मोदी तो काग्रेस को 2014 में ही परास्त कर चुके थे । बीत पांच बरस से मोदी काग्रेस को नहीं बीजेपी और संघ परिवार को हरा रहे थे । इसलिये 2019 के चुनाव में काग्रेस से संघर्ष नहीं है बल्कि मोदी का संघर्ष बीजेपी और संघ परिवार से है । स्वयसेवक से इस तरह के जवाब की उम्मीद तो बिलकुल नहीं थी । लेकिन शनिवार की शाम चाय की चुस्क के बीच जब प्रोफेसर साहेब ने सवाल दागा कि इस बार काग्रेस अपनी जमीन पर दोबारा खडा होने की स्थिति मेंआ रही है तो स्वयसेवक ने पहली लाइन यही कही , बिलकुल काग्रेस 2019 में अपनी खोयी जमीन बना रही है । लेकिन उसके बाद स्वयसेवक ने जो कहा वह वाकई चौकाने वाला था ।
तो फिर काग्रेस को क्या संघ परिवार गंभीरता से नहीं ले रहा है । मेरे इस सवाल पर स्वयसेवक महोदय उचक से गये । काग्रेस की विचारधारा को संघ कैसे मान्यता द सकता है । लेकिन आप किसी दूसरे मैदान की लकीर किसी दूसरे मैदान पर खिंचना चाह रहे है । मतलब ?
मतलब यही कि नरेन्द्र मोदी के लिये 2019 का चुनाव आने वाले वक्त में मोदी की बीजेपी और मोदी का संघ हो जाये या फिर पूरी तरह उन्ही की सोच पर टिक जायेकुछ अंदाज यही है और संघ हो या बीजेपी दोने के पास दूसरा कोई विकल्प बच नहीं रहा है कि वह मोदी को मान्यता दें । उनकी सत्ता स्वीकार करें ।
लेकिन ये तो मोदी की जीत पर टिका है । और कलपना किजिये की मोदी चुनाव हार गये तो । प्रोफेसर साहब की इस बात पर गंभीर होकर कह रहे स्वयसेवक महोदय ने जोर से ठहाका लगाया और बोल पडे प्रोफेसर आप चाय की चुस्की ले कर बताइये कि मोदी हार गये तो आप बीजेपी और संघ को कहां देखते है ।
मै तो ये मान कर चल रहा हूं कि ओल्ड गार्ड के दिन चुनाव परिणाम के आते ही फिर जायेगें । क्योकि तब आवाज बीजेपी माइनस मोदी-शाह की उठेगी । और मौजूदा वक्त में बीजेपी की जो हालत है उसमें दूसरी कतार का कोई नेता है नहीं । जो कैबिनेट मंत्री के तौर पर बीते पांच बरस में दूसरी कतार में नजर भी आते रहे उनकी राजनीतिक जमीन कहीं है ही नहीं । यानी जो कही से जीत नहीं सकते उन्हे ही मोदी ने ताकत दी । जिससे अपनी ताकत में वह मोदी को ही देखते-ताकते रहे । और मोदी हारें तो फिर बीजेपी के नेता आडवाणी-जोशी-सुषमा के दरवाजे पर पहुंचेगें ।
रोचक कह रहे है प्रोफेसर साहेब और संघ के बारे में क्या मानना है । संघ तो उसके बाद खुद को सामाजिक-सास्कृतिक तौर पर खुद की जमीन टटोलने निकलेगा । जहा उसके सामने अंतर्दन्द यह भी होगा कि वह बीजेपी को जनसंघ के तौर पर खत्म कर आगे बढने की सोचे । या फिर ठसक क साथ संघ के एंजेडे को ही बीजेपी के राजनीतिक मंत्र के तौर पर ओल्ड गार्ड को अपना लें ।
और वाजपेयी जी आपको क्या लगता है । स्वयसेवक महोदय ने जिस अंदाज में पूछा ..... उसमें पहली बार लगा यही कि कोई बडी महत्वपूर्ण बात कहने से पहले स्वयसेवक हमें परख लेना चाहते है । तो बिना हिचक मैने तीन वाकये का जिक्र कर दिया । पहला , अहमदाबाद में लालजी भाई मिले थे , वह कह रहे थे कि मोदी जी तो संघ के प्रचारक कभी रहे ही नहीं । ओटीसी की कोई परिक्षा उन्होने पास ही नहीं की । दूसरा , भोपाल में शिवकुमार यानी ककाजी जो कि किसान संघ से जुडे रहे है उनका कहना है कि काग्रेस राक्षस जरुर है लेकिन इस बार बडे राक्षस को हराना है । तीसरा , जयपुर के घनश्याम तिवाडी से बात हुई । दशको तक संघ के पुराने स्वयसेवक रहे । दशको तक बीजेपी में रहे लेकिन अब बीजेपी छोड काग्रेस में शामिल हो गये है तो उन्होने कहा जिस तरह मोदी शाह चल निकले है उसमें बीजेपी-संघ के बारे में बात करना भी अपराध है । तो बाकि आप बताइये । स्वयसेवक महोदय को शायद ऐसे जवाब और फिर ऐसे सवाल की उम्मीद ना थी । तो बिना लाग लपेट के सीधे बोल पडे ।
