Sunday, March 24, 2019

बहुत धीरे धीरे बिछ रही है बिसात

मोदी की साख । राहुल का विस्तार । अमित शाह की चाणक्य नीति । प्रियंका का जादुई स्पर्श । अखिलेश और आयावती के आस्तितव का सवाल । तेजस्वी कीअग्निपरीक्षा । ममता के तेवर । पटनायक  और स्टालिन की लगेसी । और लोकतंत्र पर जनता का भरोसा या उम्मीद । 2019 की ये ऐसी तस्वीर है जिसमें राजनीतिक दलो  नाम गायब है । दूसरी कतार के नेताओ की चेहरो का महत्व गायब है । या कहे चंद चेहरो में ही लोकतंत्र का महापर्व कुछ इस तरह घुल चुका है जहा देश के  सामाजिक - आर्थिक हालात भी उस राजनीति पर जा
टिके है जिसके अपने सरोकार अपने ही नेताओ से गायब है । और इस कतार में जो सबसे महत्वपूर्ण है वह है संगठन की तादाद। हर बूथ तक पहुंचने के लिये पूंजी की पोटली । तकनीकी माध्यमो के उपयोग से वोटरो की
भावनाओ से जुडने का प्रयास । तो जरा कल्पना किजिये सात चरणो में देश के 90 करोड वोटरो तक कौन पहुंच
सकता है । यानी 543 सीटो पर किसकी पहुंच होगी जो 272के जादुई आंकडो को छू सकने के सपने को पा सके । इसमें सबसे बडी भूमिका आरएसएस की क्यो होगी इसे जानने से पहले जरा समझ लिजिये कि जो चेहरे मैदान में है या जिन चेहरो के भरोसे जीत के सपने संजोय जा रहे है उनकी ताकत है क्या या कितनी ताकत है उनमें मोदी के पास चुनावी इन्फ्रस्ट्रक्चर है और जनता से जुडने वाले सीधे संवाद के तरीके है । राहुल के पास मोदी पर  हमले का बेबाकपन भी है और मोदी से टूटे उम्मीद का पिटारा है । अखिलेश-मायावती के पास गठबंधन की ताकत है , तो ममता के पास बंगाल के समीकरण है यानी चाहे अनचाहे चुनाव को राज्यो को खाके में बांटकर देखेगें तो हो सकता है कि कही मोदी बनाम क्षत्रप नजर आये या फिर क्षत्रपो की ताकत को समेटे काग्रेस कागणित नजर आये या फिर कही बीजेपी और काग्रेस की सीधी टक्कर नजर
आये । लेकिन 2019 का चुनाव इतना सरल है ही नहीं कि हर प्रांत में चुनावी
प्लेयर खेलते हुये नजर आ जाये । या फिर विकास का ककहरा या जातिय समीकरण
का मिजाज विकास शब्द को ही हडप लें । दरअसल जिस स्थिति में देश आ खडा हुआ
हुआ है उसमें तीन तरीके हावी हो चले है ।पहला,  प्रचार प्रसार के जरीये हकीकत को पलट देना । दूसरा,  किसान व ग्रामिण भारत का मुखौटा लिये कारपोरेट के हाथो देश को सौप देना । तीसरा, कबिलाई राजनीति तले जातिय समीकरण में चुनावी जीत खोजना लेकिन इस बिसात पर पहली बार लकीरे इतनी मोटी खिची गई है कि दलित वोट बैक को ये एहसास है कि उसके वोट 2019 की सत्ता को बनाने या बिगाडने का खेल खेल सकते है तो वह अपने ही नेताओ को भी परखने को तैयार है । मसलन यूपी में मायावती कही जीत के बाद बीजेपी के साथ तो नहीं चली जायेगी तो  भीम आर्मी के चन्द्रशेखर सीधे मोदी को चुनौती देकर मायावती के प्रति शक पैदा हुये दलितो को लुभा रहा है । तो दूसरी तरफ देश के चुनावी इतिहास में पहली बार सत्ताधारी बीजेपी कोमुस्लिम वोट बैक की कोई जरुरत नहीं है इस एहसास को सबका साथ सबका विकास के बावजूद खुल कर उभरा गया । यानी मुस्लिम वोट उसी का साथ खडा होगा जो बीजेपी उम्मीदवार को हरायेगा । ये हालात कैसे अब गये इसके लिये बीजेपी के क भी मुस्लिम सांसद का ना होना या एक भी मुस्लिम को उम्मीदवार ना बनाने के हालात नहीं है बल्कि मुस्लिम चेहरा समेटे शहनवाज हुसैन तक के लिये एक सीट भी ना निकाल पाने की सियासी
जुगत भी है । और यही से शुरु होता है संघ और मोदी का वह सियासी काकटेल जो 2019 के चुनाव में कितना मारक होगा ये कह सकना आसान नहीं है । क्योकि एक तरफ मुद्दो का पहाड है तो दूसरी तरफ संघ की अनोखी सामाजिक पहुंच है ।

जारी.....


