यह किताब आपके हाथ में नहीं आपकी आंखों के सामने है। इस किताब को ना तो
खरीदने की जरुरत है ना ही कही ऑर्डर देकर मंगाने की। आपके मोबाइल, आपके
कम्यूटर पर मौजूद यह किताब आपके घर के भीतर की कोई जगह भी नहीं भरेगी।
यह सिर्फ आपके दिमाग को मौजूदा सामाजिक-राजनीतिक माहौल से रुबरु कराते
हुये यह सोचने को मजबूर करेगी कि आपकी भागेदारी समाज में है कहां और
राजनीतिक सत्ता का मिजाज देश में हो क्या चला है। खासकर जब 2014 के
लोकसभा चुनाव में देश ने ऐसी अंगडाई ली, जिससे लगा पारंपरिक सियासत के तौर
तरीके अब बदल जायेंगे क्योंकि नरेन्द्र मोदी ने मुद्दों को विचारों में
पिरोकर चुनावी प्रचार में एक अलख जगायी। तो बरस भर में बदला क्या गया? क्या
सत्ता ने फिर साबित किया कि बदलाव की बयार सत्ता पाने के लिये होती है।
7 comments:
एक और पुस्तक लिख दो क्रांतिकारी महोदय, महीने 6 नौटंकी 36।
लाजवाब , बहुत ही बढ़िया लिखा हे। अलग कॉन्सेप्ट में । इंतज़ार रहेगा आगे भी इस तरह की रोचक सामग्री का। धन्यवाद।
bahut achchha prastuti
बहुत खूब सर, लेकिन इसमें एक दिक्कत आ रही है। यह पहले तो इसका मूल्य शून्य दिखा रहा है लेकिन क्रेडिट कार्ड नंबर भी मांग रहा है। क्या किया जाए ?
क्या यह किताब windows phone पर उपलब्ध नहीं है।
sir can not download if any pdf available plz drop thanks
Bahut achchha sir, kya khoob likha hai!!!!, vaise derh saal me Modi Sarkaar Backfoot par aa gayi hai. Jab se modi Sarkaar kendra me aayi hai,saare hinduvadi sangathan aise uchhal rahe hain,jaise Barsaat me Barsaati mendhak Uchhalate hain. Bihar election Result se congressiyon ko ventilator ki oxygen mill gayi....
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