नशा क्रिकेट के खेल कासट्टाबाजार की मानें तो क्रिक्रेट का विश्वकप जीतने के सबसे ज्यादा आसार भारत के हैं। लेकिन विश्वकप जीत की खुमारी में कोई भी तस्वीर भारत के माथे पर चस्पा है तो वह 1983 की कपिलदेव की टीम इंडिया है, जो सिर्फ एक लाख रुपये के खर्चे पर इंग्लैंड रवाना हुई थी। उसके पास उस वक्त जीतने के लिये वाकई दुनिया थी और गंवाने के लिये सिर्फ टीम इंडिया का कैप। जिसके एवज में दस हजार से ज्यादा की कमाई किसी खिलाड़ी की नहीं थी। लेकिन 2011 में जब टीम इंडिया रवाना हुई तो हर खिलाडी के पैरो तले दुनिया है और जीत-हार का मतलब उसके लिये सिर्फ खेल है।
1983 में समूचा विश्वकप महज चालीस लाख में निपटा दिया गया था और दुनिया कपिलदेव के वह आतिशी 175 रन भी नहीं देख पायी थी क्योकि उस दिन बीबीसी की हड़ताल थी। लेकिन 2011 में क्रिक्रेट दिखाने वाले टीवी चैनल में एक दिन की हडताल का मतलब है 500 करोड़ का चूना लगना। और इस बार विश्वकप का खर्चा है पचास करोड़ रुपये। 1983 में हर भारतीय खिलाड़ी के पीछे देश का बीस हजार रुपये लगा था। और खिलाडियो के जरीये प्रचार करने वाली कंपनियो से खिलाड़ियों को कुल कमाई महज पचास हजार थी। लेकिन आज की तारीख में खिलाड़ियों के जरीये प्रचार करने वाली कंपनियों से खिलाड़ियों की कमाई सिर्फ पैंतीस हजार करोड़ की है।
जी, यह आंकडा सिर्फ भारतीय खिलाडियों का है। जिसका असर यही है कि विश्वकप की टीम में नौ खिलाड़ी अरबपति हैं और बाकी करोड़पति। लेकिन सवाल यह नहीं है कि देश में क्रिक्रेट की खुमारी सिर्फ पैसों पर रेंगती है। सवाल यह है कि जिस दौर में क्रिकेट बाजार में बदला उसी दौर में बाजार के जरीये देश को चूना लगाने वाले कॉरपोरेट के लिये खिलाड़ी ही बाजार बन गया। जिस दौर में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की आंच में प्रधानमंत्री भी आये हैं और सीबीआई कारपोरेट घरानों की परेड करा रही है, उसी दौर में टीवी पर उन्हीं दागदार कारपोरेट के प्रोडक्ट का प्रचार करते वही क्रिक्रेटर भी नजर आ रहे हैं, जिनके माथे पर टीम इंडिया का कैप है और जर्सी पर दागदार कंपनियों का स्टीकर।
असल में दागदार टेलीकॉम कंपनियां ही नहीं, रीयल इस्टेट से लेकर देश के खनिज संपदा को लूटने में लगी कंपनियों के भी प्रचार में यही क्रिक्रेटर सर्वोपरी हैं। अगले मुकाबलों में जब टीम इंडिया मैदान पर होगी तो हर खिलाडी की जर्सी को गौर से देखियेगा। हर जर्सी पर दो कंपनियों के स्टीकर का मतलब महज बाजार को ढोना भर नहीं है बल्कि इसकी एवज में मिलने वाली रकम भी विश्वकप जीतने के बाद मिलने वाली रकम से भी कई गुना ज्यादा है। तो पहली बात तो यह तय हो गयी कि क्रिक्रेट विश्वकप में जीत का उस रकम से कुछ भी लेना देना नहीं है जो विश्वकप के साथ मिलेगी। तब जीत किसलिये।
जाहिर है क्रिक्रेट एक खेल है तो खिलाडी को मान्यता जीत से ही मिलती है। लेकिन देश के भीतर 20-20 के आईपीएल के धंधे ने तो इस मान्यता की भी बोली लगा दी, जहां खिलाडी की जिन्दगी में चकाचौंघ और पांच सितारा समाज में घूमने-फिरने की ऐंठ खेल से ज्यादा उस पावर पर आ टिकी जहां खिलाड़ी मशीन में बदल गया। और तीन से चार ओवर में चौके-छक्के मार कर झटके में लाखो के वारे-न्यारे कर ले जाये। उसके बाद मनमोहनोमिक्स के चुनिंदा कारपोरेट के साथ गलबहिया डालकर खिलाड़ियों का खिलाड़ी बन जाये। तो विश्वकप में जीत की भूख टीम इंडिया में जगेगी कैसे। जाहिर है यहां सवाल देश के उन करोड़ों लोगों के जोश-उत्साह और उमंग का होगा, जिनकी रगों में क्रिक्रेट देश भक्ति के आसरे दौड़ता है और जीत का मलतब दुनिया को अपने पैरो तले देखने की चाहत होती है। यानी जिस 80 करोड़ आम जनता के हक को अपनी हथेली पर समेटकर चकाचौंध की व्यवस्था में राजनेता-कारपोरेट और नौकरशाह का कॉकटेल देश के राजस्व को ही लूट रहे हैं, उनके लिये वही क्रिक्रेट खिलाड़ी जीतना चाहेंगे, जो लूट की पूंजी में खुद बाजार बनकर खिलाड़ी बने हुये हैं।
