आम चुनाव के लिये भाजपा किस रास्ते पर चलेगी और उसका खेवनहार कौन होगा, इस पर मुहर लगाने से पहले आखिरी मंथन राष्ट्रीय स्वयंसेवक ने शुरु कर दिया है। और इसी डोर को थामने और थमाने के लिये नागपुर के महाल स्थित संघ मुख्यलय में संघ के मुखिया के बुलावे पर ही नरेन्द्र मोदी रविवार को पहुंचे। यानी राजनीतिक तौर पर संघ के भीतर पहली बार इस हकीकत को लेकर बैचेनी है कि अगर उसने रास्ता नहीं बनाया तो बीजेपी राजनीतिक तौर पर उलझेगी और आरएसएस के दर्जनों संगठनों के सामने कोई साफ एजेंडा नहीं बचेगा। तो राजनीतिक कोहरा साफ करने की कवायद के तहत ही मोदी को नागपुर बुलाया गया। पहली बार सरसंघचालक मोहन भागवत, सहसरसंघचालक भैयाजी जोशी और भाजपा के साथ तालमेल बिठाने वाले सुरेश सोनी के सामने नरेन्द्र मोदी की पेशी कुछ इस तरह हुई, जिसमें राजतिलक से पहले सवालों की बौछार थी और जवाब कैसे दिया जाये इसे समझाने का प्यार था।
संघ के भीतर एक तबके से लेकर विहिप के रुठे नेताओं को साथ लेकर चलने के लिये मोदी को कितना किस तरह झुकना होगा, इसका पाठ भी पढ़ाया गया। और राजनीतिक तौर पर भाजपा की ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पार्टी अध्यक्ष नीतिन गडकरी को धमकी देने से लेकर बिहार के भाजपा नेताओं को प्रचार के लिये गुजरात ना बुलाने का खुला ऐलान करने की राजनीति से बचने का रास्ता भी बताया गया। यानी मोदी भाजपा की अगुवाई के लिये आरएसएस की पहली पसंद हैं, इसके खुले संकेत नागपुर में यह कहकर दे दिये गये कि अगुवाई करने के लिये झुकना आना चाहिये।
दरअसल संघ ने एक तरफ नरेन्द्र मोदी की ताजपोशी से पहले संघ के आइने में मोदी कैसे दिखने चाहिये अगर इसके नियम बताये तो दूसरी तरफ लालकृष्ण आडवाणी और नीतिन गडकरी की भूमिका को लेकर अपनी योजना का पूरा खाका सामने रखा। आडवाणी सीनियर मेंटर को तौर पर किस तरह भाजपा में राजनीतिक तौर पर सक्रिय रहेंगे और नीतिन गडकरी किस तरह संघ के संगठनों के साथ भाजपा नेताओं की आपसी गुत्थम-गुत्थी को संभालेंगे। इस पर सरसंघचालक ने आरएसएस के भीतर भैयाजी जोशी और सुरेश सोनी से मंथन शुरु करवाने पर जोर दिया। लेकिन उससे पहले खुद ही लालकृष्ण आडवाणी को उनकी भूमिका के बारे में जानकारी भी दी और दी गई जानकारी को मोदी के सामने रखा भी गया। यानी मोदी के आने से पहले ही शनिवार को ही सरसंघचालक ने आडवाणी को उनकी भूमिका की जानकारी दे दी। लेकिन खास बात यह है कि जिन मुद्दों के आसरे संघ राजनीतिक संघर्ष के लिये भाजपा या नरेन्द्र मोदी को तैयार करना चाहता है, उसमें पहली बार हिन्दुत्व शब्द गायब है। इसके उलट गडकरी को साप्रंदायिक सौहार्द वाले मोर्चे को भी संभालना है। हप्ते भर पहले देवबंद में उनका भाषण शुरुआत है। संघ का जोर शहरी मिजाज से जुड़ने का भी है तो भ्रष्टाचार के खिलाफ और विकास के साथ का नारा कैसे बुलंद किया जा सकता है, इस पर संघ की रणनीति का राजनीतिक मजमून दशहरा के दिन सरसंघचालक नागपुर से विजयादशमी के अपने सालाना भाषण में देंगे।
