ठीक दो साल पहले मणिकराव ठाकरे विदर्भ में कलावती के घर पर साइकिल, सिलाई मशीन और छप्पर पर डालने वाली टीन की चादर लेकर पहुंचे थे। और दो साल बाद एआईसीसी के सालाना जलसे में मंच पर वह सोनिया गांधी के ठीक पीछे बैठे थे। इन दो बरस में यवतमाल के जिलाध्यक्ष से लेकर महाराष्ट्र प्रदेश काग्रेस अध्यक्ष के पद पर मणिकराव कैसे पहुंच गये, यह या तो राहुल गांधी जानते है या फिर विदर्भ के कांग्रेसी, जिन्होंने कलावती के जालका गांव में राहुल के पोस्टर तक से झोपडियों की छतों को ढकते हुये मणिकराव को देखा। यह अलग किस्सा है कि प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद मणिकराव ठाकरे ने अपने पद का इस्तेमाल कर बेटे अतुल ठाकरे को सिर्फ डेढ़ लाख के सोलवेन्सी सर्टिफिकेट यवतमाल में 262 एकड जमीन पर माइनिग का लाइसेंस दिला दिया। जबकि इसी जमीन पर 1250 करोड़ का सीमेंट प्लांट लगाने के लिये अंबुजा सीमेंट वालो ने भी माइनिंग लाइसेंस मांगा था।
लेकिन विदर्भ का मतलब ही जब मणिकराव ठाकरे हो गया तब बेटे के व्यापार से बड़ा किसी उद्योग का प्लांट और निजी मुनाफे से बड़ा विकास का सवाल कैसे हो सकता है। इसलिये यह मुहावरा अब छोटा है कि कभी इंदिरा को इंडिया कहा गया। अब तो कांग्रेस भी पिरामिड की तरह ऊपरी चेहरे पर टिकी है। देश के लिये यह चेहरा सोनिया गांधी का हो सकता है लेकिन हर प्रदेश में सोनिया या राहुल का अक्स लिये कोई ना कोई चेहरा कांग्रेसी पहचान का है, जिसमें अपनी तस्वीर ना देखने का मतलब है बगावत। ऐसे में काग्रेसी नजरिये से भ्रष्टाचार को परिभाषित करना सबसे मुश्किल है। क्योंकि चकाचौंध भारत में तो लाइसेंस का आधार पूंजी है। और पूंजी पार्टी लाइन से उपर मानी जाती है। लेकिन अंधियारे भारत में से चकाचौंध निकालने का लाईसेंस सिर्फ सत्ताधारी ही पाते हैं। यानी जहां भाजपा की सत्ता है, वहा भाजपाई या संघी और जहां कांग्रेस की सत्ता है, वहां कांग्रेसियों के रिश्तेदार या खुद कांग्रेसी ।
चूंकि एआईसीसी सम्मेलन में सोनिया गांधी से महज दस हाथ से भी कम दूरी पर महाराष्ट्र के वही सीएम बैठे थे जो भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद अपना इस्तीफा दो दिन पहले ही सोनिया गांधी को थमा आये थे। और पूरे सम्मेलन में सभी की नजर उन्हीं पर ज्यादा भी थी और कांग्रेसी उन्हीं को सबसे ज्यादा टटोल भी रहे थे कि मैडम ने कहा क्या। यानी मुंबई की जिस आदर्श इमारत ने काग्रेस की आदर्श सोच की बखिया उधेड़ दी, उसके खलनायक ही मंच पर नायक सरीखे लग रहे थे। और ऐसे में काग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने जब देश में बनते दो देशों का सवाल खड़ा किया, तब भी उनकी नजर अशोक चव्हाण की तरफ गयी या नहीं, यह कहना तो मुश्किल है लेकिन कांग्रेसी चकाचौंध के लिये कैसे अंधेरिया भारत को और अधेंरे में लेजाते है यह महाराष्ट्र में बीते पन्द्रह बरस की काग्रेसी सत्ता के सरकारी आंकड़ों से भी समझा जा सकता है।
