Wednesday, September 7, 2011

तिहाड का 'अमर' रास्ता

सरकार मनमोहन सिंह की बची। सरकार बचाने का इशारा मुलायम सिंह ने किया। लेकिन आज न तो कांग्रेस का हाथ है और न ही मुलायम सिंह का साथ। फिर भी अमर सिंह खामोश रहे और खामोशी से तिहाड़ जेल पहुंच गये। यह फितरत अमर सिंह की कभी रही नहीं। तो फिर वह कौन सी मजबूरी है जिसे अमर सिंह ओढ़े हुये हैं। क्योंकि वामपंथियों के समर्थन वापस लेने के बाद संकट में आयी सरकार को बचाने की पहल अगर 10 जनपथ से शुरु हुई थी तो सीधी शिरकत मनमोहन सिंह ने खुद की थी। और तभी मनमोहन सिंह का अमर प्रेम खुलकर दिखा था। याद कीजिये 2008 में जुलाई के पहले हफ्ते में मनमोहन सिंह के घर 7 रेसकोर्स का दरवाजा पहली बार मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह के लिये खुला था। तब प्रधानमंत्री ने सभी सहयोगियो को भोजन पर बुलाया था। और जिस टेबल पर अमर सिंह और मुलायम सिंह बैठे थे उसी टेबल तक चलकर खुद मनमोहन सिंह गये और साथ बैठकर गुफ्तगु के बीच जायके का मजा भी लिया था। उस वक्त यह सवाल सबसे बड़ा था कि सोनिया गांधी ने एक वक्त जब मुलायम-अमर सिह के लिये अपने दरवाजे बंद कर दिये तो फिर कांग्रेस में क्या किसी की हिम्मत होगी जो अमर सिंह के लिये दरवाजे खोले। लेकिन संकट सरकार पर था और लोकसभा में बहुमत का खेल मनमोहन सिंह सरकार को बचाने के लिये ही खेला जाना था तो फिर अमर सिंह के लिये दरवाजा भी 7 रेसकोर्स का ही खुला।

बडा सवाल यहीं से शुरु होता है कि आखिर अदालत की फटकार के बाद सीबीआई ने जब तेजी दिखायी तो सरकार बचाने वाले किरदार तो जेल चले गये। जिन्होंने सरकार बचाने के लिये खरीद-फरोख्त के इस खेल को पकड़ा वह भी जेल चले गये। लेकिन सरकार का कोई खिलाड़ी जेल क्यों नहीं गया और सीबीआई ने सत्ता के दायरे में हाथ क्यों नहीं डाला। यह सवाल इसलिये बड़ा है क्योकि अमर सिंह के आगे का रास्ता उस दौर में लालकृष्ण आडवाणी के राजनीतिक सचिव रहे सुधीन्द्र कुलकर्णी तक भी जाता है और अमर सिंह कुछ बोले तो कटघरे में सरकार और कांग्रेस के वैसे चेहरे भी खड़े होते दिखते हैं, जि पर सोनिया गांधी को नाज है।

तो क्या अमर सिंह की खामोशी आने वाले वक्त में अपनी सियासी जमीन बनाने के लिये राजनीतिक सौदेबाजी का दायरा बड़ा कर रही है। या फिर अमर सिंह जेल से किसी राजनीतिक तूफान के संकेत देकर अपना खेल सत्ता -विपक्ष दोनो तरफ खेलने की तैयारी में हैं। चूंकि अमर सिंह की सियासी बिसात उत्तर प्रदेश के चुनाव से भी जुड़ी है और साथ ही इस दौर में सीबीडीटी और प्रवर्तन निदेशालय की जांच के घेरे में आयी उनकी फर्जी कंपनियो के फर्जी कमाई से भी जुड़ी है। कैश फार वोट की जांच करते करते सीबीआई ने अमर सिंह के उस मर्म को ही पकड़ा, जहां सियासी ताकत के जरीये अपने परिवार और दोस्तो की कमाई के लिये फर्जी कंपनी बनायी तो कमाई से सियासत में अपनी ताकत का अहसास कराते रहे। जिस पंकजा आर्टस नाम की कंपनी की सफेद जिप्सी में ही तीन करोड़ रुपया ले जाया गया, वह पंकजा आर्टस कंपनी में अमर सिंह और उनकी पत्नी की हिस्सदारी है। सीबीडीटी की रिपोर्ट बताती है कि अमर सिंह करीब 45 कंपनियो से किसी ना किसी रुप में जुड़े हैं, जिनके खिलाफ जांच चल रही है।