यानी पहली बार विजयादशमी का भाषण भाजपा के लिये राजनीतिक मंत्र भी होगा और आम चुनाव की दिशा में जाते देश को किस लीक पर भाजपा ले जाये यह चिंतन-पाठ नरेन्द्र मोदी के लिये भी होगा। और उसके तत्काल बाद चेन्नई में संघ की महत्वपूर्ण बैठक है, जिसमें सामाजिक मुद्दों के आसरे संघ के आला संगठन के सर्वेसर्वा राजनीतिक लकीर भी खिचेंगे। और मोदी के नाम पर पहली मुहर चेन्नई बैठक में ही लगेगी जो 24 से 27 अक्तूबर तक चलेगी। मोदी पर मुहर लगने का मतलब है संघ इस बार भाजपा का राजनीतिक रास्ता दिल्ली के राजनीतिक चिंतन से इतर खिंचना चाहता है। यानी गठबंठन की मजबूरी या गठबंधन की सियासत के बदले भाजपा अकेले क्यों नहीं चल सकती है। यानी आम चुनाव में भाजपा अकेले नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में चलेगी, इस पर भी चेन्नई बैठक में मुहर लगेगी। यानी बिहार के सवाल पर जो उलझन भाजपा के दिल्ली के नेताओं के सामने नरेन्द्र मोदी को लेकर आ सकती है, उससे टकराने के लिये संघ खुद को आगे करने को तैयार है। यह भरोसा आरएसएस का मोदी को है। और मोदी को संघ का सुझाव यह है कि नीतिश कुमार को तो छोड़ा जा सकता है लेकिन नीतिश कुमार के भरोसे बिहार के भाजपा और संघ के स्वयसेवकों को तो नहीं छोड़ा जा सकता। यानी मोदी बिहार के स्वंयसेवकों के दर्द को भी समझे और बिहार के नेताओं को राजनीति का पाठ ना पढाने लगें। जिससे भाजपा नेताओं को मोदी से बेहतर नीतिश कुमार ही लगने लगे। करीब ढाई घंटे तक लगातार मोहन भागवत, भैयाजी जोशी, सुरेश सोनी और नरेन्द्र मोदी संघ के हेडक्वार्टर के जिस कमरे में चर्चा करते रहे, उस कमरे का महत्व संघ के कई निर्णयों से देश को प्रभावित करने वाला रहा है। खासकर जेपी के आंदोलन के साथ खड़े होने की पूरी व्यूहरचना भी संयोग से नानाजी देशमुख के साथ मिलकर तत्कालीन सरसंघचालक देवरस ने इसी कमरे में बनायी थी। उस वक्त पहली बार देवरस ने जेपी आंदोलन की रुपरेखा के जरीये ही भ्रष्टाचार के खिलाफ राजनीतिक संघर्ष का विजयादशमी भाषण दिया था। संयोग से दो दिन बाद मोहन भागवत नरेन्द्र मोदी के आसरे कुछ ऐसे ही राजनीतिक भाषण की तैयारी कर रहे हैं।
Monday, October 22, 2012
भाजपा की डोर थमाने से पहले मोदी को संघ का आखिरी पाठ
Posted by Punya Prasun Bajpai at 11:35 AM
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7 comments:
perfect analysis on insider information, do you feel, it will be better from winning seat perspective, if BJP declares modi as PM?
amit...BUT BJP has no option...only modi !
amit...BUT BJP has no option...only modi !
Good but kanto bhari hai jamane kind rahe
हम पहुँच गए आपके ब्लॉग पर भी। इधर आ तो रहें हैं कई दिनों से लेकिन लिखना आज हुआ। बहुत अच्छा काम कर रहे हैं आप जैसे कुछ लोग हिन्दी में ब्लॉगिंग के माध्यम से संवाद को बढ़ावा देने का।
'इंडियनटॉपब्लॉग्स’ हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगों की डाइरेक्टरी संकलित करने जा रहा है, सर्वश्रेष्ठ भारतीय ब्लॉगों की डाइरेक्टरी की तर्ज पर। नवम्बर में हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगों की डाइरेक्टरी आपके सामने आ जाएगी। देखिएगा ज़रूर।
बाजपेयी जी आजकल आप "बड़ी खबर" मे दिख नहीं रहे, सब ठीक ठाक है?
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