इन 15 बरस में 70 फीसदी उद्योग बीमार होकर बंद हुये। रिकॉर्ड 90 लाख युवाओं के नाम रोजगार दफ्तर में दर्ज हुये। गरीबो की तादाद में 12 फीसदी का इजाफा हुआ। बीपीएल परिवार में 7 फीसदी का इजाफा हुआ। 15 बरस में सवा लाख किसानों ने खुदकुशी कर ली। खेती की विकास दर औसतन उससे पहले के 15 बरस की तुलना में 7 फीसदी तक घटी। सुनहरा कपास ऐसा काला हुआ कि सिर्फ विदर्भ के 30 लाख किसानों का जीवन सरकारी पैकेज पर आ टिका। यह सवाल अलग है कि विकास से पहले की न्यूनतम जरुरत पीने का साफ पानी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और मध्यम दर्जे की शिक्षा अब भी 35 फीसद आबादी से दूर है। जबकि समूचे विदर्भ और मराठवाडा के वह हिस्से, जहां से अशोक चव्हाण, विलासराव देसमुख और सुशील कुमार शिंदे आते हैं, के करीब सत्तर फीसद कांग्रेसी नेताओ की औसतन संपत्ति डेढ़ करोड पार की है। जबकि इन क्षेत्रो में औसतन आय अभी सालाना 22 हजार तक नही पहुंची है। और ग्रामीण क्षेत्र में यह आय 12 हजार से ज्यादा की नहीं है।
समझना होगा कि कैसे कांग्रेसी सफेद झक खादी पहन कर एआईसीसी की बैठक में नजर आते हैं। मराठवाडा और विदर्भ में करीब सत्रह सौ लाइसेंस माइनिंग के बांटे गये। जिसमें से 36 छोटे-बड़े उघोगों को निकाल दिया जाये तो सभी लाइसेंस वैसे ही कांग्रेसियों को दिये गये, जैसे यवतमाल में अतुल टाकरे या फिर कांग्रेसी विधायक के बेटे प्रवीण कासावर या कांग्रेसी लतीफ उदीम खानाला को। इसी तरह हर जिले में एमएईडीसी यानी महाराष्ट्र ओघोगिक विकास निगम की जमीन भी करीब 50 हजार से ज्यादा कांग्रेसियो को ही बांटी गयी, उसमें सासंद भी है और पार्टी के लिये पूंजी जुगाड़ने वाले स्थानीय व्यापारी नेता भी। कुल 54 कॉलेज इस दौर में खुले, जिसमें से 45 के मालिक कांग्रेसी हैं। असल में सत्ता का कैडर या कार्यकर्ताओ का जुगाड़ ही लाइसेंस के बंदरबांट से होता है और उसके आईने में विकास का पैमाना नापना होता है, उसे राहुल कितना समझते है, यह कहना वाकई मुश्किल है।
लेकिन विकास का चेहरा केन्द्र से चल कर गांव की जमीन पर क्या असर दिखाता है, इसे किसानों को लेकर प्रधानमंत्री के करोड़ों के पैकेज से भी समझा जा सकता है। 2006 से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस बात पर गर्व कर रहे है कि उन्होंने साढ़े पांच हजार करोड़ का पैकेज विदर्भ के किसानो को दिया। लेकिन इस दौर में ग्रामीण बैंक के अधिकारी और बैक के कर्मचारी भी क्यों कांग्रेसी हो गये यह किसी ने नहीं जाना। क्यों कांग्रेसी विधायक से लेकर कांग्रेसी कार्यकर्ता की धाक उसी दौर में किसानों पर बढ़ी, जिस दौर में करोड़ों रुपये का पैकेज किसानों के लिये आना शुरु हुआ। बुलढाणा के कांग्रेसी विधायक दिलिप सानंदा तो एक कदम आगे बढ़ गये और किसानों के पैकेज के पैसे को ही किसानो में ब्याज पर बांटने लगे। असल में बुलढाणा के खामगांव में विधायक सानंदा का बंगला देखकर ही राहुल गांधी समझ सकते हैं कि देश के भीतर बनते दो देशों में अंधियारे के बीच भी कैसी चकाचौंध हो सकती है।