असल में देश के सामने सबसे बड़ा संकट यही है कि जो व्यवस्था देश को आगे बढाने के नाम पर अपनायी जा रही है, वह चंद हाथों में सिमटी हुई है और पहली बार देश की ही कीमत अलग अलग तरीके से हर वह लगा रहा है जिससे उसे विश्वबाजार में मुनाफा मिल सके। मामला सिर्फ टेलिकाम के 2जी स्पेक्ट्रम या इसरो के एस बैंड का नहीं है। सवाल आदिवासी बहुल इलाको की खनिज-संपदा के खनन का भी है और खेती की जमीन पर कुकुरमुत्ते की तरह उगते उघोगो का भी है। सवाल गांव के गांव खत्म कर शहरीकरण के नाम पर सड़क से लेकर पांच सितारा हवाईअड्डो के विस्तार का भी है और पर्यावरण ताक पर रखकर रईसी के लिये लवासा सरीखे शहर को बसाने का भी है। और इस उभरते भारत की गांरटी लिये अगर क्रिक्रेटर ही आमजन की भवनाओं को अपनी कमाई तले जगाने लगे तो सवाल वाकई देश की असल धड़कन का होगा। क्या वाकई देश के हालात इस सच को स्वीकारने के लिये तैयार है कि कल तक जो विदेशी निवेश देश की मजबूत होती अर्थव्यवस्था का प्रतीक था, आज उसमें हवाला और मनी-लॉड्रिंग का खेल क्यों नजर आ रहा है। कल तक जो कारपोरेट सरकारी लाइसेंस के जरीये देश का विकास करता हुआ दिखता था आज वह देश के राजस्व को लूटने वाला क्यों लग रहा है। कल तक जो नौकरशाह जिस किसी भी मंत्रालय में कारपोरेट की योजनाओ की फाइल पर मंत्रीजी के संकेत मात्र से "ओके" लिखकर विकास की दौड में अपनी रिपोर्टकार्ड में " ए " ग्रेड पा लेता था। अब वहीं नौकरशाह नियम-कायदो का सवाल उठाकर उसी कारपोरेट के नीचे से रेड कारपेट खिंचने को तैयार है क्योकि भ्रष्टाचार पर सीबीआई से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक की नजर है। तो क्या खुली बाजार अर्थव्यव्स्था की हवा के दौर में देश की सत्ता भी अब विकास की परिभाषा बदलने के लिये तैयार है। अगर हां तो फिर नयी परिभाषा तले विश्वकप खेलने के लिये तैयार टीम इंडिया को परखना होगा। जिसके पास न तो 1983 के खिलाड़ियों की तरह क्रिक्रेट जीने का जरीया नहीं कमाने का जरीया है। उस वक्त नंगे पांव हर मैच-दर-मैच क्रिकेटर खुद को चैपियन बनाने में लगे थे यानी टीम इंडिया विकसित होने की दिशा में थी। लेकिन 2011 में टीम इंडिया खेल शुरु होने से पहले ही ना सिर्फ खुद को चैंपियन माने हुये हैं बल्कि जिन्दगी से आगे हर चकाचौंघ को अपनी हथेली पर चमकते हुये देखने का नशा है। हालांकि टीम इंडिया की जीत को लेकर करोड़ों आमजन के नशे में अब भी तिरंगे के लहराने और देश का माथा उंचा रखना ही है । लेकिन पहली बार देश के हालात में सियासत का खेल ज्यादा रोंमाच भरा है और सरकार-विपक्ष के साथ साथ जनता भी अब महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर 20-20 खेलने के मूड में आक्रामक है। ऐसे में 50 50 ओवर का वन-डे विश्वकप कितना रोमांच पैदा कर पायेगा यह देखना भी देश को पहली बार समझने जैसा ही होगा। इसलिये सट्टेबाजों पर ना जाइये जो 5 हजार करोड से ज्यादा की रकम जीत हार पर लगाकर भारत को चैंपियन बता रहा है। बल्कि दुआ मनाईये कि वाकई इस बार खेल से खिलाड़ी निकले । न कि भ्रष्ट व्यवस्था में पैसो की जमीन पर खिलाड़ियों के खिलाडी !