वाजपेयी जी आपके उदाहरण ने ही सारे सवालो का जवाब दे दिया । दरअसल मोदी-शाह अपनो को ही पटकनी देत देते इतने आगे निकल चुके है कि उन्हे काग्रेस नहीं हरायेगी बल्कि उन्हे बीजेपी-संघ से जुडा समाज ही हरा देगा । और अर्से बाद किसी सत्ताधारी के सामने कोई रानीतिक दल या उसका नेता महत्वपूर्ण उसके अपने राजनीतिक संगठन या राजनीतिक समझ की वजह से नहीं है । बल्कि जनता के बीच का जो बडा दायरा संघ परिवार का रहा है या फिर दशको से राजनीति करती बीजेपी की रही है वहा नरेन्द्र मोदी हार रहे है । और जिस संगठन या 11 करोड कार्यकत्ताओ के आंकडे के आसरे बीजेपी का इन्फ्रस्ट्कचर अमित शाह खडा कर सभी को डरा रहे है वह ताश के पत्तो की तरह ढहढहा जायेगा ।
क्यो ? आपको ऐसा क्यो लगने लगा है । मेरे टोकते है स्वयसेवक महोदय बोल रहे । खामोशी से सुनिये । चितंन किजिये । फिर पूछिये ।
जी ...
दरअसल 2019 की बीजेपी कभी ऐसी थी ही नहीं । या फिर 2019 का आरएसएस भी कभी ऐसा था ही नहीं । जो अब हो चला है । और बदलाव की बडा वजह विचारधारा का गायब होना है । एंजेडा का बदल जाना है । समाज में जुडे रहने के तौर तरीको में बदलाव लाना है । और सत्ता के लिये जिस तरह मोदी-शाह चुनाव प्रचार में निकल रहे है क्या वह प्रचार है । दरअसल ध्यान दिजिये वह किसी शिकारी की तरह चुनाव प्रचार में निकलते है । जाल फेकते है । और पांच बरस तक जनता से लेकर सस्थान और नौकरशाह से लेकर नेता तक इसमें फंसते रहे । लेकिन अब चुनाव है तो कोई जाल में फंस नहीं रहा है । और जो तीन बातो को तीन स्वयसेवको के जरीये आपने जिक्र किया उसकी जमीन तो है ।
यानी ? क्या वाजपेयी जी ने जो लालजी भाई की जानकारी बताई वह सही है कि नरेन्द्र मोदी ने ओटीसी भी पास नहीं की थी । झटके में प्रोफेसर साहेब जिस तरह बोले उसपर बेहद शांत होकर स्वयसेवक महोदय बोले ..... आपको नहीं लगता कि स्वयसेवक अतिप्रतिक्रियावादी नहीं होता । स्वयसेवक बडबोला नहं होता ।
तो फिर आरएसएस को ये समझ में क्यों नहीं आया....
हा हा ...यही तो खास बात है । पर इसके लिये मोदी को नहीं संघ की कमजोरी को भी समझना चाहिय...उसे क्या चाहिये ये उसे पता है कि नहीं...
पर संघ तो मोदी को जिताने की तैयारी कर रहे है । बकायदा टोली बनाकर सीट दर सीट या कहे पहले चरण से लेकर सातवें चरण तक की योजना तैयार कर ली है ।
ये भी ठीक है.....लेकिन संघ मोदी के लिये नहीं समाज के लिये है ये भी समझना होगा...
यानी ?
यानी कुछ नहीं इशारा नहीं समझे तो ...मै और चाय लेकर आता हूं ...ये चाय ठंडी हो गई है ।
जारी...
Saturday, April 6, 2019
स्वंयसेवक की चाय का तूफान....मोदी को काग्रेस नहीं जनता हरा देगी
Posted by Punya Prasun Bajpai at 10:28 PM
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
27 comments:
आधी बात की और पूरी कब होगी पुण्य
प्रसून जी
चाय ठण्डी हो गयी ...... Good analysis sir 23 मई ....