खामगांव जैसे गांव में बने इस बंगले को देखकर तो लुटियन्स की दिल्ली भी शर्मा जाये। जबकि बुलढाणा में 78 फीसद ग्रामीण बीपीएल है । कुल 85 फीसदी गरीब है। असल में एआईसीसी की बैठक में दिल्ली के 10 जनपथ और 7 रेसकोर्स को छोड दें तो हर नेता बुलढाणा या यवतमाल सरीखे जिले से ही निकल कर मुबंई या दिल्ली की सत्ता तक पहुंचा है। ऐेसे में मंच पर अशोक चव्हाण हो या मंच के नीचे बैठे सुरेश कलमाडी या फिर सोनिया गांधी के ठीक पीछे बैठे मणिकराव ठाकरे और बायीं तरफ स्थायी आमंत्रित सदस्य विलासराव देसमुख। समझ सभी रहे थे कि असल में भ्रष्टाचार की गंगोत्री कांग्रेस में गांधी परिवार का नाम जपने के साथ मिलने वाले तोहफे से ही शुरु हो जाती है। इसीलिये महाराष्ट्र के सीएम भ्रष्ट है या नही इसकी जांच देश में पुलिस या कानून नहीं बल्कि कांग्रेस की ही प्रणव-एंटोनी कमेटी करती है। जिसके सर्टीफिकेट से तय होगा भ्रष्टाचार हुआ या नहीं। यानी कांग्रेस सर्वोपरि । इसीलिये राहुल गांधी ने भी मंच से सही ही कहा कि देश की एकमात्र पार्टी कांग्रेस है बकी सभी तो प्रांत-धर्म और जाति में सिमटे है।
You are here: Home > कांग्रेस > सवा सौ साल की कांग्रेस की ईमानदारी
Thursday, November 4, 2010
सवा सौ साल की कांग्रेस की ईमानदारी
Posted by Punya Prasun Bajpai at 11:21 PM
Labels:
कांग्रेस
Social bookmark this post • View blog reactions
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
9 comments:
जय माता दी ,
आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये....
माँ लक्ष्मी सदैव आप पर अपनीकृपा दृष्टि बनाये रखे यही कामना है....
दीपावली रौशनी का त्योहार है..आइये कुछ ऐसा करें जिससे सबकी की जिंदगी रोशन हो जाये....
शुभ दीपावली......
वाजपेयी जी,
हम कान्ग्रेस की ईमानदारी की बात करते हैं पर मेरा अनुभव तो यही कहता है कि इस पूरी व्यवस्था में हर कोई भ्रष्ट है और यदि कोई बेईमान होने से बचा भी रह गया है तो इसका सिर्फ इतना ही मतलब निकलता है कि उसे बेईमानी करने का अब तक मौका नहीं मिला है । राजनीतिक भ्रष्टाचार तो लूट खसोट के इस तंत्र को लेजिटिमाइज करने की कवायद भर है ।
क्या इस देश में आज कोई ऐसा बचा रह गया है जिसे लूटने का मौका तो मिला लेकिन उसने खुद को बचा लिया हो....
प्रसून जी,
आपने जो लिखा उससे कोई असहमत नही हो सकता,दरअसल राजनीति में सत्तासुख की मलाई पर कोई भी संभल कर चल ही नही सकता अब वक्त आ गया हैं की सत्ता सुख पर ही अंकुश लगाया जाऐ, जांच की बात तो बेकार हैं सीधा सवाल इतना ही है कि देश के तमाम विभागो के नौकरशाह करते क्या हैं कयों न पहले इनका ही दायित्व बोध जगाया जाऐ ........