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Tuesday, February 22, 2011
नशा क्रिकेट के 'खेल' का
Posted by Punya Prasun Bajpai at 2:30 PM
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विश्प कप
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7 comments:
KHILADION KE KHILADI HAIN CORPORATES BAKI SAB TO MOHRAY HAIN
really its great Mr. पुण्य प्रसून बाजपेयी
Aaj ka cricket aam aadmi ka cricket nahi hai ye sirf VIP logo ka reh gaya hai iska andaja 27 feb ko hone wale india vs england metch ke tikits bikri se lagaya ja sakta hai. Jaha 35000 me se sirf 3000 ticets aam logo ke liye rakhi gai + special offer me dande bhi saath. Ho sakta hai ki future me hamare cricket sponsers meherbani kar koi scheme nikale aur kahe ki 3 laki vijetao ko milega vip logo ke saath stadium me match dekhne ka moka ( scheme sirf aam logo ke liye he. pitai nahi milegi. sharte laagu)
good sir very good.
keep it up.
thoda sa apni shailee mein prachar ko bhi sthan pradan karein jis-se ki apke vichaar adhik se adhik logo tak pahuch sakein.
itna seedapan bhi kuch kaam ka nahi.
lekin aap great ho,vastvikta bhi yahi honi chahiye.
namste sir ji.....
is post main aapki gugly kaam kr gayi
yh jankr aacha laga ki hmne pehla world cup kis isthitiyo main jeeta tha.... aaj hr khiladi ke pairo tale chakachond ki duniya saath chal rahi hai aur unke saath hm sabhi ki ummede....jo is baat ki aashaye lagaye bethi hai ki world cup hamare naam hoga...............
हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' -दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
प्रिय हिंदी ब्लॉगर बंधुओं ,
आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के जनवरी माह में २०-२१ जनवरी (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. विश्विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इस संगोष्ठी को संपोषित किया जा सके इस सन्दर्भ में औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा.
संगोष्ठी की तारीख भी निश्चित हो गई है (२०-२१ जनवरी २०१२ ) संगोष्ठी में अभी पूरे साल भर का समय है ,लेकिन आप लोगों को अभी से सूचित करने के पीछे मेरा उद्देश्य यह है क़ि मैं संगोष्ठी के लिए आप लोगों से कुछ आलेख मंगा सकूं.
दरअसल संगोष्ठी के दिन उदघाटन समारोह में हिंदी ब्लागगिंग पर एक पुस्तक के लोकार्पण क़ी योजना भी है. आप लोगों द्वारा भेजे गए आलेखों को ही पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया जायेगा . आप सभी से अनुरोध है क़ि आप अपने आलेख जल्द से जल्द भेजने क़ी कृपा करें .
