014
सटीक विश्लेषण सर
165
Sirji yah blig padhke ye yaad aya..
Khud ko behelane ke liye ye khyal achha hai Ghalib!
Jin 3 logo ka aapne jikra kiya wo akready apni karyakshamta ke abhav se sangh se dur ho gaye log hai, aur bhi hai.
Dusra Sangh ka agenda nirvah karna Bjp ki farj hai uska matlab yeh to nahi ki Bjp ka khud ka agenda hi nahi hona chahiye?!
Aur aapne khud hi maana ki sangh keval sanstha nahi, samaj ka pratibimb bhi hai so unke sare agenda sirf political party pe nirbhar nahi karte.
Abhar.
बहुत ही सही लिखा है ।बहुत सटीक विश्लेषण है सर
बहुत खुब
👍
ये चर्चा live tv pr देखते, बहोत अच्छा लगता.
Dear Parsoon ji, I need your email address to special news and photo. Thanks
Aaj tak se chhutti kyon hui
Great sir
Very nice sir.
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