जुरासिक पार्क की कहानी याद है प्रसून भाई। जब अंडे छोटे थे तब ये भव्य लग रहा था मानो एक जू में खुखार जानवर बंद पिज़रो में देखने को मिलेंगे। मगर जब ये विशाल हुए तो इतना भ्याव्य माहौल हो गया कि सोच भी कापने लगी।
इन दैत्याकार जानवरो को देख जन्मदाता जॉन्न हेमंड, एली ग्रांट, एली सेटलर सब जू में इन्हे अपने हाल पर छोड़ कर भाग गए। अब धरती पर जीवन रहेगा इसकी पटकथा देश का वोटर ही लिख सकता है।।
सटीक विश्लेषण
बहुत सटीक विश्लेषण आपने किया है और यह सत्य है🙏🙏
very nice analysis
24 मई से भाजपा की सारी नज़रें एक बार फिर आडवाणी,सुषमा,जोशी के इर्द गिर्द ही घूमने लगेंगी और दोबारा भाजपा को ज़िंदा करने के लिए इनको उठना पड़ेगा और राजनाथ,गडकरी,जेटली कुछ दिनों तक धरातल से गायब नज़र आएंगे और "सिक्के के दो पहलुओं" का क्या हाल होगा ये बताना कुछ मुश्किल है।
ये सब होगा अगर जनता की आंखें खुली तो वरना एक नए "डिक्टेटर" के स्वागत के लिए हमें तैयार रहना होगा ??
Ye sanghi aapko bana rahe h, jab inhone kaha tha ki Feb me kuch bada hoga, iska ishara bjp me vidroh pe nahi balki pulwama pe tha. Sab inhi sanghiyon ki planning h
बहुत खूब।
प्रिय पुण्य प्रसून जी
पहले पूण्य और पुण्य का मतलब समझिये नाम मे जी खोट है, एक कमाने में मैं आपका फैन था पर आपने तो राजनीति के पहलवान बनना शुरू कर दिया, आपके करियर में पूर्ण विराम इस लिए लगा क्योकि आप पाकिस्तान मीडिया के हीरो बन गए थे आपको पता ही है जब कोई बात भारतीय मीडिया द्वारा प्रसारित हुआ और अगर सरकार बिरोधी कम्पैन चलाएंगे तो देश के नही पाकिस्तान के हीरो कहलायेंगे,
तो आपकी भाषा मे क्या ये समझ लिया जाए कि आप कांग्रेेश के के प्रवक्ता बन गए हैं।
या फिर ये समझे ले कि भाजपा का वोट बैंक बन गए हैं
अगर मोदी राष्ट्र विरोधी हैं तो कोंग्रेस भी राष्ट्र विरोधी है।
राजनीति से ऊपर उठिये।
सटीक विश्लेषण लेकीन चाय ठंडी हो गई तो चाय गरम करने को कहीये और फीर चर्चा को बैठ जाइये चर्चा पुरी होने तक चैन नही मिलेगा जैसे कोई पिक्चर आधी ही छोड दी हो तो उसे फीरसे देखने कि बेचैनी बहोत होती है
Sir ji...very nice analysis.....wai wait for next segment of tea time.....and the bitter truth...of bjp
शानदार सर आपका कोई जवाब नही
शानदार सर आपका कोई जवाब नही
Shandar
कुछ समझ में आये तो जवाब दो
वर्ना चुप रहो
Sanghiyon se itni dosti ...amazing ...faltu ki report h
Bohot badhiya prasun ji...
मास्टर strak
खाकर अब यहाँ मनगढ़ कहानियां चला रहे हो साहब
राष्ट्र और राजनीति के बारे में आप जैसे तथाकथित प्रबुद्ध पत्रकारों को ऐसा क्यों लगता है कि आप लोग ही सही विश्लेषक हो।मुझे लगता है राष्ट्र का आम जनमानस वामपंथी और कांग्रेस के nexus को समझ चुका है।इस लिए अब आप अपनी निजी व्यथाओं का ऐसे विचारों के रूप में प्रकटीकरण कर रहे हो। "होशियार बनने से बचें।भारतीय समाज आपके बारे में भी जानता है।'
Kam se kam hindi to shudhh likh lete vaajpaiji...kyu nak ktwa rhe Haines
BJP minus Modi and Shah. Its class
Her Bajpai .....kitni mangadbant kahaniya bna Leto ho ....Wah bhut khoob
सच कहा जी आपने , इनकी पत्रकारिता कांग्रेस, बामपंथी biased है।
बहुत सुंदर लेख बाजपेय जी बहुत अच्छा बिस्लेशन हैं
सही और सटिक टिप्पणी।
आपका विश्लेषण सब को पचेगा नहीं।
Post a Comment