आप सभी के सहयोग क़ी आवश्यकता है . अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
डॉ. मनीष कुमार मिश्रा
के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय
गांधारी विलेज , पडघा रोड
कल्याण -पश्चिम
pin.421301
महाराष्ट्र
mo-09324790726
manishmuntazir@gmail.com
http://www.onlinehindijournal.blogspot.com/ http://kmagrawalcollege.org/
आलेख लिखने के लिए उप विषय
हाल ही में जो पोस्ट मैंने प्रस्तावित ब्लागिंग संगोष्ठी के सन्दर्भ में लिखी थी ,उसी सम्बन्ध में कई लोगों ने आलेख लिखने के लिए उप विषय मांगे .मूल विषय है-''हिंदी ब्लागिंग: स्वरूप,व्याप्ति और संभावनाएं ''
आप इस मूल विषय से जुड़कर अपनी सुविधा के अनुसार उप विषय चुन सकते हैं
जैसे क़ि ----------------
१- हिंदी ब्लागिंग का इतिहास
२- हिंदी ब्लागिंग का प्रारंभिक स्वरूप
३- हिंदी ब्लागिंग और तकनीकी समस्याएँ
४-हिंदी ब्लागिंग और हिंदी साहित्य
५-हिंदी के प्रचार -प्रसार में हिंदी ब्लागिंग का योगदान
६-हिंदी अध्ययन -अध्यापन में ब्लागिंग क़ी उपयोगिता
७- हिंदी टंकण : समस्याएँ और निराकरण
८-हिंदी ब्लागिंग का अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य
९-हिंदी के साहित्यिक ब्लॉग
१०-विज्ञानं और प्रोद्योगिकी से सम्बंधित हिंदी ब्लॉग
११- स्त्री विमर्श से सम्बंधित हिंदी ब्लॉग
१२-आदिवासी विमर्श से सम्बंधित हिंदी ब्लॉग
१३-दलित विमर्श से सम्बंधित हिंदी ब्लॉग
१४- मीडिया और समाचारों से सम्बंधित हिंदी ब्लॉग
१५- हिंदी ब्लागिंग के माध्यम से धनोपार्जन
१६-हिंदी ब्लागिंग से जुड़ने के तरीके
१७-हिंदी ब्लागिंग का वर्तमान परिदृश्य
१८- हिंदी ब्लागिंग का भविष्य
१९-हिंदी के श्रेष्ठ ब्लागर
२०-हिंदी तर विषयों से हिंदी ब्लागिंग का सम्बन्ध
२१- विभिन्न साहित्यिक विधाओं से सम्बंधित हिंदी ब्लाग
२२- हिंदी ब्लागिंग में सहायक तकनीकें
२३- हिंदी ब्लागिंग और कॉपी राइट कानून
२४- हिंदी ब्लागिंग और आलोचना
२५-हिंदी ब्लागिंग और साइबर ला
२६-हिंदी ब्लागिंग और आचार संहिता का प्रश्न
२७-हिंदी ब्लागिंग के लिए निर्धारित मूल्यों क़ी आवश्यकता
२८-हिंदी और भारतीय भाषाओं में ब्लागिंग का तुलनात्मक अध्ययन
२९-अंग्रेजी के मुकाबले हिंदी ब्लागिंग क़ी वर्तमान स्थिति
३०-हिंदी साहित्य और भाषा पर ब्लागिंग का प्रभाव
३१- हिंदी ब्लागिंग के माध्यम से रोजगार क़ी संभावनाएं
३२- हिंदी ब्लागिंग से सम्बंधित गजेट /स्वाफ्ट वयेर
३३- हिंदी ब्लाग्स पर उपलब्ध जानकारी कितनी विश्वसनीय ?
३४-हिंदी ब्लागिंग : एक प्रोद्योगिकी सापेक्ष विकास यात्रा
३५- डायरी विधा बनाम हिंदी ब्लागिंग
३६-हिंदी ब्लागिंग और व्यक्तिगत पत्रकारिता
३७-वेब पत्रकारिता में हिंदी ब्लागिंग का स्थान
३८- पत्रकारिता और ब्लागिंग का सम्बन्ध
३९- क्या ब्लागिंग को साहित्यिक विधा माना जा सकता है ?
