Thursday, September 5, 2013

नजर लागी मोदी तुम्हें वंजारा की !

पीएम पद पर नजर टिकाये नरेन्द्र मोदी के लिये वंजारा का 10 पेजी पत्र कहीं स्पीड ब्रेकर तो नहीं बन जायेगा ? और पीएम पद की उम्मीदवारी के एलान से पहले अगर इसी तरह की रुकावट आती रही तो मुश्किल वक्त में मोदी को अपनी लड़ाई अकेले तो नहीं लड़नी पड़ेगी? यह दोनों सवाल गांधीनगर से दिल्ली तक बीजेपी और मोदी को परेशान भी किये हुये हैं और मोदी विरोधियों को राहत भी दिये हुये हैं। वंजारा का पत्र दरअसल मोदी भक्त का लिखा गया ऐसा पत्र है, जिसका भरोसा अपने भगवान से ना सिर्फ उठा है बल्कि भरोसे तले दबे कई राज के खोलने के संकेत भी देता है।

तो मोदी की खामोशी को लेकर सवाल कई हैं। पहला, मोदी डर रहे हैं कि वंजारा ने उनकी सत्ता चलाने के राज खोले तो पीएम की दावेदारी का बंटाधार होगा। दूसरा, मोदी सहमे हुये हैं कि वंजारा का पत्र ही कहीं उनके पीएम उम्मीदवारी का मुद्दा ना बन जाये। और तीसरा, मोदी घबराये हुये हैं कि अगर पीएम उम्मीदवारी टली तो उन्हें अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी।

तो क्या मोदी अब तब तक खामोश रहेंगे जब तक मोदी की लड़ाई बीजेपी की लडाई ना बन जाये। या फिर मोदी जबतक पीएम पद के उम्मीदवार घोषित ना हो जायें। क्योंकि पीएम का उम्मीदवार बनते ही मोदी की हर मुश्किल बीजेपी की चुनावी मुश्किल होगी और तब मोदी पर लगने वाले हर आरोप का जवाब बीजेपी और संघ परिवार मिल कर देंगे।

जानकारी के मुताबिक नरेन्द्र मोदी ने अपने उपर आने वाली मुश्किलों का जिक्र पिछले महिने 2 अगस्त को संघ के साथ बीजेपी नेताओं की हुई बैठक के वक्त भी किया था। जानकारी के मुताबिक मोदी ने संघ और बीजेपी संसदीय बोर्ड के सदस्यों के सामने कहा था कि आने वाले वक्त में अगर उनपर कोई आरोप लगे तो संघ परिवार या पार्टी विचलित ना हों। और बैठक में ही यह सवाल भी उठा था कि दो व्यक्तियों के लिये दो नियम कैसे हो सकते हैं। क्योंकि जब गडकरी कठघरे में खड़े हुये थे तो उन्हें अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था। ऐसे में मोदी को लेकर कोई दूसरी राय कैसे हो सकती है।

तो मोदी की खामोशी का सबसे राज यही है कि पहले पीएम पद की उम्मीदवारी का एलान हो और उसके बाद मोदी पर लगे हर दाग को समूची पार्टी मिलकर मिटाये। जाहिर है अब सबकी नजर 9 सितंबर को दिल्ली में संघ परिवार के साथ बीजेपी के आला नेताओ की गुफ्त-गु होनी है और उससे पहले मोदी कुछ भी नहीं बोलेंगे। बैठक में चूंकि दो ही बातों पर खुली चर्चा होनी है और दोनों के केन्द्र में मोदी ही हैं तो मोदी बैठक से पहले कुछ भी बोल कर फंसना नहीं चाहते हैं। असल में संघ के साथ बैठक में मोदी की पीएम पद के उम्मीदवारी के एलान के वक्त का आकलन होगा। यानी मोदी को चार राज्यों के चुनाव से पहले पीएम पद का उम्मीदवार बना दिया जाये या चुनाव बीतने के बाद। साथ ही संघ के मुद्दों को कैसे धार दी जाये। जिससे 2014 के चुनाव के वक्त राजनीतिक एजेंडे के दायरे में संघ परिवार की सामाजिक समझ आदर्श मुद्दा बन जाये।