इन सभी कंपनियों पर सत्ता की प्यार भरी निगाहें तभी रही जब जब अमर सिंह सत्ता में रहे या फिर सत्ता से सौदेबाजी करने की हैसियत में रहे। और सौदेबाजी के इसी दायरे ने उन्हे पावर सर्किट के तौर पर स्थापित भी किया और संकट के दौर में हर किसी के लिये संकट मोचक भी बने। इसलिये जब जब अमर सिंह जांच के दायरे में इससे पहले आये उन्होने सत्ता को भी लपेटा और विपक्ष को भी। बीमारी में मित्र अरुण जेटली के देखने आने को भी इस तरह याद किया जैसे बीजेपी से उनका करीबी नाता है और सरकार बचाने के दौर में काग्रेस के सबसे ताकतवर अहमद पटेल को भी मित्र कहकर यह संकेत देने से नहीं चूके कि उनकी सियासी बिसात पर राजनीतिक सौदेबाजी ही प्यादा भी है और राजा भी। क्योंकि अमर सिंह की शह देने में ही सामने वाले की मात होती और वही से अमर सिंह का आगे का रास्ता खुलता। और यही बिसात हमेशा अमर सिंह को भी बचाती रही। लेकिन पहली बार सौदेबाजी का दायरा बडा होने के बावजूद अमर सिंह का अपना संकट दोहरा है क्योंकि सरकार के सामने भ्रष्ट्राचार पर नकेल कसने की चुनौती है। और देश ने अन्ना आंदोलन के जरीये सत्ता को अपनी ताकत का एहसास करा भी दिया है। इसलिेए अब सवाल यह है कि अमर सिंह के तिहाड जेल जाने के बाद सरकार कितने दिन तक खामोशी ओढे रह सकती है । बीजेपी सिर्फ सरकार पर वार कर अपने सांसदो को व्हीसल ब्लोअर का तमगा देते हुये गिरफ्तारी के तार सुधीन्द्र तक पहुंचने से रोक पाती है। समाजवादी पार्टी अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिये सौदेबाजी का दोष काग्रेस या सरकार पर मढ़ कर अमर प्रेम जताती रहती है जिससे यूपी चुनाव में भ्रष्ट होने के दाग उस पर न लगे। या फिर सभी एक साथ खड़े होकर अमरसिंह की बिसात पर प्यादा बनकर सियासी सौदेबाजी में सबकुछ छुपाने में भिड़ते हैं। और संसदीय लोकतंत्र यह सोच कर ठहाके लगाने को तैयार है कि जिस स्टैडिंग कमेटी के पास भ्रष्टाचार पर नकेल कसने वाला जनलोकपाल बिल पडा है छह दिन पहले तक उसी स्टैडिंग कमेटी के सदस्य के तौर पर अमर सिंह भी थे।

यह अलग बात है कि संसद के भीतर अपराध करने के आरोप में फिलहाल अमर सिंह तिहाड जेल में हैं।

6 comments:

सतीश पंचम said...

राजनीति में इस तरह के मामले तो होते रहते हैं.....आज गर्दिश के दिन तो कल खुशदिल छटा.....किंतु मामला तब लोचेवाला हो जाता है जब बंदा दीवारों से घिर उठे

ऑफ्टरऑल, इट मैटर्स बिटवीन द वाल ना :)

Anonymous said...

amar singh ki amar kahani abhi to shuru hui hai,kisko bachaya,kisko fansaya,ye kb tk janta ke samne aaega koi nhi janta.ho sakata hai ye bhi janlokpal bill ki tarah kahi fas jayega?kyoki isse bhi to MANNIY LOGO ki kalai khulni hai. SANJAY DUBEY DAKHIN TOLA,MAU NATH BHANJAN(U.P.)

Suryanshsri said...

बाजपाई जी सदर प्रणाम, आपके ब्लॉग तिहर का अमर रास्ता सरकार और मुलायम सिंह की तरफ न जाकर अमर सिंह पर आकर रुक गया.... जो कुछ भी हुआ लोक सभा में सबके सामने तो नहीं कह सकता हूँ पर कुछ लोगों के सामने हुआ और बहुत लोगों तक पहुंचा... इतना सब कुछ होने के बाद किसी नेता पक्ष/विपक्ष, मीडिया ने इस बात पर सवालात क्यूँ नहीं किये की इतने रुपये सांसद तक पहुंचे कैसे? जितनी रकम का जिक्र हुआ क्या उससे इनकम टैक्स वालों ने उनसे लिया की नहीं लिया...... ये रकम वास्तव में किसी थी इसका कोई प्रमाण मिला या नहीं...... अगर मिला तो उस पर क्या कार्यवाही हुई? इन सबसे भी अगर इस ब्लॉग में अवगत करा देते तो मज़ा आ जाता.....

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Atul Kumar
Blog: http://suryanshsri.blogspot.com/
Barabanki

सम्वेदना के स्वर said...

पुण्य प्रसून जी!
दिल्ली धमाकों पर आज आपका कार्यक्रम देखा.. आपके शब्द, आपके सवाल, आपका प्रहार और इन सबके पीछे छिपी आपकी वेदना, छू गयी हमें.. काश सारे पत्रकार एक बार देश के लिए आवाज़ बुलंद करें या आपके सुरों को अपनाएँ!!
आप को लगता है कि ऐसा हो पायेगा???

सतीश कुमार चौहान said...

प्रसून जी!
परममित्र अनिलअंबानी और अमिताभ जी पर आपकी खामोशी....................

डॉ .अनुराग said...

वक़्त बताएगा ..अमर सिंह की ख़ामोशी के क्या नतीजे निकलते है ....ये तो पक्का है वे खामखाँ जेल जाने वालो में से नहीं है ....