४०-सामाजिक सरोकारों से जुड़े हिंदी ब्लाग
--
bhai prasun ji,
namaskar.
main chahta hoon ki january 2012 me hindi blogging pr jo seminar main karne ja reha hoon aap usme mukhy vakta ke roop me sammilit hon.aap ki upasthiti se aayojan ko nai garima milegi.
kripya mera yh anurodh swikaar karen.
dr.manish kumar mishra
09324790726
manishmuntazir@gmail.com
हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' -दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
प्रिय हिंदी ब्लॉगर बंधुओं ,
आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के जनवरी माह में २०-२१ जनवरी (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. विश्विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इस संगोष्ठी को संपोषित किया जा सके इस सन्दर्भ में औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा.
संगोष्ठी की तारीख भी निश्चित हो गई है (२०-२१ जनवरी २०१२ ) संगोष्ठी में अभी पूरे साल भर का समय है ,लेकिन आप लोगों को अभी से सूचित करने के पीछे मेरा उद्देश्य यह है क़ि मैं संगोष्ठी के लिए आप लोगों से कुछ आलेख मंगा सकूं.
दरअसल संगोष्ठी के दिन उदघाटन समारोह में हिंदी ब्लागगिंग पर एक पुस्तक के लोकार्पण क़ी योजना भी है. आप लोगों द्वारा भेजे गए आलेखों को ही पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया जायेगा . आप सभी से अनुरोध है क़ि आप अपने आलेख जल्द से जल्द भेजने क़ी कृपा करें .
आप सभी के सहयोग क़ी आवश्यकता है . अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
डॉ. मनीष कुमार मिश्रा
के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय
गांधारी विलेज , पडघा रोड
कल्याण -पश्चिम
pin.421301
महाराष्ट्र
mo-09324790726
manishmuntazir@gmail.com
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आलेख लिखने के लिए उप विषय
हाल ही में जो पोस्ट मैंने प्रस्तावित ब्लागिंग संगोष्ठी के सन्दर्भ में लिखी थी ,उसी सम्बन्ध में कई लोगों ने आलेख लिखने के लिए उप विषय मांगे .मूल विषय है-''हिंदी ब्लागिंग: स्वरूप,व्याप्ति और संभावनाएं ''
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१- हिंदी ब्लागिंग का इतिहास
२- हिंदी ब्लागिंग का प्रारंभिक स्वरूप
३- हिंदी ब्लागिंग और तकनीकी समस्याएँ
४-हिंदी ब्लागिंग और हिंदी साहित्य
५-हिंदी के प्रचार -प्रसार में हिंदी ब्लागिंग का योगदान
६-हिंदी अध्ययन -अध्यापन में ब्लागिंग क़ी उपयोगिता
७- हिंदी टंकण : समस्याएँ और निराकरण
८-हिंदी ब्लागिंग का अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य
९-हिंदी के साहित्यिक ब्लॉग
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१२-आदिवासी विमर्श से सम्बंधित हिंदी ब्लॉग
१३-दलित विमर्श से सम्बंधित हिंदी ब्लॉग
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१५- हिंदी ब्लागिंग के माध्यम से धनोपार्जन
१६-हिंदी ब्लागिंग से जुड़ने के तरीके
१७-हिंदी ब्लागिंग का वर्तमान परिदृश्य
१८- हिंदी ब्लागिंग का भविष्य
१९-हिंदी के श्रेष्ठ ब्लागर
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२२- हिंदी ब्लागिंग में सहायक तकनीकें
२३- हिंदी ब्लागिंग और कॉपी राइट कानून
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२९-अंग्रेजी के मुकाबले हिंदी ब्लागिंग क़ी वर्तमान स्थिति
३०-हिंदी साहित्य और भाषा पर ब्लागिंग का प्रभाव
३१- हिंदी ब्लागिंग के माध्यम से रोजगार क़ी संभावनाएं
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३३- हिंदी ब्लाग्स पर उपलब्ध जानकारी कितनी विश्वसनीय ?
३४-हिंदी ब्लागिंग : एक प्रोद्योगिकी सापेक्ष विकास यात्रा
३५- डायरी विधा बनाम हिंदी ब्लागिंग
३६-हिंदी ब्लागिंग और व्यक्तिगत पत्रकारिता
३७-वेब पत्रकारिता में हिंदी ब्लागिंग का स्थान
३८- पत्रकारिता और ब्लागिंग का सम्बन्ध
३९- क्या ब्लागिंग को साहित्यिक विधा माना जा सकता है ?
४०-सामाजिक सरोकारों से जुड़े हिंदी ब्लाग
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