लेकिन वंजारा ने जिन सवालों को जिस तरह अपने पत्र में उठाया है, उससे पहली बार मोदी की वही यूएसपी कठघरे में है जिसके आसरे मोदी मोदी बने हैं। और ऐसे मोड़ पर वंजारा ने मोदी के गवर्नेस पर तीखा प्रहार किया है। वंजारा ने मोदी के नायक बनने के तौर तरीकों पर सवालिया निशान लगाया है। वंजारा ने मोदी के कद को सिर्फ मोदी बनने के लिये इस्तेमाल करने वाला बताया है। यानी मोदी कैसे खुद के कद को बड़ा बनाने के लिये हर किसी का इस्तेमाल कर छोड़ देते हैं। इस दर्द को वंजारा ने अपने पत्र से सार्वजनिक कर दिया है। और मोदी की मुश्किल यही से शुरु होती है। क्योंकि मोदी कैसे अपने साथियों को भी दरकिनार करते हैं, यह सवाल गुजरात के गृहमंत्री हरेन पांड्या से लेकर केशुभाई पटेल और संघ परिवार के संजय जोशी भी उठा चुके हैं।

लेकिन इन तीनों के आरोपों के वक्त मोदी की सियासत गुजरात में सिमटी थी, जहां के वह बादशाह हैं। लेकिन अब सियासत की लकीर पूरे देश में खींचनी है तो वंजारा के पत्र में मोदी विरोधी दिल्ली में बीजेपी की उस चौकड़ी को ऑक्सीजन दे दिया है जो मोदी की राजनीति तले अपनी राजनीति के खत्म होने का संकट देख रही है।

तो वंजारा के पत्र पर मोदी 9 सितबंर तक तो खामोश रहेंगे, यह भी सच है। 

3 comments:

Brijesh said...

श्रीमान एडिटर,

गुजरात के आई.पि.एस अफसर वंजारा की चिट्ठी के मामले पर कांग्रेस द्वारा दिनांक 9 सितम्बर २०१३ को गुजरात बंद का एलान दिया गया था| इस बंद को गुजरात की जनता से कोई समर्थन नहीं है| और इसी लिए जबरदस्ती से बंद को कामियाब बनाने के लिए कांग्रेस द्वारा दहेशत फैलाई जा रही है| बंद के अगले दिन ही राजकोट शहर में कोंग्रेस प्रमुख समेत कुछ कोंग्रेसी कार्यकरो ने गुजरात सरकार की एक बस को जलाने का प्रयास किया ताकि लोगों में दहेशत फ़ैल जाये और लोग अपने आप ही बंद में जुड़ जाये| इसी दहेशत से बच्चो के स्कूलों ने भी 9 सितम्बर को छुट्टी का एलान कर दिया है| इसके पहेले भी एक और बंद के एलान के अगले दिन राजकोट शहर में कोंग्रेस कार्यकर्ताओ ने एक बस को जलाके दहेशत फैला के लोगो को बंद में जुड़ने के लिए मजबूर किया था| इस खबर का स्थानीय अखबार के वेबसाईट का लिंक आपको भेज रहा हूँ| आप से निवेदन है की इस खबर को आप इस खबर को टीवी और अखबारों में सही तरीके से दिखाए और राजनैतिक पक्षों की इस गुंडागर्दी को उजागर करे|

http://www.akilanews.com/05092013/rajkot-news/15319471378381180-15319




धन्यवाद

वन्दे मातरम...


Brijesh J Patel
patelbrijesh1@gmail.com

suren said...

prasoon g Z news chod kar yaha aaj tak padharey dhanyavad.........jaar ekak program media mey failey najayaj karobar par bhee prime time par kar dey desh tar jaayega aap kee ese deleri sey

hem pandey said...

दरसल मोदी पर इतने आरोप लग चुके है कि अब किसी भी आरोप का उनकी शख्सियत पर कोई फर्क नहीं पड़ता चाहें वो आरोप सही ही क्यों न हो उल्टा उनका कद और बाद जाता है .