15 comments:

Rj said...

प्रणाम क्या खुब कहे एक हाथ चांदी और दुसरे हाथ सोने।एक बार लिखा था,अभी जिस तरह से हवा बह रही है वो दिन सायद दूए नही जब अपना समाज ईक नई क्रांती का ▪▪▪▪▪▪••••••••

Unknown said...

Fantastic patrkarita

Unknown said...

Good

Sayari said...

Sir create A your own chennel on tv ..we' ll donate money ..and show the true face of godi media and all government of India bjp and congress both are currepted political party .youths are the piller of India show them truth come again with jai hind
I salute you becouse you stay with courage and never give up hope
Jai hind

A.T.D. said...

SIR I WISH TO JOIN YOUR TEAM PLEASE PROVE YOUR EMAIL ID SIR PLEASE

Unknown said...

Bhot badiya sir . But main ek sawal yha karna chahta Hoon ki kya humara election commission so rha hai kya kyuki jis tarah Narender modi ki film ka trailer launch hua h aur 5 April ko film bhi realize hogi to kya isse achar samjhota ka ulanghan nhi hoga? Kyu koi bhi political party ispe oppose nhi kar rhi aur media nhi dikha rhi? Jahir h is film ka chuna p asar hoga agar release hui to? Aur vaise bhi humara Hindustan m emotionally log attached bhot tez hote h .

NILESH KUMAR said...

Sir mai appke sath join karna chata hu kuki mere yaha vikash ke naam par khel khela ja raha

NILESH KUMAR said...

Sir apana no send kar de jishe mai aapko kuch whatsaap kar saku

SAPNA said...

Dear Mr.Prasun
I am coming on directly to the point .As you know doing journalism with a media house is not easy to you .You know better. Although lot of people knows you are right & strongly they follow you. I also feel same what you say. But as you know money is must essential for live hood & business.
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Anil Rawat

anil bhardwaj said...

anil bhardwaj from sonipat : pp bajpaee ji jitne bhi sarkar ke khilaf ya sarkar ki nitiyo ke khlaf dharna prdarshan karne walo ko chahiye ki sabko milkar varansi, ahmdabad,nagpur, puri v amethi me jakar bjp ke virodh me election me door to door parchar karna chahiye yana se bjp harne par modi kisi bhi surat me prime minister nahi ban sakta khas karke ex paramiltry force ke jantar mantar oar kai bar dharna dene walo ko to kisi bhi surat me ye karna chahiye kyonki inko koi deshdrohi bhi nahi kahega

anil bhardwaj said...

anil bhardwaj from sonipat : pp bajpaee ji jitne bhi sarkar ke khilaf ya sarkar ki nitiyo ke khlaf dharna prdarshan karne walo ko chahiye ki sabko milkar varansi, ahmdabad,nagpur, puri v amethi me jakar bjp ke virodh me election me door to door parchar karna chahiye yana se bjp harne par modi kisi bhi surat me prime minister nahi ban sakta khas karke ex paramiltry force ke jantar mantar oar kai bar dharna dene walo ko to kisi bhi surat me ye karna chahiye kyonki inko koi deshdrohi bhi nahi kahega

वक्त का तकाजा said...

लोकतंत्र नहीं Raj तंत्र चल रहा है

Anu Shukla said...

बेहतरीन ..
बहुत खूब!

HindiPanda

डॉ प्रदीप पाठक said...

अर्थात आप भी अस्वीकार करते हैं संगठनात्मक ढांचा मजबूत है विकास विमर्श के केंद्र में और देश के राजनीत की दशा दिशा हिंदू राष्ट्रवाद केंद्र बिंदु बन गए

NAVEEN PANDEY said...

Nice 🙏🙏 Dada.. 👍👍