सतीश कुमार चौहान भिलाई
सबसे पहले इस देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पदों पर बैठे लोगों के कार्यों की प्रतिमाह जनता के 21 सदस्सीय टीम जिसमे इमानदार समाज सेवक,पत्रकार,IAS ,IPS ,जज सभी शामिल हों के द्वारा समीक्षा की जानी चाहिए की इनके द्वारा देश और समाजहित में क्या कार्य किये गए और देश के गद्दारों और भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाप आये शिकायतों पर इन्होने न्याय संगत और तर्कसंगत कार्यवाही के हरसंभव प्रयास किये या अपने स्वार्थ के लिए इन लोगों ने भी देश और समाज से गद्दारी की ...?
अगर इनका निकम्मापण साबित हो तो सबसे पहले इनके ऊपर कार्यवाही होनी चाहिए वो आम अपराधियों पे होने वाली कार्यवाही से चार गुना सख्त हो ........हमारे देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का पद किसी निकम्मे और स्वार्थी के लिए नहीं है ......
Vajpayee ji,
The article will be liked by congress or not its unpridctable but one thing which sounds nice in article is that journalism of courage and honesty is still alive.
Please keep it up we are proud to be your follower in the field.
Kranti Kishore Mishra
Vajpayee ji I were searching u on face book but did not find u there I think u only can make that much clear picture like this artical.
as common man pls tell us to whom we should trust congress,BLP,SP,BSP all are having same concept which u explained in ur artical even it is difficult to believe media which can do any thing for getting a commercial I have many question to ask u in step wise.
वाजपई जी,
आप बहुत समय से कांग्रेस को 'कवर' कर रहे हैं..... आप समझ सकते हैं की इस पार्टी में भरष्टाचार उपर से शुरू होता है और नीचे के कैडर तक पहुँचता है....... अब बात अपनी 'योग्यता' की रह जाती है की कब अपने से उपर के 'नेता' की टांग खींच कर पिरामिंद के उपरी हिस्से पर अपनी पहुँच बनाई जाय -- उसके बाद १०० खून माफ.
ज्यादा सुखा........ ज्यादा कमीशन
ज्यादा बाद......... ज्यादा कमीशन
जिस ब्लोक में किसानो की आत्महत्या ...
उसके ब्लोक प्रमुख - को जिला प्रमुख बन्ने से कोई नहीं रोक सकता ......
कांग्रेस का शर्तिया इलाज़...
खुद खाओ - ओरों को खाने दो
जय राम जी की.
बस अब गरीबी जाने वाली ही है देश से ,
यह सुनते सुनते उम्र के ७० बरस गए....
कफ़ी आज़मी.
दिन हुए की मै अपने आप से अक्सर यह पूछ जाता की यह लोग कैसे २० रुपए मे अपना दिन गुज़र लेते है,अगर मै होता थो यह कभी नहीं कर पाता.. कुछ साल फेले मैंने आप के बड़ी खबर मई बुलान्द्खंड के उपर करवेज देखि थी मगर हालत जब भी वही थे और भी वही है जब भी हमारे देश मई prime मिनिस्टर हुआ करते थे और आज भी है यह सुन कर बुरा लगता है की BPL कार्ड होल्डर बड़े है. मगर विदर्भ के हालत भी वैसे है जैसे बुलान्द्खंड के है. रिश्वत खोरी कहाँ नहीं है हर देश मे आप को रिश्वत खोरी मिल जाएगी मगर development के आगे कुछ न आये थो तभी कुछ हो सकता है .
तुमने कलम उठाई है तो वर्तमान लिखना ,
हो सके तो राष्ट्र का कीर्तिमान लिखना .
चापलूस तो लिख चुके हैं चालीसे बहुत ,
हो सके तुम ह्रदय का तापमान लिखना ..
महलों मैं गिरवी है गरिमा जो गाँव की ,
सहमी सी सड़कों पर तुम स्वाभिमान लिखना
Post a Comment